लाल कुआं /बिन्दुखत्ता, 28 जुलाई शहादत दिवस पर कामरेड चारू मजूमदार के विचारों के आधार पर संघर्ष तेज़ करने का संकल्प• मोदी-शाह के फासीवादी राज के खिलाफ निर्णायक जनांदोलनों के लिए तैयार होंभाकपा (माले) ने आज कार रोड, बिन्दुखत्ता स्थित कार्यालय में पार्टी के संस्थापक महासचिव काॅमरेड चारू मजूमदार का शहादत दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम कामरेड चारू मजूमदार और तमाम शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए एक मिनट का मौन रखा गया। शहादत दिवस पर कामरेड चारू मजूमदार के विचारों के आधार पर संघर्ष तेज़ करने और मजदूर-किसानों का राज लाने की लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया। मोदी-शाह के फासीवादी राज के खिलाफ निर्णायक जनांदोलनों के लिए तैयार होने के पार्टी के केंद्रीय कमेटी के आह्वान को पूरा करने की शपथ ली गई।इस मौके पर ‘माले’ के वरिष्ठ नेता काॅमरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “भारत में मजदूर -किसानों का राज लाने और मजदूर वर्ग की क्रांति करने का सपना काॅमरेड चारू मजूमदार ने देखा था। चारू मजूमदार ने ही 1967 से शुरू हुए नक्सलबाड़ी के महान किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। गरीबों, भूमिहीनों को जमीन दिलाने और भूमि सुधार के लिए चला यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया था। 1969 में चारू मजूमदार ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेेनिनवादी) की स्थापना की। आंदोलन का नेतृत्व करने के आरोप में उन्हें तत्कालीन पश्चिम बंगाल सरकार ने गिरफ्तार किया और जेल में यातनाएं दी। 28 जुलाई 1972 को उनकी जेल में ही शहादत हो गई। भाकपा (माले) काॅमरेड चारू मजूमदार सहित तमाम क्रांतिकारियों के सपने को साकार करने के लिए आज भी संघर्षरत है और पूरे देश में मजदूर-किसानों, दलित, अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्ग, महिलाओं के संघर्षों में पूरी ताकत के साथ लगी है। आज के दौर में जब केन्द्र में बैठी फासीवादी मोदी सरकार के राज में दलितों, अल्पसंख्यकों , किसानों पर हमले बढ़ रहे है तब प्रत्येक पार्टी सदस्य को पूरे शिद्दत के साथ इन हमलों के प्रतिरोध मे उठ खड़ा होना होगा। काॅमरेड चारू मजूमदार का मेहनतकश वर्ग की मुक्ति का सपना आज के दौर में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है।”भाकपा (माले) जिला सचिव काॅमरेड डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “केन्द्र में प्रचण्ड बहुमत से दो बार आ चुकी मोदी सरकार आज जनता से किये गये सभी वायदों से मुकर गयी है। देश के सवा सौ करोड़ लोगों की बात करने वाले मोदी जी आज सिर्फ अम्बानी-अडानी जैसे सिर्फ कुछ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। अब जब मोदी जी के कार्यकाल के 7 साल पूरे हो गये हैं तो 2 करोड़ रोजगार प्रत्येक वर्ष देने, किसानों की आय दुगनी करने, काला धन वापस लाने, महंगाई-भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के अपने तमाम चुनावी वायदों पर न सिर्फ चुप्पी साधे हैं, बल्कि महंगाई, बेरोजगारी बढ़ाने वाली नीतियों को लागू कर रहे हैं। मजदूर किसान विरोधी मोदी सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ पास हुए कानूनों ने एक बड़े किसान आंदोलन को जन्म दिया है। किसानों में मोदी सरकार के खिलाफ गहरा रोष हैं। किसान आंदोलन को पीछे करने के लिए भाजपा फिर से अपने झूठे राष्ट्रवाद के एजेंडे को सामने ले आयी है। जिन युवाओं को मोदी जी रोजगार देने की बात कर रहे थे उन्हें साम्प्रदायिक उन्माद में लगाया जा रहा है। कोरोना महामारी से निपटने में पूरी तरह असफल मोदी सरकार ‘आपदा को अवसर में बदलते हुए’ बड़े पूंजीपति वर्ग के मुनाफे के लिए देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, सरकारी रक्षा कम्पनियों को जबरन निजीकरण के रास्ते पर धकेल रही है। जो कि देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने का काम है।”कार्यक्रम में विमला रौथाण, गोविन्द जीना, स्वरूप दानू, नैन सिंह कोरंगा, किशन बघरी, पुष्कर दुबड़िया, कमल जोशी, हरीश भंडारी, गोपाल गड़िया, चंदन राम, धीरज कुमार, निर्मला शाही,पनिराम, खीम सिंह, मंगल राम, टोनी, शिव सिंह आदि लोग मौजूद थे। संचालन माले के बिन्दुखत्ता सचिव कामरेड ललित मटियाली ने किया।