हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह नहीं रहे; शोक की लहर

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धर्मशाला हिमाचल प्रदेश से एक बड़ी दुख भरी खबर आ रही है वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके राजा वीरभद्र सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहें है विवरण के मुताबिक राजनीति की अरसे से धुरी बने रहे राजा वीरभद्र सिंह ने आईजीएमसी में आज तड़के 3.40 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की पुष्टि आईजीएमसी के एमएस डा. जनक ने की है। वीरभद्र सिंह को दूसरी बार कोरोना का अटैक होने पर आईजीएमसी में भर्ती कराया गया था और उन्होंने इससे पहले एक बार कोरोना पर विजय प्राप्त की थी। दो दिन पहले अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया गया । इस बार वह जिंदगी की जंग हार गए। उन्होंने आज सुबह 3:40 पर अंतिम सांस ली। वीरभद्र सिंह के निधन से हिमाचल और भारतीय राजनीति के एक युग का अंत हो गया हैवीरभद्र सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे। वीरभद्र सिंह तीसरी, चौथी, पाँचवी, सातवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य भी रहे। उन्हे मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 28 मई, 2009 को इस्पात मंत्री बनाया गया था। राजनीति के अतिरिक्त वीरभद्र सिंह ने कई सामाजिक और सांस्कृतिक निकायों के साथ भागीदारी की है। वे संस्कृत साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रह चुके है। वीरभद्र सिंह आठ बार विधायक, छ: बार मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं।वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून, 1934 को शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम पिता राजा पदम सिंह और उनकी माता का नाम श्रीमति शांति देवी था। उनका विवाह श्रीमति प्रतिभा सिंह के साथ सम्पन्न हुआ और उनके 1 बेटा और 4 बेटियाँ है। वीरभद्र सिंह की ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की थी। वीरभद्र सिंह 1962 में तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद पुन: 1967 में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए। एक बार फिर 1972 में पाँचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1976 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बने।दिसम्बर 1976 से मार्च 1977 तक भारत सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के उपमंत्री नियुक्त हुए। 1977, 1979 और 1980 में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने रहे। शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 20 दिसम्बर 2012 को राज्य विधान सभा के सदस्य चुने गए। सितम्बर, 1982 से अप्रैल 1983 तक भारत सरकार में उद्योग मंत्री बने। अक्टूबर 1983 और 1985 में जुब्बल – कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए। 8 अप्रैल, 1983 से 5 मार्च, 1990 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री। दिसंबर, 1993 से 23 मार्च, 1998 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री। वीरभद्र सिंह एक बार फिर 6 मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे। मार्च 1998 से मार्च 2003 तक राज्य विधान सभा में हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता। 25 दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के छठे मुख्य मंत्री बने। 2009 में वे मंडी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित हुए । मई 2009 से जनवरी 2011 तक वीरभद्र सिंह भारत सरकार में इस्पात मंत्री रहे। उनके निधन की सूचना मिलते ही पूरे हिमाचल प्रदेश में शोक की लहर हैl

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