बिग ब्रेकिंग देहरादून:वन्यजीव सप्ताह:: अति चिंताजनक, राज्य में 25 साल में 167 हाथियों की हुई दर्दनाक मौत? Ashok Gulati editor in chief

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देहरादून:वन्यजीव सप्ताह:: अति चिंताजनक, राज्य में 25 साल में 167 हाथियों की हुई दर्दनाक मौत? Ashok Gulati editor in chief/वन जीव सप्ताह बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है जब कि राज्य में 25 वर्ष में 167 हाथियों की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई है। हाल के दिनों में ही हरिद्वार वन प्रभाग में तीन हाथियों की मौत हुई है। इसमें में भी एक हाथी की मौत करंट लगने से हुई है। जबकि दूसरे हाथी की मौत का कारण स्पष्ट नहीं है और तीसरे की मौत बीमारी के कारण हुई है।

प्रदेश में हाथियों की सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए जा रहे हैं। ट्रेनों से टकरा कर होने वाली मौतों को रोकने के लिए कई स्थानों पर ट्रेनों की गति को कम किया गया है। इसके अलावा अन्य माध्यमों के इस्तेमाल की भी योजना है। पर इन कोशिशों के बीच हाथियों की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई है।वर्ष-2001 से अक्तूबर-2025 तक राज्य में 538 हाथियों की मौत रिपोर्ट हुई है। इसमें 167 की मौत का कारण अप्राकृतिक रही है। इसमें बिजली का करंट लगने से 52, ट्रेन से टकराने से 32, दुर्घटना में 71, रोड एक्सीडेंट में दो, जहर से एक और नौ की शिकार से मौत हुई।
79 की मौत का कारण अज्ञात

इन मौतों के अलावा 79 की मौत का कारण अज्ञात रहा है। आपसी संघर्ष में कई हाथियों की मौत हुई। इस अवधि में 102 हाथियों ने आपसी संघर्ष में जान गंवाई है। इसके अलावा 227 की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई।

हाथियों की संख्या भी बढ़ी

प्रदेश में हाथियों की अच्छी खासी संख्या है। यहां पर हाथियों की संख्या बढ़ी भी है। राज्य में वर्ष 2001 में हाथियों की संख्या 1507 थी, जो कि 2020 में 2026 तक पहुंच गई। इसके साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर भी चुनौती बढ़ रही है। तराई केंद्रीय, हरिद्वार, तराई पूर्वी, रामनगर वन प्रभाग से सटे आबादी वाले इलाके में हाथी पहुंच कर नुकसान पहुंचा रहे हैं

वन संरक्षक का दावा है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने को प्रयास जारी हैं। ग्रामीणों के साथ संवाद करने के साथ ही जागरूक किया जा रहा है। ट्रेन से हाथियों के टकराने की घटना के दृष्टिगत रेलवे के साथ वर्कशाप हुई है। वन कर्मियों को खासकर ट्रेनों के आवागमन के समय रेलवे ट्रैक पर पेट्रोलिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। हरिद्वार वन प्रभाग के डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध कहते हैं कि हाथियों के आबादी क्षेत्र में न पहुंचने से रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा हाथियों की सुरक्षा के दृष्टिगत अभियान चलाकर 40 जगहों से खेताें में लगी तारबाड़ को हटवाया गया है, जिसमें करंट लगाए जाने की आशंका थी। करंट से हाथी की मौत के मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया है। बरहाल हाथियों की मौत कहीं ना कहीं वन विभाग की भी लापरवाही से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, देखना होगा सरकार हाथियों की जान माल के लिए क्या कदम उठाती है |

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