Rudrapur:😯 पेयजल अधिकारियों की लापरवाही निकम्मे पन के कारण लाखों के ‘शिलापट्ट’धूल फांक रहे हैं |जानकारी के मुताबिक
उत्तराखंड पेयजल निगम कार्यालय में करोड़ों रूपयों की लागत से संचालित की जाने वाली विभिन्न योजनाओं के लिए तैयार शिलापट्ट अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण धूल फांक रहे हैं। मारवल पत्थरों पर तैयार शिलापट्ट की कीमत लाखों में बताई जा रही है जो अब किसी काम के नहीं रहे। ज्ञातव्य है कि गदरपुर के विधायक एवं तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, नैनीताल उधम सिंह नगर के तत्कालीन सांसद बलराज पासी, रुद्रपुर से भाजपा के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल जब कभी सरकार में थे इस दौरान पेयजल निगम की करोड़ों की विभिन्न योजनाओं को धरातल पर लाने का सरकार द्वारा मंसूबा तैयार किया गया था।लेकिन काम पूरा नहीं होने से इन्हीं योजनाओं के शिलान्यास के लिए पेयजल निगम ने लाखों रुपए खर्च कर महंगे मार्बल के पत्थरों पर पूर्व विधायक, पूर्व सांसद एवं तत्कालीन शिक्षा मंत्री समेत ग्राम प्रधानों के नाम अंकित कराए ताकि यह शिलापट्ट कार्यस्थल पर बाकायदा लगाए जाएं। दर्जनों की तादाद में पेयजल निगम कार्यालय में धूल फांक रहे शिलापट्टð बताने के लिए काफी है कि सरकार की उन योजनाओं का क्या हुआ होगा जिसके लिए यह कीमती पत्थर तैयार किए गए थे। मजे की बात तो यह है कि महंगी मार्बल के पत्थरों से तैयार किए गए इन्हीं शिलापट्टों के ढेर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम के भी कई शिलापट्ट रखे हैं। यहां बताना यह भी जरूरी है कि नियम के मुताबिक निर्माण कार्य आरंभ होने के समय ही शिलान्यास की औपचारिकता होती है और इसी समय ऐसे पत्थर भी कार्य स्थल पर लगाए जाते हैं। यहां तो विभिन्न योजनाओं के मद में सरकार द्वारा वर्षों पूर्व धनराशि निर्गत किए जाने के बावजूद शिलापट्टð में पानी की तरह बहाया गया पैसा गैर जिम्मेदारी का जीता जागता सबूत है। उधर दूसरी ओर समाज के प्रबुद्ध तबके से जब इस बारे में बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने सीधे तौर पर शिलान्यास जैसे कार्यक्रमों को कुसंस्कृति करार दिया। कहा कि जब काम होना ही नहीं है अथवा बंदरबांट की स्थिति उत्पन्न होती है तो ऐसे में शिलान्यास या उद्घाटन जैसी औपचारिकता किसके लिए और क्यों किया जाता है। ऐसे ही पिछले कई वर्षों से जुगाड़ के बूते एक ही स्थान पर जमे पेयजल निगम के अपर सहायक अभियंता अनिल कुमार शुक्ला की पदोन्नति हो गई। वह अपर सहायक अभियंता से सहायक अभियंता बन गए। पदोन्नति के बाद भी श्री शुक्ला का तबादला विभाग द्वारा नहीं किया गया जो चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा यह भी है कि विभाग में समय-समय पर होने वाले करोड़ों के टेंडर आदि की प्रकिया में शुक्ला की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। जानकार यह भी बताते हैं कि अधिकांश जगह से चढ़ावा शुक्ला के माध्यम चढ़ाया जाता है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि अपर सहायक अभियंता रहते हुए शुक्ला द्वारा किए गए कार्यों पर झूठ का आवरण चढ़ाकर उसे हकीकत बनाकर पेश करने की कोशिश की जा रही है। इस संदर्भ में अधिकारियों से वार्ता का प्रयास किया गया तो वह कुछ भी बोलने से बचते नजर आए।