प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली की सुरक्षा के लिए की गयी सख्ती के चलते इस बार हजारों लोगों को फजीहत उठानी पड़ी। मोदी ग्राउण्ड और उसके पास पास के क्षेत्र को जीरो जोन घोषित किये जाने का खामियाजा कई लोगों को उठाना पड़ा। लोगों का कहना था कि यह अघोषित कर्फ्यू जैसा है। लोगों को दो से तीन किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा तो कई लोग समय पर ड्यूटी और अपने जरूरी काम के लिए नहीं जा पाये। कई मरीज तो इलाज के लिए अस्पताल तक नहीं जा पाये। मोदी मैदान में इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह पांचवी रैली थी। इससे पहले की रैलियों में ऐसा नजारा देखने को नहीं मिला, जो इस बार देखने को मिला। मोदी ग्राउण्ड के आस पास की दुकानों को एक दिन पहले ही बंद कर दिया गया। यही नहीं मोदी ग्राउण्ड के आस पास की बस्तियों से आने वाले मार्गों को भी पूरी तरह सील कर दिया गया। इन मार्गों से दोपहिया वाहनों को भी मुख्य मार्ग पर नहीं आने दिया गया। इसे लेकर लोगों में खासी नाराजगी देखी गयी। गंगापुर की ओर से आने वाले छोटे बड़े सभी वाहनों की आवाजाही सुबह से ही जेसीज चौक पर रोक दी गयी। सुबह नौकरी पेशा और कामकाजी लोग जब यहां पर पहुंचे तो रास्ते पर बैरिकेटिंग और पुलिस की तैनाती देखकर हैरान रह गये। पूर्व की रैलियों में केवल प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के दौरान ही इस मार्ग को जीरो जोन घोषित किया जाता था लेकिन इस बार अभूतपूर्व सुरक्षा को देखकर हर कोई हैरान और परेशान नजर आया। गंगापुर रोड से जिन लोगों को शहर में आना था उन्हें ट्रांजिट कैम्प और सिडकुल से कई किलोमीटर चक्कर काटकर रूद्रपुर के लिए आना पड़ा। कई लोग जेसीज चौक से ट्रांजिट कैम्प होकर जब शिवनगर वाले रास्ते से बाजार की ओर आने लगे तो उन्हें शिवनगर वाले मोड़ पर पुलिस का सामना करना पड़ा और यहां से भी सिर्फ पैदल आने जाने वालों के लिए ही रास्ता खोला गया। जो लोग वाहन से आ रहे थे उन्हें वापस लौटा दिया गया। इस दौरान कई लोगों की पुलिस के साथ नोंक झोंक भी हुई। पुलिस कर्मी उच्चाधिकारियों के आदेशों का हवाला देते नजर आये। मरीजों को देखकर भी उनका दिल नही पसीजा। बाइक सवार एक दंपत्ति अपने बीमार मासूम बच्चे को लेकर अस्पताल ले जा रहे थे यह वाकया करीब साढ़े नौ बजे का है। दंपत्ति पुलिस के सामने गुहार लगाने लगे, उनका कहना था कि बिमार बच्चे के इलाज के लिए उन्हें अस्पताल पहुंचना जरूरी है लेकिन पुलिस कर्मियों ने संवेदहीनता की हदें पार कर दी और बीमार बच्चे को पैदल लेकर जाने को कहा। बाइक नहीं जाने देंगे। थक हारकर दंपत्ति ने वहां से लौटने में ही भलाई समझी। बाइक सवार एक नगर निगम कर्मचारी को भी पुलिस कर्मियों ने बैरंग लौटा दिया। नगर निगम कर्मी का कहना था कि उसकी ड्यूटी भी मोदी के कार्यक्रम को लेकर लगायी गयी है लेकिन पुलिस कर्मी पास मांगने लगे जो उसके पास नहीं था। साईकिल से स्कूल जा रहे कई स्कूली बच्चे भी वापस घर लौटने के लिए मजबूर हो गये। इसी तरह कई सरकारी और प्राईवेट कर्मचारियों को भी मोदी की रैली के चलते फजीहत उठानी पड़ी। चिकित्सा जैसी जरूरी सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों तक को पुलिस ने वापस लौटा दिया। कई मीडिया कर्मियों के पास तो पास भी थे लेकिन उन्हें भी रोक लिया गया। मीडिया कर्मियों से वाहन का पास अलग से लाने को कहा गया जबकि सूचना विभाग की ओर से वाहनों के लिए कोई पास की व्यवस्था नहीं की गयी थी। कुल मिलाकर मोदी की रैलियां पहले भी हुई। इस बार मोदी की रैली क्या गुल खिलायेगी यह तो भविष्य बतायेगा लेकिन रैली के लिए की गयी सुरक्षा व्यवस्थाओं ने क्षेत्र की बड़ी आबादी को नाराज करने का काम जरूर किया है। जगह-जगह पुलिस की रूखे व्यवहार से नाराज लोग पुलिस प्रशासन के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी को भी कोसते नजर आये।आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रुद्रपुर में कार्यक्रम था, जहां पीएम ने जनसभा में मौजूद लोगों और बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया, लेकिन इसी बीच मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना देखने को मिली एक एंबुलेंस को रास्ता तक नही दिया गया, जिससे मरीजों को…
पीएम मोदी की सुरक्षा के चलते की गई प्रशासन के द्वारा सख्ती का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ा, कई बच्चे स्कूल नहीं जा पाए सख्ती के कारण उन्हें वापस घर लौटना पड़ा, साथ ही कई मरीज अस्पताल तक भी नहीं जा पाए, एक तरफ जहां पीएम नरेंद्र मोदी के लिए लोगों की सुरक्षा और जीवन का बहुत मोल है लेकिन लगता है की प्रशासन का दिल नहीं पसीजता इसलिए तो इस तरह की तस्वीरें सामने आ रही हैं, आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई रोड शो में देखा होगा की पीएम मोदी द्वारा एंबुलेंस को पहले रास्ता दिया गया था, जिसके कई वीडियो आपने सोशल मीडिया पर देखें होंगे लेकिन आज जो तस्वीर देखने को मिली वह बेहद ही शर्मसार कर देने वाली मोदी ग्राउण्ड और उसके पास पास के क्षेत्र को जीरो जोन घोषित किये जाने का खामियाजा कई लोगों को उठाना पड़ा। साथ ही एंबुलेंस को भी नहीं मिला रास्ता। कई लोगों को दो से तीन किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा तो कई लोग समय पर ड्यूटी और अपने जरूरी काम के लिए नहीं जा पाये। कई मरीज तो इलाज के लिए अस्पताल तक नहीं जा पाये। ध्यान देने की बात यह है कि रुद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली भी कई रैलियों हुई लेकिन ऐसा नजारा देखने को नहीं मिला, जो इस बार देखने को मिला। मोदी ग्राउण्ड के आस पास की बस्तियों से आने वाले मार्गों को भी पूरी तरह सील कर दिया गया। इन मार्गों से दोपहिया वाहनों को भी मुख्य मार्ग पर नहीं आने दिया गया। इसे लेकर लोगों में खासी नाराजगी देखी गई। गंगापुर की ओर से आने वाले छोटे बड़े सभी वाहनों की आवाजाही सुबह से ही जेसीज चौक पर रोक दी गयी। सुबह नौकरी पेशा और कामकाजी लोग जब यहां पर पहुंचे तो रास्ते पर बैरिकेटिंग और पुलिस की तैनाती देखकर हैरान रह गये। पूर्व की रैलियों में केवल प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के दौरान ही इस मार्ग को जीरो जोन घोषित किया जाता था लेकिन इस बार अभूतपूर्व सुरक्षा को देखकर हर कोई हैरान और परेशान नजर आया। गंगापुर रोड से जिन लोगों को शहर में आना था उन्हें ट्रांजिट कैम्प और सिडकुल से कई किलोमीटर चक्कर काटकर रूद्रपुर के लिए आना पड़ा।कई लोग जेसीज चौक से ट्रांजिट कैम्प होकर जब शिवनगर वाले रास्ते से बाजार की ओर आने लगे तो उन्हें शिवनगर वाले मोड़ पर पुलिस का सामना करना पड़ा और यहां से भी सिर्फ पैदल आने जाने वालों के लिए ही रास्ता खोला गया। जो लोग वाहन से आ रहे थे उन्हें वापस लौटा दिया गया। इस दौरान कई लोगों की पुलिस के साथ नोंक झोंक भी हुई। पुलिस कर्मी उच्चाधिकारियों के आदेशों का हवाला देते नजर आये। मरीजों को देखकर भी उनका दिल नही पसीजा। बाइक सवार एक दंपत्ति अपने बीमार मासूम बच्चे को लेकर अस्पताल ले जा रहे थे यह वाकया करीब साढ़े नौ बजे का है। दंपत्ति पुलिस के सामने गुहार लगाने लगे, उनका कहना था कि बीमार बच्चे के इलाज के लिए उन्हें अस्पताल पहुंचना जरूरी है लेकिन पुलिस कर्मियों ने संवेदहीनता की हदें पार कर दी और बीमार बच्चे को पैदल लेकर जाने को कहा। एक पुलिस कर्मी ने नसीहत दी कि अगर ज्यादा दिक्कत है तो एंबुलेंस को फोन कर लो। लेकिन बाइक नहीं जाने देंगे। थक हारकर दंपत्ति ने वहां से लौटने में ही भलाई समझी।साईकिल से स्कूल जा रहे कई स्कूली बच्चे भी वापस घर लौटने के लिए मजबूर हो गये। इसी तरह कई सरकारी और प्राईवेट कर्मचारियों को भी मोदी की रैली के चलते फजीहत उठानी पड़ी। चिकित्सा जैसी जरूरी सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों तक को पुलिस ने वापस लौटा दिया। कई मीडिया कर्मियों के पास तो पास भी थे लेकिन उन्हें भी रोक लिया गया। मीडिया कर्मियों से वाहन का पास अलग से लाने को कहा गया जबकि सूचना विभाग की ओर से वाहनों के लिए कोई पास की व्यवस्था नहीं की गयी थी। जगह-जगह पुलिस की रूखे व्यवहार से नाराज लोग पुलिस प्रशासन के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी को भी कोसते नजर आये। बरहाल व्यवस्था ठीक ना होने के कारण प्रधानमंत्री ने भी माफी मांगी। वहीं पत्रकार कर्मियों को भी काफी फजीहत झेलनी पड़ी। नौकरी थी करनी है ….
इसलिए धूप में भी पैदल लेफ्ट राइट करना पड़ा। मजेदार बात यह है कि कई लोगोंने यहां तक कह दिया कि केवल इस कार्यक्रम के गुणगान ही करेंगे पत्रकार सभी मोदी गोदी के हैं। जो हम लोग की फजीहत हो रही है वह नहीं लिखेंगे।