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कांग्रेस के समय में शराब का मनमाना ब्रांड ही बिका
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने सुनाया अपना फैसला
देहरादून। कहावत है कि करे कोई और भुगते कोई और। यह कहावत उत्तराखंड मंडी परिषद पर सटीक बैठती है। हरदा की सरकार के समय में खासी चर्चा में रहे शराब के एक ब्रांड डेनिस को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने मंडी परिषद पर एक करोड़ रुपये की जुर्माना लगाया है। आय़ोग ने माना कि डेनिस ब्रांड की बिक्री बढ़ाने के लिए मंडी परिषद ने अन्य ब्रांड मांग के बाद भी फुटकर विक्रेताओं को उपलबध्ध नहीं कराए।
हरीश रावत सरकार के समय में डेनिस ब्रांड की शराब खूब छाई रही। फुटकर विक्रेताओं को बाजार की मांग के अनुसार अन्य ब्रांड उपलब्ध ही नहीं कराए गए। उस समय शराब की थोक बिक्री का काम मंडी परिषद के पास था। उस समय खासी चर्चा रही कि देहरादून निवासी एक शराब निर्माता ही यह तय करता था कि मंडी परिषद कौन की शराब खरीद पर बाजार में उपलब्ध कराएगी।
2016 में इंटरनेशनन स्प्रिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया मंडी परिषद की इस मनमानी के खिलाफ भारतीय प्रतिष्पर्धा आयोग में याचिका दाखिल की। इसमें जीएमवीएन और केएमवीएन को भी पार्टी बनाया गया था। आयोग ने लंबे समय तक इस मामले की सुनवाई की। याची की ओऱ से दाखिल दस्तावेजी सूबतों का भी अध्ययन किया गया।
विगत 30 मार्च को आयोग के अध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता और सदस्यों सुश्री संगीता वर्मा और भगवंत सिंह बिश्नोई एक मत से अपना फैसला सुनाया। इसमें कहा गया कि मंडी परिषद ने मनमाने तरीके डेनिस ब्रांड ही बेचने के लिए फुटकर विक्रेताओं को मजबूर किया गया। लिहाजा मंडी परिषद पर एक करोड़ का जूर्माना लगाया जाता है।