बिन्दुखत्ता/लालकुआं
23 मार्च
‘माले’ द्वारा भगत सिंह और साथियों के शहादत पर कार्यक्रम आयोजित
संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर होने जा रहे 26 मार्च के भारत बंद के समर्थन का ऐलान
भाकपा (माले) द्वारा शहीदे आज़म भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के शहादत दिवस पर कार रोड बिन्दुखत्ता में पार्टी कार्यालय दीपक बोस भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। भगत सिंह और साथियों के साम्राज्यवाद विरोधी- साम्प्रदायिकता विरोधी संघर्ष को याद करते हुए क्रांतिकारी जोश-खरोश के साथ उनके रास्ते पर चलने और उनके विचारों के अनुरूप बराबरी पर आधारित एक शोषणमुक्त भारत बनाने की लड़ाई को तेज करने का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए भाकपा (माले) राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, “भगत सिंह के किसानों-मेहनतकशों की दावेदारी के सपने को पूरा करने के लिए भगत सिंह के असली वारिस आज खेत-खलिहानों से निकलकर सड़कों पर उतरते हुए देश की राजधानी के बॉर्डर पर पिछले 4 महीने से घेरा डाले हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि, “आज के नए कंपनी राज के विरुद्ध किसान अपने आंदोलन को दूसरी आज़ादी की लड़ाई के रूप में देख रहे हैं। इसलिए पहली आज़ादी की लड़ाई के प्रतीक, उसके विचार, उसके नायक, उनका शौर्य और बलिदान इस दूसरी आज़ादी की लड़ाई के लिए सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं। भगत सिंह और साथियों की वैचारिक विरासत इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।”
कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ किसान नेता बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “भगत सिंह के लिए किसानों-मेहनतकशों के राज की बात केवल इनके प्रति सहानुभूति का परिणाम नहीं थी, बल्कि वे इस बात को समझते थे कि देश को सच्ची राष्ट्रीय मुक्ति भी तब तक नहीं मिल सकती, जब तक वह मुक्ति किसानों-मजदूरों की मुक्ति पर आधारित समाज की स्थापना की ओर कदम न बढ़ाये। करोड़ों किसानों के हितों को रौंदते हुए लाये गए कृषि कानून जो भारतीय कृषि को साम्राज्यवादी देशों की जरूरतों के अनुरूप ढालने, कारपोरेटीकरण तथा नए कंपनी-राज की ओर ले जाएंगे।”
माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मौजूदा मोदी सरकार भी किसानों के प्रति अंग्रेजों जैसी ही क्रूर संवेदनहीनता, वैसा ही दमन, साजिशें, बाँटो और राज करो की वही विभाजनकारी नीति अपना रही है जिसने कम्पनी राज की नए सिरे से वापसी और खेती की जमीन छिनने का खतरा पैदा कर दिया है। इसके खिलाफ़ लड़ाई भगत सिंह के रास्ते पर चलकर ही की जा सकती है।”
आइसा नेता धीरज कुमार ने कहा कि, “भगत सिंह की यह समझ सही साबित हुई कि उपनिवेशवाद-विरोधी संघर्ष में साम्प्रदायिक ताक़तों से पैदा खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, भगत सिंह ने साफ कहा था कि साम्प्रदायिकता उतना ही बड़ा खतरा है जितना बड़ा उपनिवेशवाद। आज साम्प्रदायिक फासीवाद के राष्ट्रीय यह उनकी दूरदृष्टि का परिचायक है। छात्र युवाओं को भगत सिंह के विचारों से प्रेरणा लेने की जरूरत है।”
कार्यक्रम में संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर होने जा रहे 26 मार्च के भारत बंद के समर्थन का ऐलान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता क्रांतिकारी किसान नेता बहादुर सिंह जंगी ने व संचालन माले की बिन्दुखत्ता कमेटी के सचिव ललित मटियाली ने किया। कार्यक्रम में राजा बहुगुणा, बहादुर सिंह जंगी, डॉ कैलाश पाण्डेय, नैन सिंह कोरंगा, विमला रौथाण, ललित मटियाली, गोविंद सिंह जीना, पुष्कर दुबड़िया, बिशन दत्त जोशी, स्वरूप सिंह दानू, प्रभात पाल, ललित जोशी, किशन बघरी, राजेन्द्र शाह, हरीश भंडारी, कमल जोशी, त्रिलोक राम, खीम सिंह वर्मा, धीरज कुमार, शिवा, शान्ति देवी, गरिमा, सुमित कार्की, प्रदीप जलाल, मुकुल नयाल,अभिषेक, विकास, चेतन आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।