मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का युग समाप्त हो गया है अब राज्य मंत्री धनसिंह धनदा को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा एक तो असंतुष्ट नेताओं को मनाना दूसरा बागी नेता जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए तीसरा सबको साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती है क्योंकि समय बहुत कम है 2022 के चुनाव के लिए मात्र 10 महीने के लगभग बाकी है धन सिंह रावत के लिए बहुत बड़ी चुनौती है हालांकि उनको संगठन में जबरदस्त पकड़ है उन्हें हर कार्यकर्ता के नाम से जानते हैं प्रशासनिक अनुभव भल्ला की कम है परंतु वह कैसे सब को मिलाकर एक साथ लेकर चलेंगे यह उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती है मजेदार बात यह है प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत चीक चीक कर कह रहे थे कि मुख्यमंत्री को कोई खतरा नहीं है मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा उन्होंने झूठ बोल कर भी एक नया इतिहास रचा है जबकि हाईकमान ने 48 घंटे पहले ही इनको हटाने का मन बना लिया था उनको प्रदेश अध्यक्ष झूठ बोल बोल कर किस संगठन की गरमा नष्ट हुई हंसी का फव्वारा बनकर आ जाए