
हल्द्वानी: कमालुव। गांजा/बोरा कॉलोनी में स्थित फिर चल पड़ी अवैध फैक्ट्री, ‘जहरीले काले’ धुएं से सैकड़ो हरे -भरे पेड़ हो रहे हैं नष्ट, सैकड़ो कॉलोनी के घरों में आ रही है काला धुआं, नागरिकों ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर लगाई गुहार, संबंधित विभाग ‘आंख बंद’ किया किसी बड़े नुकसान के इंतजार में बैठा है? Ashok Gulati editor in chief एक्सक्लूसिव लाइव/समरणीय है कि कुछ महत्वपूर्ण देव भूमि माया न्यूज़ पोर्टल चैनल ने ने इस काले धुआं के खिलाफ लाइव खबर चलाई थी, तत्पश्चात जिला प्रशासन हरकत में आया था, और अधिकारियों ने स्वीकार किया था कि यह अवैध फैक्ट्री चल रही थी उन्होंने सील कर दिया था, और फैक्ट्री बंद हो गई थी सैकड़ो परिवारों ने राहत की सांस ली थी, इधर विगत सप्ताह पुराने प्लास्टिक जलाकर दाना बना रहा है जिससे जहरीला धुआं कई किलोमीटर दूर तक सैकड़ो लगे हरे भरे पेड़ों को नष्ट कर रहा है , सरकार द्वारा हजारों करोड़ रुपए खर्च करके पर्यावरण बचाने के लिए महिम चला रहे हैं, वही यह फैक्ट्री मालिक पर्यावरण नष्ट करने में लगा हुआ है, इसके अलावा बोरा कॉलोनी, कमलवा गंज। कॉलोनी के सैकड़ो परिवार इस जहरीले धुएं से ग्रस्त है, इस जहरीले धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत आ रही है, नागरिकों का कहना है कि कई बार जिला प्रशासन को इस संदर्भ में अवगत करवाया, परंतु जिला प्रशासन कान में तेल डाले बैठा हुआ है, आखिर हताश होकर नागरिकों ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर इस जहरीले हुए से मुक्ति दिलाने की गुहारलगाई है, क्षेत्रवासियों को कहना है कि यदि शीघ्र यह फैक्ट्री बंद नहीं हुई तो बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाया जाएगा, अब यह सवाल उठता है कि जब संबंधित विभाग ने फैक्ट्री को सील कर दिया था आखिर किसके आदेश पर दोबारा शुरू हो गई है, आचार्य चकित बात यह है कि इस दोनों महत्वपूर्ण कॉलोनी में कई रिटायर्ड अधिकारी निवास करते हैं, उनका कहना था कि यह जहरीला काला धुआं आवासीय कॉलोनीयों के निकट फैक्ट्री को चलते कहीं भी पूरे भारत में नहीं देखा है, परंतु दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है की देवभूमि उत्तराखंड में खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, और अधिकारी चैन की ‘बंसी बजा’ रहे हैं, ..

सरकार जहां पर्यावरण बचाने के लिए करोड रुपए खर्च कर रहे थे, वही यह फैक्ट्री मालिक न केवल हजारों हरे भरे पेड़ों को नष्ट कर रहा है, बल्कि नागरिकों का जीना भी दुश्वार कर दिया है, अब देखना होगा यह खबर चलने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आता है कि नहीं?

































































