आज दिल्ली सरकार के एक मंत्री राजकुमार आनंद का इस्तीफा. पार्टी से भी टाटा बाय बाय.; लगाए गंभीर आरोप…
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता हमेशा सीना ठोककर यह कहते थे कि अपनी लाख कोशिशों के बाद भी भाजपा उसके मंत्रियों-विधायकों को तोड़ नहीं पाई है। उनका आरोप होता था कि पूरे देश में भाजपा का कथित ‘ऑपरेशन लोटस’ सफल रहा है, लेकिन दिल्ली में उसके नेताओं को तोड़ने की कोशिशें अभी तक सफल नहीं हो पाई हैं। चंडीगढ़ मेयर प्रकरण में पहली बार यही बात साबित हुई थी, लेकिन आज दिल्ली सरकार के एक मंत्री राजकुमार आनंद के इस्तीफे के साथ ही यह साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल की ये मजबूत ‘दीवार’ फिलहाल टूट गई है। इस समय अरविंद केजरीवाल के लिए अपनी पार्टी बचाने की चुनौती उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी मानी जा रही है।
जिस तरह राजकुमार आनंद ने पार्टी छोड़ते समय अरविंद केजरीवाल सरकार पर दलितों-पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाया है, माना जा रहा है कि यह आम आदमी पार्टी के दलित-पिछड़े वोट बैंक को चोट पहुंचाने की कोशिश है। आम आदमी पार्टी की पूरी राजनीति दलित-पिछड़े और मुसलमान वोट बैंक के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। यह वोट बैंक ही अरविंद केजरीवाल के सबसे बड़े समर्थक के तौर पर उभरा था, लेकिन जिस तरह इसी वर्ग से आने वाले राजकुमार आनंद ने अपने पद से इस्तीफा दिया, और उसके पीछे दलितों के लिए काम करने की आजादी न होने का आरोप लगाया है, उससे दलित मतदाता केजरीवाल से दूर जा सकता है।
अरविंद केजरीवाल के लिए शराब घोटाले के संदर्भ में भी यह बड़ा झटका साबित हो सकता है। अब तक दूसरे दलों के लोग या जांच एजेंसी के सहारे अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते थे, लेकिन जिस तरह राजकुमार आनंद के ठिकानों पर भी ईडी की छापेमारी हुई थी, माना जा रहा है कि वे भी इस मामले में अहम गवाह साबित हो सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो केजरीवाल पर आम आदमी पार्टी के अंदर से आई यह बड़ी चुनौती होगी।