शंभू बॉर्डर पर लगातार किसानों की संख्या बढ़ रही है। किसान दिल्ली कूच की तैयारी में हैं। निहंग सिहों का जत्था भी शंभू बॉर्डर पहुंच गया है। बोले सो निहाल के जयकारों से इलाका गूंज उठा।…..
शंभू बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा लगातार बढ़ रहा है। नए जुड़ने वाले किसानों में युवा ज्यादा हैं। रविवार को किसान आंदोलन के छठे दिन बाॅर्डर पर माहौल शांतिपूर्ण रहा, लेकिन शाम को उत्साह में कुछ नौजवानों ने रस्सी फांद कर आगे जाने की कोशिश की परंतु सुरक्षा कर्मियों ने आगे नहीं जाने दिया गया;बॉर्डर पर जुटे किसानों का रुख साफ है कि उनकी मांगों का हल न होने पर दिल्ली कूच किया जाएगा। रविवार को निहंगों का जत्था भी शंभू बॉर्डर पहुंचा। इस मौके पर बोले सो निहाल के जयकारों से सारा माहौल गूंज उठा। रविवार को खराब मौसम के चलते दिन में ठंडक बढ़ने के बावजूद किसानों का जोश कम नहीं हुआ।
किसानों ने महिलाओं के साथ लंगर बनाने के काम में सहयोग करने के साथ-साथ अपने भाषणों के जरिये नौजवानों में खूब जोश भरा। बाॅर्डर पर दिन भर किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा।
बार्डर पर जगह-जगह विभिन्न संस्थाओं की ओर से रविवार को खीर, मीठे चावल, कढ़ी चावल, रोटी व दाल के लंगर लगाए गए। सेहत संबंधी कई समस्याएं होने के बावजूद गांव शंभू कलां से बॉर्डर पर पहुंचे 80 साल के किसान उजागर सिंह ने कहा कि किसान नेताओं से यही मांग है कि इस बार लिखित में केंद्र से मांगों के संबंध में वादा लिया जाए।
बैठक में मांगों का हल न होने पर दिल्ली कूच किया जाएगा। अब आर-पार की लड़ाई लड़े बिना कुछ नहीं होगा, क्योंकि जब खेतीबाड़ी नहीं रही तो फिर किसान खुद खत्म हो जाएगा।
फतेहगढ़ साहिब से पहुंचे किसान परमजीत सिंह ने कहा कि किसान नेताओं के कहे पर ही आगे कदम उठाया जाएगा, लेकिन किसान नेता भी यही चाहेंगे कि दिल्ली जाकर मांगों को लेकर लड़ाई लड़ी जाए, क्योंकि किसान हर हाल में मांगें मनवाना चाहते हैं।उम्मीदों के सहारे गुरदासपुर का एक किसान साइकिल से करीब 300 किलोमीटर की यात्रा कर अपनी मांगों को मनवाने के लिए विरोध कर रहे किसानों को समर्थन देने पंजाब-हरियाणा की सीमा शंभू बॉर्डर पर पहुंच है। किसान सुखविंदर ने कहा कि मैं घर पर बेचैन था और खुद को साथी किसानों की हालत का पता करने से रोक नहीं सका।
65 साल की धीर कौर ने कहा कि इस मोर्चे को फतेह करने में महिलाएं भी पूरा योगदान देंगी। बैठक में बात बन गई तो बहुत अच्छा है, नहीं तो दिल्ली जाकर पहले की तरह आंदोलन लड़ेंगे। फिर चाहे कितनी ही देर वहां रुकना पड़े।
गुरदासपुर का एक किसान साइकिल से करीब 300 किलोमीटर की यात्रा कर शंभू बॉर्डर पहुंचाlये किसान अपनी जायज मांगों के लिए कड़ाके की ठंड में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मेरा भाई भी कुछ दिन पहले एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में आया था जोकि शंभू बॉर्डर पर ही है। मैंने भी यहां आने का निर्णय लिया और साइकिल से आया। गुरदासपुर के किसान ने बताया कि वह 17 फरवरी की सुबह आठ बजे अपने घर से निकले थे, जिसके चलते 24 घंटों से ज्यादा का सफर तय कर अपने किसान भाइयों के लिए शंभू बॉर्डर पर पहुंचा हूं और आते ही आज शाम को रखी मीटिंग में हल निकलने करने के लिए भी कोशिश की जा रही है l
किसानों के समर्थन में उतरीं कई समाजसेवी संस्थाएं
शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में समाजसेवी संस्थाएं भी उतर गई हैं। खालसा एड, जेएसडब्ल्यू, पहरेदार कई प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टर व उनके स्टाफ सहित कई अन्य समाज सेवी संस्थाएं किसानों को पीने के पानी, दवाइयां, उनकी सेहत जांच के लिए लगाए जा रहे कैंप, दूध, जूस, बिस्कुट, लस्सी, 24 घंटे लंगर की व्यवस्था सहित अन्य जरूरत की हर चीज मुहैया करवा रही हैं। हालांकि ये पहली दफा नहीं जब ये संस्थाएं किसानों के समर्थन में आयी हो। इससे पहले भी खालसा एड सहित कई संस्थाओं ने दिल्ली के सिंधु टिकरी बॉर्डर पर भी मोर्चा संभाला था।