👉मुख्यमंत्री ने 400 करोड़ के विकास कार्यो का लोकार्पण एवं शिलान्यास कर सीमांत जनपद चमोली को दी बड़ी सौगात।
👉 मुख्यमंत्री ने भोजपत्र पर कैलीग्राफी, पारंपरिक रांछ पर कालीन बुनाई और पैडल चरखे पर ऊन कताई के साथ पहाड़ी व्यंजनों का भी लिया स्वाद।
गौचर (विशेष संवाददाता) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को गौचर में आयोजित ‘नंदा-गौरा’ महोत्सव में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि हमारी मातृशक्ति प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल’’ के मंत्र को धरातल पर उतारने का काम कर रही है। मातृशक्ति के सहयोग से ही हमारा राष्ट्र उन्नति के नए शिखर को छू रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सीमांत जनपद चमोली के लिये 400 करोड से अधिक़ की 604 विकास योजनाओं का लोकापर्ण एवं शिलान्यास किया। जिसमें 97 करोड लागत़ की 260 योजनाओं का लोकार्पण तथा 303 करोड़ की 344 योजनाओं का शिलानयास शामिल है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कन्या पूजन कर मातृशक्ति को भी सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री के रोड शो में उमड़ा जन सैलाब
मुख्यमंत्री ने गौचर हवाई पट्टी से मेला मैदान तक विशाल रोड शो में भी प्रतिभाग किया। इस दौरान सीमांत के लोगों तथा स्थानीय विद्यालय के छात्रों ने पारंपरिक परिधान एवं वाद्य यंत्रों के साथ पुष्प वर्षा कर मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया। महिलाओं ने कलश यात्रा और विद्यालय के बच्चों ने नंदा देवी राजजात, छोलिया नृत्य, पांडव नृत्य, मंगलगान, लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री ने हजारों की संख्या में पहुंची मातृशक्ति का अभिवादन किया।
मुख्यमंत्री ने पहाड़ की पारंपरिक वस्तुओं को बढ़ावा देने के उदेश्य से रांछ पर कालीन बुनाई, पहाड़ की पारंपरिक चक्की (जांदरा) चलाया, पैडल चरखे पर ऊन कताई, रिंगाल की टोकरी बुनने और दुर्लभ भोजपत्र पर कैलीग्राफी भी की और महिला समूहों के साथ विभिन्न क्रियाकलाप कर स्थानीय संस्कृति को जाना और अपनी पुरानी यादों को साझा किया। मुख्यमंत्री ने उत्पादों की सराहना करते हुए यात्रा मार्ग पर भी आउटलेट खोलने एवं पारंपरिक तरीके से बन रहे कालीन, पंखी, दोखे, शौल, टोपी आदि का खूब प्रचार करने को कहा। मुख्यमंत्री ने लेन्टाना घास से बनाई गई उपयोगी सामग्री की भी सराहना की।
नंदा-गौरा महोत्सव को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा मां नन्दा चमोली जिले के साथ ही पूरे गढ़वाल और कुमांऊ मंडल में अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजनीय है। मां नंदा को हम ध्यांण मानते हैं और एक विवाहित बेटी के रूप में मां नंदा की कैलाश विदाई के लिए हर साल सिद्वपीठ कुरूड़ से लोकजात यात्रा और 12 वर्षो में राजजात यात्रा आयोजित की जाती है। जबकि गौरा देवी पर्यावरण संरक्षण को लेकर विश्व विख्यात चिपको आंदोलन की अगुवा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह भगवान बद्रीनाथ की पावन भूमि है। उन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल होना अपना सौभाग्य बताया।