- शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्मदिन पर छात्र संगठन आइसा द्वारा गोष्ठी का आयोजन
- कोई सरकार जनता के बुनियादी अधिकारों पर हमला करे तो जनता का बुनियादी अधिकार व कर्तव्य बनता है कि ऐसी सरकार को उखाड़ फेंके
बिंदुखत्ता: (लाल कुआं) संवाददाता ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) द्वारा शहीदे आज़म भगत सिंह भगत सिंह के जन्मदिन 28 सितंबर पर उन्हें याद करते हुए कार रोड बिंदुखत्ता में “विचार गोष्ठी” का आयोजन किया गया। शुरुआत भगत सिंह के प्रिय नारे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ को बुलंद करके की गयी। इस अवसर पर देश में सचेत रूप से फैलाए जा रहे धार्मिक उन्माद के खिलाफ जन जागरण का संकल्प लिया गया।
“विचार गोष्ठी” को संबोधित करते हुए भाकपा माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “आज देश के हालात जिस तरह से बन गए हैं ऐसे में शहीदे आज़म भगत सिंह के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं। शहीदेआजम भगत सिंह की यह उक्ति मोदी सरकार के पर बिल्कुल सटीक बैठती है कि, जो सरकार जनता के बुनियादी अधिकारों पर हमला करे उसके लिए जनता का बुनियादी अधिकार व कर्तव्य बनता है कि ऐसी सरकार को उखाड़ फेंके।”
उन्होंने कहा कि, “सरकारी खजाने की लूट, महिलाओं- दलितों- अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले, बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी और आमजन के अधिकार पर बढ़ते हमले इस सरकार की पहचान बन गए हैं। मजदूर,किसान, बेरोजगार, छात्र, युवा, महिलाएं,छोटे मझोले व्यवसाई व समाज के सभी कमजोर हिस्से अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। ऐसे में देश की जनता खासतौर पर छात्र युवाओं को इस जनविरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए आगे आना होगा।”
आइसा के नैनीताल जिलाध्यक्ष धीरज कुमार ने कहा कि, “शहीदे आज़म भगत सिंह के विचार बराबरी पर आधारित नए भारत के निर्माण के लिए हमारे प्रेरणा का स्रोत हैं। भेदभाव रहित, समानता पर आधारित समाज का भगत सिंह का सपना पूरा करना आज और भी जरूरी हो गया है। इसलिये पूंजीपतियों के अकूत मुनाफे के लिए नहीं बल्कि आम छात्र नौजवानों मजदूर किसानों मेहनत करने वालों के पक्ष में नीतियां बनाने वाली व्यवस्था की जरूरत है।”
माले नेता ललित मटियाली ने कहा कि, “आज के दौर में जिस तरह से धार्मिक, जातीय विभाजन तेजी से बढ़ रहा है, महिलाओं के शोषण उत्पीड़न की घटनाएँ बढ़ रही हैं ऐसे में शहीदे आज़म भगत सिंह के विचारों पर आधारित समाजवादी व्यवस्था बनाए जाने की प्रासंगिकता किसी भी समय की तुलना में और भी अधिक बढ़ गई है। इसके लिए समाज के रूपांतरण के संघर्ष में छात्रों नौजवानों को आगे आना होगा. आइसा जैसे क्रांतिकारी छात्र संगठन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”
विचार गोष्ठी में मुख्य रूप से डा कैलाश पाण्डेय, धीरज कुमार, ललित मटियाली, विमला रौथाण, निर्मला शाही, कमल जोशी, अस्मिता, महेन्द्र, गोविन्द राजभर,वर्षा मंडल, गुंजन, निशा, प्रियंका आर्या, प्रीती आर्या, मनोज कश्यप, लक्ष्मण सिंह, ज्योति सिंह, विशाल सिंह, अभिषेक शाह आदि शामिल रहे।