बिग ब्रेकिंग देहरादून: देवभूमि माया न्यूज़ पोर्टल चैनल का खबर का हुआ असर !👉24 घंटे के भीतर युवा मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान में@🥺 विवादित पूर्व कुलसचिव डॉ मृत्युंजय कुमार मिश्रा को ओएसडी से पुनः शासन से सम्बद्ध#👁️ अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ की:- विशेष रिपोर्ट

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देहरादून (अशोक गुलाटी editor-in-chief ) देवभूमि माया न्यूज़ पोर्टल चैनल की खबर का 24 घंटे के भीतर युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान में लेते हुए एक्शन लिया है। गौरतलब है कि बुधवार को देवभूमि माया ने प्रमुखता से खबर चलाई थी जिसका ‘शीर्षक’ (उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय मैं हैरतअंगेज कारनामा! 😲 कुलपति एक साल से डॉ मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ आला अफसरों से रिपोर्ट दर्ज करने की ‘गुहार’लगाते रहे ! 👉🥺 शासन ने बाहुबली विवादित मिश्रा को आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग में विशेष कार्याधिकारी (ओ एस डी) पद पर तैनात किया @😲 3 घंटे में 3 शासनादेश का संशोधन हुआ…. @..चौंकिए मत! यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलसचिव डॉक्टर मृत्युंजय कुमार मिश्रा पर मेहरबान क्यों है शासन? जबकि इनके खिलाफ विजिलेंस की चल रही है जांच!! ✔️ युवा मुख्यमंत्री की छवि पर लगा रहा है ब्यूरोक्रेट ‘बट्टा)! खबर चलने के कुछ ही घंटों पश्चात युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खबर को संज्ञान में लिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जीरो टॉलरेंस फिर सामने आई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर विवादित मृत्युंजय मिश्र को तत्काल प्रभाव से ओएसडी पद से हटाकर शासन में अटैच कर दिया है।विवादों में रहे और जेल गए मृत्युंजय मिश्र कल शासन से एक आदेशों के बाद आयुर्वेद एवं यूनानी निदेशालय में ओएसडी बनाए गए थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जैसे ही पूरे प्रकरण की जानकारी मिली ‌उन्होंने तत्काल कड़ी नाराजगी जताते करते हुए मृत्युंजय मिश्र को उस पद से बिना देर किए हटाने के आदेश किए मुख्यमंत्री के तेवर देख शासन में बैठे अफसरों में भी खलबली मच गईं। विवादित मृत्युंजय मिश्र को सचिवालय स्थित विभागीय दफ्तर से अटैच कर दिया गया है। अपने इस रवैए से सीएम ने साफ कर दिया है कि कोई गलत बात बर्दाश्त नही की जायेगीl दिवा सीएम के आदेश का फरमान मिलते ही ब्यूरोक्रेट्स में हड़कंप मच गया। कुछ ही घंटे पूर्व ओएसडी बने मृत्युंजय कुमार मिश्रा को पुनः शासन में अटैच कर दिया। गौरतलब है कि बुधवार को हमने यह सनसनीखेज खबर प्रकाशित की थीउत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय मैं हैरतअंगेज कारनामा सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। आप पढ़ेंगे तो दांतो तले उंगली दबा लेंगे। गौरतलब है कि कुलपति एक साल से अधिक डॉ मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ आला अफसरों से रिपोर्ट दर्ज करने की ‘गुहार’लगा रहे हैं कि विद्यालय की गाड़ी उन्होंने चोरी करके कब्जे में रखी हुई है उसके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की जाए; रिपोर्ट दर्ज होना तो दूर रहा शासन ने बाहुबली विवादित मृत्युंजय कुमार मिश्रा जी को आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग में विशेष कार्याधिकारी (ओ एस डी) पद पर तैनात किया गया है जबकि इस तरह का पद अब तक के इतिहास में नहीं था ?आश्चर्यचकित बात यह थी कि डॉ मिश्रा के लिए 3 घंटे में 3 शासनादेश का संशोधन हुआ । जिस के आदेश की कॉपी हम नीचे दे रहे हैं ।चौंकिए मत! यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलसचिव डॉक्टर मृत्युंजय कुमार मिश्रा पर मेहरबान क्यों है शासन? जबकि इनके खिलाफ विजिलेंस की जांच चल रही है । सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर छूटकर आए हैं ढाई साल तक जेल के सलाखों के पीछे भ्रष्टाचार के आरोप में बंद थे। त्रिवेंद्र सरकार के मंत्रिमंडल के आदेश को भी ब्यूरोक्रेट ने दर किनारे रख दिया है जिसमें डॉ मिश्रा को तत्काल मूल विभाग शिक्षा विभाग में जाने के आदेश दिए गए थे । आखिर ब्यूरोक्रेट क्यों मेहरबान है विवादित डॉक्टर मिश्रा बाद यह पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है वही दूसरी ओर युवा मुख्यमंत्री की छवि पर लगा रहा है ब्यूरोक्रेट बट्टा लगा रहे हैं ?जबकि युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह जीरो टॉयलेट्स की बात कर राज करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ब्यूरोक्रेट एक विवादित अधिकारी पर इतनी मेहरबानी क्यों बता रहे हैं जानकार रखने वाले विद्वान भी आश्चर्यचकित हैं। गौरतलब है कि

पूर्व कुलसचिव पर वाहन कब्जाने का आरोप
उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्व विद्यालय की बोलेरो एक साल से भी अधिक समय से गायब है। आरोप है कि इसे अवैध तरीके से पूर्व कुलसचिव ने कब्जा रखा है। लेकिन पुलिस एक साल बीतने के बाद भी उक्त वाहन को बरामद करना तो दूर मामले में रिपोर्ट दर्ज करने में भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही। मामले में वर्तमान कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी की ओर से पुलिस को पुनः वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया है कि विश्वविद्यालय का बोलेरो वाहन संख्या- यूú केú- 07 जीúएú- 1062 (बोलेरो), विगत एक वर्ष से भी अधिक समय से विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर हर्रावाला, देहरादून से गायब है। कई महीनो से इसकी शिकायत बार-बार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व कोतवाली डोईवाला व पुलिस चौकी, हर्रावाला को की जा रही है। लेकिन सम्बंधित अधिकारियों द्वारा अभी तक मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गयी है। पूर्व में विश्वविद्यालय के पूर्व प्रभारी कुलसचिव डाú राजेश कुमार ने भी इस प्रकरण में पुलिस चौकी और कोतवाली डोईवाला को शिकायत की गयी थी। आरोप है कि पूर्व कुलसचिव डाú मृत्युंजय कुमार मिश्रा द्वारा कूटरचित दस्तावेज बनाकर जबरन वाहन को अपने कब्जे में रखा गया है। यह वाहन विश्वविद्यालय स्तर पर कभी भी डाú मृत्युंजय कुमार मिश्रा को आबंटित नहीं किया गया है। वाहन शासकीय वाहन विश्वविद्यालय की संपति है। वाहन को अनाधिकृत रूप से कब्जाने से विश्वविद्यालय को लगातार वित्तीय क्षति हो रही है। कुलपति ने मामले में कानूनी कार्रवाई करते हुए वाहन को तुरंत बरामद करने की मांग की है। पूर्व में भी इसी तरह कई बार पुलिस के अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद मामले में पुलिस ने वाहन को बरामद करना तो दूर अभी तक रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की है। जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। शासन ने कुलपति की चिट्टियां को दरकिनार करते हुए विवादित भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद रहे और कुलसचिव डॉ मृत्युंजय कुमार मिश्रा जमानत पर सुप्रीम कोर्ट से बाहर आए हैं विजिलेंस की जांच चल रही है शासन ने उनको 26 जून को आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग में विशेष कार्याधिकारी (ओ एस डी) पद पर तैनात किया किया गया है ताज्जुब की बात यह है कि विभाग में इस तरह का कोई भी पद नहीं है । शासन की मेहरबानी देखिए डॉ मिश्रा पर 3 घंटे में 3 संशोधन कर दिए गए पहला संशोधन पत्रांक 977% 26 जून 2023/दूसरे घंटे में संख्या 981 26 जून 2023 संशोधन दूसरा आदेश जारी किया गया/तीसरे घंटे में 26 जून को…….दूसरे घंटे में संख्या 981 26 जून 2023 संशोधन दूसरा आदेश जारी किया गया/तीसरे घंटे में 26 जून को ही पत्रांक 982 संशोधन कर दिया गया। इस तरह 3 घंटे में एक विवादित अधिकारी की नियुक्ति के लिए इतिहास में पहली बार होगा कि 3 घंटे में तीन बार संशोधन किया गया यह खुलेआम भ्रष्टाचार की पोल खोल के रख दे रहा है। इन तीनों आदेशों की फोटो कॉपी हमने यह लगा रखी है।..विवादित एक अधिकारी के लिए( 26 जून 2023)1 दिन में 3 घंटे में 3 से संशोधन होना सवाल को कटघरे में खड़ा होना होना स्वाभाविक है? गौर करने की बात यह है कि त्रिवेंद्र सरकार के कैबिनेट के फैसले में इस अधिकारी को मूल शिक्षा विभाग में जाने के आदेश दिए गए थे और इस की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए गए थे ;उसके पश्चात भी ब्यूरोक्रेट ने इसकी ओएसडी में नियुक्ति करना हैरतअंगेज करना है? अगले अंक में आपको और सनसनीखेज खबर इसके बारे में बताएंगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे किस तरह युवा इमानदार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की छवि ब्यूरोक्रेट खराब कर रहे हैं?। खबर चलने के पश्चात मुख्यमंत्री ने खबर को गंभीरता से लेते हुए अधिकारी खिलाफ कड़ी कार्रवाई की।

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