🙏🏻 हर हर महादेव 🙏🏻
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌤️ दिनांक – 18 जून 2023
🌤️ दिन – रविवार
🌤️ विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
🌤️ शक संवत -1945
🌤️ अयन – उत्तरायण
🌤️ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
🌤️ मास – आषाढ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार ज्येष्ठ)
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – अमावस्या सुबह 10:06 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
🌤️ नक्षत्र – मृगशिरा शाम 06:06 तक तत्पश्चात आर्द्रा
🌤️ योग – गण्ड 19 जून रात्रि 01:00 तक तत्पश्चात वृद्धि
🌤️ राहुकाल – शाम 05:42 से शाम 07:22 तक
🌞 सूर्योदय-05:58
🌤️ सूर्यास्त- 19:21
👉 दिशाशूल- पश्चिम दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – आषाढ अमावस्या
🔥 विशेष – अमावस्या और रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
💥 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
💥 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
💥 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
🌞~वैदिक पंचांग ~🌞
🌷 गुप्त नवरात्रि 🌷
🙏🏻 हिंदू धर्म के अनुसार, एक साल में चार नवरात्रि होती है, लेकिन आम लोग केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। इनके अलावा आषाढ़ तथा माघ मास में भी नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा (19 जून, सोमवार) से होगा, जो आषाढ़ शुक्ल नवमी (27 जून, मंगलवार) को समाप्त होगी।
👺 शत्रु को मित्र बनाने के लिए 👺
🙏🏻 नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है।
🙏🏻 नवरात्रि में स्नानादि से निवृत हो तिलक लगाके एवं दीपक जलाकर यदि कोई बीज मंत्र ‘हूं’ (Hum) अथवा ‘अं रां अं’ (Am Raam Am) मंत्र की इक्कीस माला जप करे एवं ‘श्री गुरुगीता’ का पाठ करें तो शत्रु भी उसके मित्र बन जायेंगे l
👩🏻 माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग 1
👩🏻 जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दिया जलायें और कुम-कुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें ,पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें :
🌷 “ अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले “
🙏🏻 भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है l
👩🏻 माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग 2
🙏🏻 शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करें l (जैसे दूध, रोटी या खीर खा सकते हैं, नमक मिर्च का भोजन अगले दिन ही करें l)
🌷 • ” ॐ ह्रीं गौरये नमः “
🙏🏻 मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुम -कुम का तिलक करें l
🐄 गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ और रोटी खिलाएं l
💰 श्रेष्ठ अर्थ (धन) की प्राप्ति हेतु 💰
➡ प्रयोग : नवरात्रि में देवी के एक विशेष मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ अर्थ कि प्राप्ति होती है मंत्र ध्यान से पढ़ें :
🌷 ” ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह् “
👦🏻 विद्यार्थियों के लिए 👦🏻
🙏🏻 प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें।
📖 इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है l
बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें ।
🙏🏻 जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें। अतः इस सरल मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें l
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क्या है सभी 12 अमावस्या के नाम, कौन हैं अमावस्या तिथि के स्वामी
हमारे सनातन हिंदु धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में बताय गया है। सूर्य औऱ चंद्रमा के एक साथ होने से अमावस्या की तिथि होती है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है तो अमावस्या का शुभ संयोग बनता है।
दरअसल चन्द्रमा की 16वीं कला को ‘अमा’ कहा गया है जिसमें चन्द्रमा की 16 कलाओं की शक्ति शामिल है। अमा के कई नामों की चर्चा होती है, जैसे- अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी या अमामासी।
आप इसको इस प्रकार से भी समझ सकते कि अमावस्या के दिन चन्द्र दिखाई नहीं देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा जाता है, तब इसे ‘कुहू अमावस्या’ भी कहा जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं।
अमावस्या प्रत्येक माह में एक बार ही आती है। यानी वर्ष के 12 महीने में 12 अमावस्याएं होती हैं। धर्म शास्त्रों की बात करें तो अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है।
प्रमुख अमावस्या कौन सी हैं–
प्रमुख अमावस्याएं : सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्य अमावस्या होती है।
1.सोमवती अमावस्या– सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन व्रत रखने से चंद्र का दोष दूर होता है। और इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस दिन खासकर महिलाओं को विशेष रूप से अपने पति के लंबे जीवन के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत करना चाहिए।
2.भौमवती अमावस्या– मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा गया है। भौम अर्थात मंगल। इस दिन व्रत रखने से कर्ज का संकट समाप्त होता है।विशेषकर इस दिन धन धान्य की कामना और कर्ज से मुक्ति के लिए व्रत रखा जाता है।
3.मौनी अमावस्या– मौनी अमावस्या का सनातन धर्म में बड़ा विशेष महत्व है जो कि माघ माह में आती है। इसे आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन गंगा तट पर स्नान,दान आदि का बड़ा महत्व बताया गया है।
4.शनि अमावस्या– शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं।
5.महालय अमावस्या– महालया अमावस्या को पितृक्ष की सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन अन्न दान और तर्पण आदि करने से पूर्वजों प्रसन्न होते हैं।
6.हरियाली अमावस्या– महादेव के प्रिय माह श्रावण में हरियाली अमावस्या आती है। जिसे महाराष्ट्र में गटारी अमावस्या , तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में चुक्कला और उड़ीसा में चितलागी अमावस्या कहते हैं। इस दिन पौधा रोपण करने का महत्व है। इस दिन पितरों की शांति हेतु भी पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं।
7.दिवाली अमावस्या– कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या के समय दीपोत्सव मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन रात सबसे घनी होती है। मूल रूप से यह अमावस्या माता कालीका से जुड़ी हुई है इसीलिए उनकी पूजा का महत्व है। इस दिन लक्ष्मी पूजा का महत्व भी है। कहते हैं कि दोनों ही देवियों का इसी दिन जन्म हुआ था।इसी दिन दिवाली का मुख्य त्योहार देश भर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
8.कुशग्रहणी अमावस्या– कुश एकत्रित करने के कारण ही इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है। इस दिन को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है। पिथौरा अमावस्या को देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
अन्य सभी अमावस्याएं दान और स्नान के महत्व की हैं। वह जिस वार को आती है उसी वार के नाम से जानी जाती है। मूलत: इनके नाम 12 माह के नामों पर आधारित भी होते हैं।
अमावस्या पर रखी जाने वाली सावधानियां :
अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन, मदिरापान से दूर रहना चाहिए
🙏 जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष
“दिनांक 19 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 1 होगा। आप साहसी और जिज्ञासु हैं। आपका मूलांक सूर्य ग्रह के द्वारा संचालित होता है। आप अत्यंत महत्वाकांक्षी हैं। आपकी मानसिक शक्ति प्रबल है। आपको समझ पाना बेहद मुश्किल है। आप आशावादी होने के कारण हर स्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं। आप सौन्दर्यप्रेमी हैं। आपमें सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला आपका आत्मविश्वास है। इसकी वजह से आप सहज ही महफिलों में छा जाते हैं। आप राजसी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। आपको अपने ऊपर किसी का शासन पसंद नहीं है।
शुभ दिनांक : 1, 10, 19, 28
शुभ अंक : 1, 10, 19, 28, 37, 46, 55, 64, 73, 82
शुभ वर्ष : 2026, 2044, 2053, 2062
ईष्टदेव : सूर्य उपासना तथा मां गायत्री
शुभ रंग : लाल, केसरिया, क्रीम,
कैसा रहेगा यह वर्ष
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष उत्तम रहेगा। पारिवारिक मामलों में महत्वपूर्ण कार्य होंगे। पदोन्नति के योग हैं। बेरोजगारों के लिए भी खुशखबर है इस वर्ष आपकी मनोकामना पूरी होगी। यह वर्ष आपके लिए अत्यंत सुखद रहेगा। अधूरे कार्यों में सफलता मिलेगी। अविवाहितों के लिए सुखद स्थिति बन रही है। विवाह के योग बनेंगे। नौकरीपेशा के लिए समय उत्तम हैं।”