देहरादून। (अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ)। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज मैं भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए रात-दिन संघर्ष कर रहे हैं वही अधिकारी अपने स्वार्थ के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं एक मामूली सा स्कूल का टीचर कैसे इतने बड़े पद पर पहुंचा आप सुनेंगे तो दातों तले उंगली दबा लेंगे । देवभूमि माया न्यूज़ पोर्टल चैनल विगत 8 माह से लगातार प्रमुखता से खबर छाप रहे थे। खबर का इतना जबरदस्त असर हुआ कि तत्कालीन प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश कुमार ने तीन सदस्य जांच कमेटी बिठा दी गई और कमेटी से जांच सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट शासन देने को कहा गया था परंतु 8 माह बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी रही वही देवभूमि माया देवभूमि माया न्यूज़ पोर्टल चैनल में हार नहीं मानी और लगातार खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते रहे अब जाकर जांच कमेटी ने 21 मार्च 2023 को 48 पेज की जांच कुलपति को सौंपी है जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं कमेटी ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि एक पीटी टीचर संजीव कुमार पांडे 1 साल के लिए प्रतिनियुक्ति में 2014 सहायक कुलसचिव के पद पर आया था । गौर करने वाली बात यह है कि कार्यकाल पूरा होने के बाद एक अपने मूल विभाग में जाने के बजाय तिगड़म करके तत्कालीन कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा की साठगांठ से 2016 में सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए स्थाई सहायक कुलसचिव बन गया। गौर करने की बात यह है कि पीटी टीचर की पे ग्रेड 4200 वेतनमान है जबकि सहायक कुलसचिव का वेतनमान ₹4800 पे ग्रेड है। भ्रष्टाचार का खेल चलता रहा अब खेल एक और बड़ा रूप धारण कर लिया। स्मरणीय है कि तत्कालीन कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा भ्रष्टाचार के आरोप में ढाई साल जेल में जेल की रोटियां खाई थी सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहा हुआ था वर्तमान निलंबित चल रहे हैं मैं सचिवालय में आयुष विभाग में अटैच है। इधर दूसरी ओर संजीव कुमार पांडे सहायक कुलसचिव का दबदबा इस कदर बढ़ गया कि उसकी पकड़ शासन प्रशासन तक पहुंच गई जिसका प्रमाण यह हुआ मई 2022 माह में सभी नियमों को ताक में रखते हुए उप कुलसचिव बना दिया गया। वेतन मैट्रिक्स 56100. 177500 लेवल.10 के पद पर पदोन्नति हो गई ; इस तरह एक पीटी टीचर 4200 पे ग्रेड का कर्मचारी (क्लास वन) उप कुलसचिव पर तैनात हो गया। इस सनसनीखेज खबर देवभूमि माया न्यूज़ पोर्टल चैनल को मिली तो प्रमुखता से खबर प्रकाशित करते रहे आखिर तत्कालीन कुलसचिव ने 3 सदस्य जांच बैठा दी गई जिसकी विगत दिनों 48 पेज की रिपोर्ट शासन को प्रेषित की गई। गौरतलब है कि इस पूरे प्रकरण की शुरुआत उत्तराखंड उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय देहरादून की स्थापना 2010 में हुई थी; इसके लिए सहायक कुलसचिव की आवश्यकता थी; जिसको शिक्षा विभाग ने लिए उधम सिंह नगर के मुख्यालय रुद्रपुर में पीटी टीचर कार्यरत संजीव कुमार पांडे को 1 साल के लिए डेपुटेशनसहायक कुलसचिव पद राज्य सरकार के नियमावली में जब प्रतिनियुक्ति व समायोजन का नियम नहीं था तब तो विश्वविद्यालय की परिनियमावली से प्रतिनियुक्ति वो भी सीधे एक व्यक्ति को बुलाकर दे दी गई और फिर बाद में समायोजन भी कर दिया गया । अजीब बात है । और जब पदोन्नति का समय आया तो फिर राज्य सरकार का नियम बताकर/लगाकर उपकुलसचिव के लिए पदोन्नति की कार्यवाही कर दी गई । मा उच्च न्यायालय को भी शासन में व विश्वविद्यालय में बैठे कुछ इसके हितैषियों व मित्रों द्वारा तत्सम पुनः विश्वविद्यालय की परिनियमावली में संशोधन करवा दिया गया । जबकि ऐसा होना भी नहीं चाहिए था । फिर उल्टा खेल शुरू हुआ और जैसा कि स्थायी सहायक कुलसचिवों में से उपकुलसचिव पद पर पदोन्नति होनी चाइये थी परन्तु केन्द्रीय राज्य परिनियमावली 2006 के अनुसार अन्य विश्वविद्यालय से भी सहायक कुलसचिव को इसमें शासन को शमिल करना चाहिए था, वरिष्ठता क्रम बनता फिर इस उपकुलसचिव पद पर योग्य की पदोन्नति होती परन्तु शासन द्वारा जानबूझकर यह खेल खेला गया और अन्य किसी अभ्यर्थियों को शामिल ही नहीं किया गया । केवल आयुर्वेद विश्वविद्यालय में गलत प्रतिनियुक्ति व गलत समायोजन वाले सहायक कुलसचिव जो मूलतः विद्यालयी शिक्षा विभाग का एक पीटी मास्टर था । उसी को पुनः उपकुलसचिव पद पर पदोन्नति कर दी गई जबकि कुलपति द्वारा सचिव, आयुष को संबोधित अपने पत्र में स्पष्ट उक्त बातों का उल्लेख किया गया था । अंधेरगर्दी मचा रखी है सचिवालय में बैठे लाल फीताशाही ने और ये अपने अनुसार कार्य कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं । आयुर्वेद विश्वविद्यालय का यह प्रकरण इस बात की और अधिक पुष्टि करता है । क्या संजीव पांडेय स्थाई रुप से नियुक्त सहायक कुलसचिव था अथवा नहीं उपरोक्त नियम से तो स्पष्ट होता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए । परन्तु ये लाल फीताशाही और कुछ मृत्यंजय मिश्रा और संजीव पांडेय जैसे गठजोड़ कुछ भी करवा सकते हैं ये तो उत्तराखंड में तय बात है । भले उत्तराखंड के रहने वाले एक एक नौकरी को तरशते रहें और मुख्यमंत्री जी जीरो करप्शन की बात करते रहें । इस संदर्भ में देवभूमि माया न्यूज़ पोर्टल चैनल editor-in-chief अशोक गुलाटी ने रजिस्टार से संपर्क किया तो उनका कहना था कि 3 सदस्य जांच कमेटी बैठाई थी इसमें प्रोफेसर पंकज कुमार;इसमें प्रोफेसर पंकज कुमार; प्रोफ़ेसर की धज्जियां उड़ाते हुए राजपत्रित अधिकारी अधिकारी बना दिया गया। इधर दूसरी और रुद्रपुर के जागरूक नागरिक सीपी गंगवार ने मुख्य सचिव को एक शिकायती पत्र एफिडेविट के साथ प्रेषित किया था और इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की थी। प्रमुख सचिव आयुष देहरादून ने इस मामले को गंभीरता से देखते हुए आयुष एवं विभाग को जांच के आदेश दिए थे इधर श्री पांडे का इस क़दर दबदबा था कि जांच को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। हमने आपको( पूर्ण में भी बता में बताया था। इस नियुक्ति के खिलाफ देश के विख्यात एवं मरम के विशेषज्ञ चिकित्सक प्रोफेसर डॉक्टर कुलपति सुनील कुमार जोशी ने पत्रांक 137 ; 21 -4 2022 को सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग उत्तराखंड शासन उत्तराखंड शासन को पत्र भेजकर पांडे की नियुक्ति पर आपत्ति की थी; परंतु इसके बाद भी शासन ने इसको गंभीरता से नहीं लिया; और इनके पत्र को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। गौर करने की बात यह है कि यदि आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय ने पद हेतु समाचार पत्रों में रिक्त पद के लिए प्रकाशित करते जिससे हजारों पीएचडी करे हुए आयुर्वेदिक डॉक्टर बेरोजगार बैठे हुए हैं जबकि आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में केवल आयुर्वेदिक डॉक्टर की ही नियुक्ति हो सकती है। आश्चर्य की बात यह है कि कुलपति ने भारत सरकार को पत्र लिखा है गाजीपुर एक होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज से बर्खास्त एक प्रोफेसर राकेश कुमार मिश्रा आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय की गोपनीय ढंग से पत्र लेकर व्हाट्सएप फेसबुक सोशल मीडिया में डाल रहा है इससे विश्वविद्यालय की बदनामी हो रही है और इसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है; क्योंकि इसका मुख्य कारण विवादित सहायक डिप्टी रजिस्ट्रार संजीव कुमार पांडे का रिश्तेदार होना है। जोकि पांडे का रिश्तेदार है इसके कारनामे के चलते गाजीपुर कॉलेज से बर्खास्त कर दिया गया था । वर्तमान में राजकोट (गुजरात) एक निजी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में कार्यरत है। वह पांडे को बचाने के लिए विभिन्न विभिन्न तरह के हथकंडे अपना रहा है । जिससे विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है। सूत्रों के अनुसार ध्यान देने की बात यह है कि इमानदार कुलपति व रजिस्ट्रार की बदनामी करने के लिए वह हर तरह के हथकंडे अपना रहा है। जिससे कि उनकी ईमानदारी की छवि पर बट्टा लगे ; उनसे समझौता करें ?दूसरी हो देवभमि माया न्यूज़ पोर्टल चैनल लगातार खबर को प्रमुखता से छापने के कारण विजिलेंस टीम ने 2 घंटे तक संजीव कुमार पांडे से पूछताछ की है वह सवालों का जवाब नहीं दे पाए; सूत्रों के मुताबिक विजिलेंस की टीम इससे संतुष्ट नहीं थी; ध्यान देने की बात यह है कि वर्तमान के कुलपति एवं रजिस्टर चीख चीख कर शासन को पत्र भेज रहे हैं कि पांडे की नियुक्ति गलत हुई है और इसमें भ्रष्टाचार का खेल हुआ है ; …….
इसके बाद भी शासन बचाने में जुटा हुआ है। जिससे सरकार की लोकप्रियता पर निसंदेह बट्टा लग रहा है। जबकि यह आयुष विभाग युवा ईमानदार लोकप्रिय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास है जो जीरो टोलरेंस की बात जोर शोर से उठा रहे हैं । जागरूक नागरिकों का कहना था कि इस तरह सरकार की लोकप्रियता को बट्टा लग रहा है शीघ्र कार्रवाई होनी चाहिए। इधर आखिर खबर रंग लाई और 3 सदस्य कमेटी 21 मार्च 2023 को कुलपति को जांच सौंप दी कुलपति और रजिस्ट्रार ने जांच रिपोर्ट गवर्नर तथा सचिव आयुष को भेजी है। (…शेष अगले अंक में जारी ….(पूरी जांच रिपोर्ट हमारे पास मौजूद… पिक्चर का क्लाइमेक्स बाकी है)