नई दिल्ली 30 जनवरी, अशोक गुलाटी editor-in-chief
कर्तव्य पथ पर पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी ने प्रथम स्थान पाकर बनाया इतिहास
गणतंत्र दिवस परेड को अभी तक राजपथ के नाम से जाना जाता था, किंतु इस वर्ष उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया है। नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह पहली परेड थी, जिसमे उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश में प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया है।
सीएम ने दी बधाई, हम सभी के लिए गौरव का पल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है। जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है। प्रधानमंत्री जी ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की बात कही है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सांस्कृतिक नवजागरण में उत्तराखंड सरकार भी काम कर रही है। मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। “मानसखण्ड” मंदिर माला मिशन के तहत चार धाम की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों को भी विकसित किया जा रहा है।
झांकी का विषय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सुझाया था
भारत सरकार को भेजे गए झांकी का विषय/टाइटिल “मानसखंड“मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के अंतर्गत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था।
गणतंत्र दिवस से पहले मुख्यमंत्री ने दिल्ली जाकर खुद किया था झांकी का निरीक्षण
झांकी निर्माण की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब दिल्ली कैंट में झांकी का निर्माण किया जा रहा था तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झांकी का निरीक्षण करते हुए झांकी को उत्कृष्ट एवं राज्य की संस्कृति के अनुरूप निर्माण के लिये सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक/ नोडल अधिकारी के एस चौहान को निर्देश दिए थे तथा झांकी के कलाकारों से मिलकर उनको शुभकामनाएं भी दी थी
दिन रात की जाती है कलाकारों द्वारा मेहनत
झांकी के निर्माण तथा झांकी में सम्मिलित कलाकार दिन रात मेहनत करते है। झांकी निर्माण का कार्य 31 दिसंबर को प्रारंभ किया गया था, जिसको सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक किया जाता है। साथ ही झांकी में सम्मिलित कलाकारों को टीम लीडर के साथ कड़ाके की सर्दी में कर्तव्य पथ रिहर्सल के लिए 4 बजे जाना पड़ता है।
ऐसे होता है झांकी का अंतिम चयन
सितंबर माह में भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों एवं मंत्रालयों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं।अक्टूबर तक राज्य सरकारें विषय का चयन कर प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती है।उसके बाद भारत सरकार प्रस्तुतिकरण के किये आमंत्रित करती है। पहले बार की मीटिंग में विषय के आधार चार्ट पेपर में डिजाइन तैयार कर प्रस्तुत करना होता है। आवश्यक संशोधन करते हुए तीन बैठके डिजाइन निर्माण के सन्दर्भ में होती है जिन प्रदेशों के डिजाइन कमेटी को सही नही लगते हैं उनको शार्टलिस्ट कर देती है। उसके बाद झांकी का मॉडल बनाया जाता है। मॉडल के बाद थीम सॉंग 50 सेकंड का जो उस प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करता हो तैयार किया जाता है। इस प्रकार जब सभी स्तर से भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति संतुष्ट हो जाती है तब झांकी का अंतिम चयन किया जाता है।
मानसखंड की झांकी में क्या था खास जो प्रथम स्थान प्राप्त किया!
गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भांति सरकार कुमाऊं में मंदिर माला मिशन के अंतर्गत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को दिखाया गया था। उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश की राष्ट्रीय पक्षी मोर जो उधमसिंह नगर में पाई जाती है, उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल आदि, तथा उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपन कला को प्रदर्शित किया गया था। झांकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपन कला से लिखा गया था।
जागेश्वर धाम के मंदिर घनघोर देवदार के वृक्षों के बीच में है। इसलिए झांकी में मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षो का सीन तैयार किया गया था।
क्या है मानसखंड मन्दिर माला मिशन?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर श्री केदारनाथ और श्री बद्रीनाथ की भांति ही कुमाऊं के प्रमुख पौराणिक महत्व के मंदिर क्षेत्रो में अवस्थापनात्मक विकास के लिए मानसखंड मन्दिर माला मिशन योजना पर काम किया जा रहा है। इन्हें बेहतर सड़कों से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही इस योजना के ज़रिए गढ़वाल और कुमाऊं के बीच सड़क कनेक्टिविटी को भी सुधारा जाएगा, ताकि उत्तराखण्ड में गढ़वाल और कुमाऊं के बीच यातायात सुगम हो।
मानसखंड कॉरिडोर को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मानसखंड कॉरिडोर पर काम कर रही है। सरकार का प्रयास है कि विभिन्न धार्मिक सर्किटों का विकास किया जाए। उन्होंने कहा इसके तहत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले मुख्य मंदिरों को आपस में जोड़ेंगे एवं सर्किट के रूप में विकसित करके धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।
इन प्रमुख मंदिरों का होगा विकास
मुख्यमंत्री धामी के विजन के अनुसार पहले चरण में क़रीब 2 दर्जन से अधिक मंदिरों को इसमें शामिल किया गया है। इनमें जागेश्वर महादेव, चितई गोलज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर, नंदादेवी मंदिर कसारदेवी मंदिर, झांकर सैम मंदिर पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, मोस्टमाणु मंदिर, बेरीनाग मंदिर, मलेनाथ मंदिर, थालकेदार मंदिर, बागनाथ महादेव, बैजनाथ मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर, पाताल रुद्रेश्वर गुफा, गोल्ज्यू मंदिर, निकट गोरलचौड मैदान, पूर्णागिरी मंदिर, वारही देवी मंदिर देवीधुरा, रीठा मीठा साहिब, नैनादेवी मंदिर, गर्जियादेवी मंदिर, कैंचीधाम, चैती (बाल सुंदरी) मंदिर, अटरिया देवी मंदिर व नानकमत्ता साहिब प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं।