रानीखेत: (सराहनीय पहल) मानस खंड (कुमायूं) के चार धाम परिभाषित हों !👉कुमायूं को भी गढ़वाल की तर्ज पर एक तीर्थ स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकता है? बड़ोला

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रानीखेत (विशेष संवाददाता) वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी डीएन बड़ोला ने कहा कि मानस खंड (कुमायूं) के चार धाम परिभाषित हों जिससे
मानस खंड (कुमायूं) के प्राचीन मंदिरों को भव्य बनाने के लिए सरकार ने मानस खंड मंदिर माला मिशन की घोषणा की है l आशा है इस कदम से कुमायूं को भी गढ़वाल की तर्ज पर एक तीर्थ स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकेगा ! उन्होंने प्रधानमंत्री सहित विभिन्न मंत्रियों को भेजे गए पत्र के मुताबिक चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं का अपार जन समूह आज संभाले नहीं संभल रहा l इसलिए इस जन समूह को संभालने के लिए मानस खंड (कुमायूं) में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना आवश्यकीय है ! देव भूमि गढ़वाल में प्राचीन मंदिरों की लम्बी श्रंखला है ! वहाँ केदारनाथ धाम है, बद्रीनाथ धाम है, गगोत्री धाम है, यमुनोत्री धाम है, गढ़वाल में ही हरिद्वार है व ऋषिकेश भी है ! परन्तु देखा जाय तो कुमायूं क्षेत्र में प्रसिद्द एवं पौराणिक मंदिर तो बहुत हैं, पर अभी तक किसी भी मंदिर को ‘धाम’ की मान्यता नहीं दी गई है l कुमायूं में पर्यटन को विकसित करने हेतु आवश्यकीय है धार्मिक पर्यटन को कुमायूं से भी जोड़ा जाय ! पर्यटक हरिद्वार, ऋषिकेश व चार धामों की यात्रा कर वापस गढ़वाल के मार्ग से ही वापस चला जाते है ! मानस खंड मंदिर माला मिशन के प्रारंभ होने के साथ ही पर्यटक कुमायूं के मंदिरों व अन्य पर्यटक स्थलों में प्रवास कर ही अपने गन्तव्य स्थान को जायेंगे ! ऐसा प्रयास किया जा सकता है l इससे कुमायूं में धार्मिक पर्यटन का कारोबार बढ़ेगा ! इसमें संदेह नहीं l मंदिर श्रंखला में कुमायूं में जागेश्वर धाम, 12 ज्योतिर्लंगों में 8वां ज्योतिर्लिंग है तथा पांचवे धाम के रूप में प्रसिद्द है ! पूर्व में मुख्य मंत्री समेत कई राज्य व केन्द्रीय मंत्रियों ने इसको ‘धाम’ की मान्यता की बात
बार-बार कही है ! परन्तु इस सम्बन्ध में कागजी कार्यवाही न होने से जागेश्वर धाम को ‘धाम’ मान्यता नहीं मिल सकी है ! मान्यता है कि शिवलिंग की पूजा की शुरूआत यहीं से हुई और इसके पश्चात ही सारे संसार में शिवलिंग को पूजा जाने लगा । प्रथ्वीलोक में सर्वप्रथम जागेश्वर के पवित्र पावन धाम पर शिव के पतित होने के कारण इसे प्रथम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है !
कुमायूं में बाघ नाथ धाम है ; कैंची धाम है ; बैजनाथ धाम है l रानीखेत सोनी में स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव है, आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित माता का शक्तिपीठ हाट कालिका मंदिर है l महाकाली माता ने पश्चिम बंगाल से इस जगह को अपने घर से स्थानांतरित कर दिया था और तब से इस क्षेत्र में लोकप्रिय देवी के रूप में पूजी जाती है। गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित यह शक्ति पीठ 8वी सदी का है l
स्कन्द पुराण में वर्णित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर है l पाताल भुवनेश्वर चूना पत्थर की एक प्राकृतिक गुफा है ! इस गुफा में धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई प्राकृतिक कलाकृतियां स्थित हैं। यह गुफा भूमि से 90 फ़ीट नीचे है, तथा लगभग 160 वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है। इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे। स्कंद पुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं । युद्ध घोष के लिए प्रसिद्द देवीधुरा मंदिर धाम है; रानीखेत में प्राचीन झूला देवी मंदिर है, हैड़ाखान मन्दिर है ! दूनागिरी मंदिर है ! परन्तु इन्हें धाम की मान्यता प्राप्त नहीं है ! इसी प्रकार पुरातात्विक रूप से , द्वाराहाटके 55 मंदिरों समूह जिनका निर्माण 10 से 12 सदी के बीच में किया था दर्शनीय हैं l कनरा (लमगड़ा) में 1,000 साल से भी अधिक पुराना पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्वयंभू उन्टेश्वर महादेव मंदिर भी है जो शिव जिव्हा के रूप में अवतरित हुए थे ! शिव लिंग में अर्पित जल चमत्कारिक रूप से अलोप हो जाता है l शिव लिंग की उंचाई जमीन से 7 फीट ऊपर है ! डोल आश्रम ग्राम कनरा की जमीन पर बना है इसलिए इसे कनरा-डोल कल्यानिका हिमालय देवस्थानम आश्रम कहा जाता है ! हालांकि यह डोल आश्रम के नाम से प्रसिद्द है ! ऊँन्टेश्वर महादेव के विषय में मंदिर के पुजारी पं०खीमा नन्द बड़ोला का यह वीडियो चन्द्र शेखर बड़ोला के सौजन्य से प्राप्त हुवा है :- https://www.youtube.com/watch?v=XGfqH8ZUQg&t=1710s अति पिछले इलाके के इस दुर्लभ मंदिर को मंदिर माला मिशन में शामिल किया जाना चाहिए l पर्यटन के लिए कुमायूं में कटारमल सूर्य मंदिर है, कौसानी में विश्व प्रसिद्द अनाशक्ति आश्रम है ; पहाड़ों की रानी नैनीताल जैसा आधुनिक शहर है ; रानीखेत जैसा खूबसूरत हिल स्टेशन है जहां से 360 Km. लम्बी हिमालय श्रंखला के दर्शन होते हैं l भारत में कुल 4 धाम हैं – बद्रीनाथ धाम, रामेश्वर धाम, जगन्नाथ पूरी व द्वारका ! इन मंदिरों को 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने एक सूत्र में पिरोया था । बीसवीं शताब्दि के मध्य में हिमालय की गोद में बसे चार तीर्थस्थलों बद्रीनाथ, केदारनाथ , यमुनोत्री एवं गंगोत्री को ‘छोटा धाम’ विशेषण दिया गया जो आज भी यहां बसे इन देवस्थानों को परिभाषित करते हैं । कुमायूं में एक भी धाम नहीं है, इसलिए आवश्यकीय है कि कुमायूं के प्रसिद्द प्राचीन मंदिरों को ‘धाम’ कि मान्यता मिले !
जिस प्रकार बीसवीं शताब्दि के मध्य में इन चारों तीर्थ स्थलों, बद्रीनाथ के अलावा केदारनाथ, यमुनोत्री एवं गंगोत्री को ‘छोटा’ धाम विशेषण दिया गया था ( विकीपीडिया) लिंक : https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9B%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A4%BE_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%AE)
प्रसन्नता है कि बात है 18-20 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन राज्यपाल डॉ० केके पॉल ने हमें राह दिखलाई है, उन्होंने विश्व के सबसे बड़े एवं भारी अष्ट धातु से निर्मित 1760 किलो के ‘श्रीयंत्र’ की स्थापना के अवसर पर घोषणा की – ‘विश्व प्रसिद्द कल्यानिका कनरा डोल आश्रम को उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में पहिचाना जाएगा l’ इस वीडियो में कहा गया है– https://www.youtube.com/watch?v=VVfVNJUZ8M “उत्तराखंड की देवभूमि अपने चार धाम के लिए तो जानी जाती है लेकिन अब यह आश्रम उत्तराखंड का पांचवां धाम बनने जा रहा है ! अपने उदघाटन भाषण में उत्तराखंड के तत्कालीन राज्यपाल डॉ० केके पॉल ने कहा कि डोल आश्रम को पांचवे धाम के नाम से पहिचाना जाएगा l” वीडियो लिंक ऊपर है – इस प्रकार राज्यपाल महोदय ने धाम की मान्यता देने का श्रीगणेश कर दिया है ! इसलिए मानस खंड (कुमायूं ) में भी कुछ प्राचीन मंदिरों को ‘छोटा धामों’ की मान्यता दी जा सकती है ! धार्मिक पर्यटक केदारखंड (गढ़वाल) में चार धाम मंदिरों के दर्शन कर मानस खंड (कुमायूं) में नए चार धामों : (1)पूर्व राज्यपाल डॉ के के पॉल द्वारा घोषित ‘धाम’ कल्यानिका कनरा डोल आश्रम के सम्बन्ध में धाम बनाए जाने के सम्बन्ध में प्रगति हो चुकी है ! क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी, अल्मोड़ा ने जिलाधिकारी, अल्मोड़ा को 2.5.2022 को पत्र लिख कर कहा है कि ‘इसे (डोल आश्रम ) को पांचवा धाम के रूप में मान्यता प्रदान किये जाने हेतु कोई आपत्ति नहीं है ’(संलग्न) (2) 8वें ज्योतिर्लिंग जागनाथ धाम जो धाम के रूप में प्रसिद्ध है l विवरण ऊपर दिया गया है l सरकार ने इसे मंदिर माला मिशन के अंतर्गत शामिल किया है l उत्तराखण्ड के मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 17 जुलाई, 2022 को जागनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करते हुए कहा – जागनाथ धाम उत्तराखंड का पांचवा धाम है ! (संलग्न ) (3) आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित हाट कलिका मंदिर l इसे मंदिर माला मिशन के अंतर्गत शामिल किया है l विवरण ऊपर दिया गया है l (4) स्कन्द पुराण में वर्णित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर आदि धाम घोषित किया जा सकता है l सरकार ने इसे मंदिर माला मिशन के अंतर्गत शामिल किया है l विवरण ऊपर दिया गया है l अतः इस विषय को लेकर यदि आगे बढ़ा जाय तो कुमायूं में भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, इसमें संदेह नहीं !


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