हल्द्वानी स्टाफ रिपोर्टर विगत 3 दिन से नदी में नहाते हुए डूबा व्यक्ति को आज गोताखोर ने कड़ी मशक्कत के बाद बरामद कर लिया गौरतलब है कि यहां गत 26 जून, शनिवार को नहाते वक्त नदी में लापता हुए हल्दूचौड़ के रोहिताश उर्फ रोहित का शव आज मंगलवार को घटनास्थल से 2 से 3 किमी आगे चमड़िया में बरामद हुआ। अहम बात यह है कि शव बरामदगी में लोकल के गोताखोरों ने भी अपनी जान जोखिम में डाल अत्यंत सराहनीय भूमिका निभाई।उल्लेखनीय है कि हल्दूचौड़ के गंगापुर कबडवल निवासी लापता हुए युवक को ढूंढने के लिए 26 जून से ही रेस्क्यू का कार्य चल रहा था, लेकिन इसमें सफलता नही मिलने से मायूसी पैदा हो रही थी। आज घटना के तीन दिन बाद उसकी लाश नदी से बाहर फूल कर आ गई। जिसके बाद एसडीआरएफ की टीम उसे किनारे तक ले आई।नौगांव के पूरन सिंह के नेतृत्व में गत शाम चला अभियान, गहरे पानी में उतरे गोताखोरज्ञात रहे कि सोमवार शाम करीब 6 बजे से लोकल के गोताखोर नौगांव के पूरन सिंह जंतवाल के नेतृत्व में नदी की गहराईयों में उतरे। जहां उन्होंने बांस के लंबे डंडों से भाड़ (नदी की गहराई में बना गढ्ढा) में फंसे शव को हिलाते हुए बाहर निकालने में मुख्य भूमिका निभाई। यह खोताखोर बहुत गहरे पानी में उतरे थे। स्थानीय गोताखोरों का यह अभियान लगभग 40 मिनट तक चला था, लेकिन रात गहराने पर उन्हें अभियान रोकना पड़ा। इस मौके पर लोनिवि के वर्क ऐजेंट चंद्रशेखर कांडपाल भी मौजूद रहे।चमड़िया में मिला शववहीं आज सुबह करीब 7 बजे घटनास्थल से 2 से 3 किमी की दूरी पर चमड़िया के पास शव फूलने के बाद नदी में बाहर उतराता दिखाई दिया। जिस पर सर्वप्रथम वहां से गुजर रहे किसी ग्रामीण की नजर पड़ी। जिसके बाद पुलिस व एसडीआरएफ को सूचना दी गई। फिर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस व राजस्व की टीम मौके पर पहुंची और शव को नदी से बाहर निकाला गया। मौके पर क्षेत्रीय पटवारी गौरव रावत, पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व प्रशासन के लोगों के अलावा मृतक परिजनों की ओर से पिता प्रकाश चंद्र, चाचा चंद्र प्रकाश आर्य के अलावा महेश चंद्र, सूरज कुमार, जगतपाल, मुकेश आर्य आदि भी मौजूद रहे। तहसीलदार बरखा जलाल भी लगातार मौके पर जमी रही और आवश्यक दिशा—निर्देश अभियान को लेकर देती रहीं।नदी में एनडीआरएफ ने उतारी थी इंजन वाली बोट, नही लाई गई कोई अन्य मशीनइधर राजस्व पुलिस के मुताबिक पोकलैंड या अन्य कोई मशीन कंपन पैदा करने के लिए नदी में नही उतारी गई। हकीकत यह है कि एनडीआरएफ ने गत दिवस इंजन वाली बोट नदी में चलाई थी, जिससे मामूली कंपन पैदा होता है और यह बोट बिना चप्पू के इंजन की मदद से संचालित होती है। हालांकि आज यहां पोकलैंड मशीन लाने की तैयारी जरूर थी, लेकिन इससे पूर्व ही लाश बरामद हो गई।पानी में फूलने पर बाहर आ जाता है शवएसडीआर के अनुसार कोई भी शव नदी में काफी दिन तक रहने के बाद फूलकर नदी से बाहर निकल आता है। अकसर तीन से चार दिन बाद मृत शरीर फूल जाता है और नदी में उतराने लगता है। अमूमन नदी, जलधारों में डूबने वालों के शव बहुत बार इसी तरह बाहर निकले हैं। गनीमत यह रही कि लाश पर नजर पड़ गई और आज बाढ़ आदि की स्थिति नही थी, अन्यथा शव बहुत दूर चला जाता तो ढूंढने में बहुत मुश्किल हो जाता कड़ी मेहनत व जान हथेली पर रखकर आखिर शव को ढूंढ लिया परिवार के लोग 3 दिन से दिन रात उसके सब कुशल होने की प्रार्थना कर रहे थे परंतु सब व्यर्थ गयाl