रानीखेत (विशेष संवाददाता) विधि आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष दिनेश तिवारी एडवोकेट ने कुम्भ मेले के दौरान हुए फ़र्ज़ी कोविड टेस्ट मामले को गम्भीर बताते हुए प्रदेश सरकार द्वारा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश को अपर्याप्त बताया है कहा कि यह गम्भीर प्रकृति का अपराध है और राज्य सरकार अपनी ज़िम्मेवारी से बच नहीं सकती कहा कि कुम्भ मेले के दौरान हरियाणा और दिल्ली की निजी टेस्टिंग लैब द्वारा एक लाख से अधिक फ़र्ज़ी जाँच और रिपोर्ट नेगेटिव करने का मामला बिना पलिटिकल कनेक्शन के सम्भव नहीं है कहा कि यह और गम्भीर तथ्य है कि कुम्भ मेले में कोविड टेस्ट का कॉंट्रैक्ट पाने वाली प्राइवेट एजेन्सी का पता और सेल नम्बर भी फ़र्ज़ी और ग़लत है कहा कि जों एजेन्सी वजूद में है ही नहीं उसे इतना बड़ा कॉंट्रैक्ट बिना राजनैतिक हस्तक्षेप के नहीं मिल सकता कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास है इस लिए वह अपनी नैतिक ज़िम्मेवारी से बच नहीं सकते कहा कि यह संघर्षों से प्राप्त उत्तराखंड राज्य का दुर्भाग्य है कि राज्य गठन के साथ ही यहाँ घोटालों की शुरुआत कर दी गयी कहा कि राज्य की अंतरिम सरकार के मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के समय राजधानी निर्माण घोटाला सामने आया कहा कि पुलिस भर्ती घोटाला पटवारी भर्ती घोटाला जल विद्युत परियोजना के आवंटन का घोटाला सतर्दीया भूमि घोटाला महाकुम्भ घोटाला २०१२ का सिडकुल घोटाला टिहरी बाँध के ऊपर बनने वाले पुल के निर्माण में सौ करोड़ से अधिक का घोटाला ६०० करोड़ का चावल ख़रीद घोटाला प्रदेश भर में सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार का साइन बोर्ड घोटाला ढाँचा बीज़ घोटाला आपदा घोटाला टिहरी विस्थापितों की ज़मीन आवंटन में हुआ घोटाला राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन nhm का दवा घोटाला और n h ७४ घोटाला समाजकल्याण मंत्रालय का छात्रवृत्ति घोटाला सहित अनेक ऐसे घोटाले हैं जिन्होंने देवभूमि को राष्ट्रीय फलक पर शर्मसार किया है कहा कि जाँच के नाम पर कई आयोग बने और जाँच एजेंसियाँ बिठायीं गयीं पर कुछ एक मामलों को छोड़ कर अधिकांश मामलों में अपराधी खुले घूम रहे हैं कहा कि कुंभ मेले में फ़र्ज़ी कोविद टेस्ट फ़र्ज़ी एजेन्सी फ़र्ज़ी रिपोर्ट का मामला करोना महामारी का सामना कर रही सम्पूर्ण मानवता के प्रति गम्भीर अपराधी खुलें घूम रहें है कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री पूर्व मुख्यमंत्री पर ज़िम्मेदारी डाल कर अपनी भूमिका से बरी नहीं हो सकते!कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता इस लिये इस पूरे मामले की जाँच किसी ऐसी एजेन्सी से होनी चाहिए जो राज्य सरकार के प्रभाव से बाहर हो कहा कि इस मामले के पलिटिकल कनेक्शन की जाँच होना भी ज़रूरी है इसलिए इस अति महत्व पूर्ण मामले की जाँच माननीय उच्च न्यायालय की देखरेख में होनी चाहिए