चंपावत: मुख्यमंत्री धामी के कुशल नेतृत्व, सिलाई, सौंदर्य और संस्कृति: ऐपण कला से आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं पाटनी! Ashok gulati editor in chief एक्सक्लूसिव

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चंपावत :मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में महिला सशक्तिकरण और आजीविका संवर्धन की योजनाएँ आज ग्रामीण क्षेत्रों में क्रांति ला रही हैं। इन्हीं योजनाओं के सार्थक परिणाम चंपावत जनपद के विकासखंड लोहाघाट की ग्राम पंचायत पाटन पाटनी में दिखाई देते हैं, जहाँ श्रीमती भावना पाटनी ने आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल कायम की है।….

भावना पाटनी एक साधारण ग्रामीण महिला हैं, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति और निरंतर परिश्रम ने उन्हें असाधारण बना दिया है। घर-परिवार की ज़िम्मेदारियों के साथ-साथ, उन्होंने अपने हुनर को अपनी शक्ति बनाने का संकल्प लिया। वह न केवल सिलाई सेंटर चलाती हैं, बल्कि ब्यूटी पार्लर का कार्य भी कुशलता से करती हैं।
एनआरएलएम (NRLM) से मिली राह
भावना पाटनी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के अंतर्गत गठित एक स्वयं सहायता समूह (SHG) की एक सक्रिय और समर्पित सदस्य हैं। स्वयं सहायता समूह ने उन्हें संगठित होने और सामूहिक शक्ति को पहचानने का मंच दिया।

उनके जीवन में निर्णायक मोड़ तब आया जब उन्हें ग्रामोत्थान परियोजना के सहयोग से उद्यम स्थापना योजना की विस्तृत जानकारी मिली। एक सफल उद्यमी बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए, उन्हें आवश्यक वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ।

समूह के माध्यम से सहयोग: ₹30,000
स्वयं का अंशदान (लोन के माध्यम से): ₹50,000। इस वित्तीय सहयोग ने उन्हें अपने गरिमा सिलाई सेंटर और ब्यूटी पार्लर’ को व्यवस्थित रूप से स्थापित करने में मदद की।

भावना पाटनी की लगन और गुणवत्तापूर्ण कार्य ने उनके स्वरोजगार को जल्द ही गाँव और आस-पास के क्षेत्रों में लोकप्रिय बना दिया। घर के कार्यों से समय निकालकर भी वह अपने स्वरोजगार के माध्यम से आज प्रतिमाह ₹5,000 से ₹8,000 की सम्मानजनक आय अर्जित कर रही हैं। यह अतिरिक्त आय उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूती दे रही है और उन्हें एक बेहतर जीवन स्तर की ओर अग्रसर कर रही है।

भावना पाटनी की प्रतिभा केवल सिलाई और ब्यूटी पार्लर तक सीमित नहीं है। वह उत्तराखंड की पारंपरिक लोककला ऐपण (Aipan) में भी निपुण हैं। इस कला के माध्यम से, वह न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेज रही हैं, बल्कि ऐपण उत्पादों को बेचकर अपनी आजीविका को और अधिक मजबूत बना रही हैं। यह दिखाता है कि कैसे संस्कृति और स्वावलंबन एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।

आज, भावना पाटनी केवल अपने परिवार की आर्थिक रीढ़ नहीं हैं, बल्कि वह पाटन पाटनी और आसपास की अन्य महिलाओं के लिए भी आजीविका और आत्मनिर्भरता की एक जीती-जागती मिसाल बन चुकी हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, निरंतर परिश्रम और सरकारी योजनाओं का सही लाभ उठाकर कोई भी महिला अपने सपनों को साकार कर सकती है और पूरे समुदाय के लिए सशक्तिकरण का नया मार्ग प्रशस्त कर सकती है। भावना पाटनी उत्तराखंड की उन हजारों महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में जुटी हैं।

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