ब्रेकिंग चमोली: ‘किसकी काली नजर लग गई, हृदयविदारकः हंसता खेलता गांव मलबा मैं तब्दील हो गया, जुड़वां भाई, के शव देखकर रो पड़े बचाव दल के जवान$, गांव में सन्नाटा, चारों तरफ ‘आंसू ही आंसू’+

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हृदयविदारकः ‘सब कुछ स्वाहा हो गया”!

चमोली: दर्दनाक दास्तां:चमोली के नंदानगर की आपदा में दर्दनाक घटना घटी। एक मकान का जब मलबा हटाया तो वहां दो जुड़वां बच्चे अपनी मां की छाती से लिपटे हुए मिले। यह दृश्य को देखकर मौके पर मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं।चमोली के नंदानगर की आपदा में फाली लगा कुंतरी गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जब एनडीआरएफ की टीम ने एक मकान से मलबा हटाया तो उन्हें दो जुड़वां बच्चे अपनी मां के गले से लिपटे हुए मिले।

तीनों की जान जा चुकी थी। इस दुखद दृश्य को देखकर मौके पर मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं, और बचाव दल के जवान भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। यह घटना बुधवार-गुरुवार की रात करीब दो बजे की है, जब पहाड़ी से आए मलबे और पानी के सैलाब ने लोगों को संभलने का मौका नहीं दिया।कुंवर सिंह का परिवार भी अपने घर में सो रहा था। उनके साथ उनकी पत्नी कांति देवी और जुड़वां बेटे, 10 वर्षीय विकास और विशाल भी थे। सुबह जब बचाव कार्य शुरू हुआ तो बचाव दल को कुंवर सिंह के घर से किसी के जिंदा होने की आवाज सुनाई दी।रोशनदान के खुले होने से कुंवर सिंह को सांस लेने में मदद मिली, जिसके कारण वे बच गए। उन्हें मलबे से निकालकर तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन उनके जुड़वां बेटे विकास, विशाल और पत्नी कांति देवी की जान जा चुकी थी।एनडीआरएफ के एक जवान ने बताया कि जब उन्होंने कमरे में जाकर देखा, तो लेंटर का बीम बच्चों के ऊपर पड़ा था और दोनों बच्चे मां के गले से लिपटे हुए थे। यह देखकर सबकी आंखें भर आईं। बच्चों और मां के शवों को बाहर निकालते ही पूरा गांव सदमे में आ गया।एक-दूसरे का थे सहारा, अब बचे आंसू

सैंती कुंतरी गांव में आई आपदा ने एक ऐसे परिवार को तबाह कर दिया जो पहले से ही कई दुखों से जूझ रहा था। जगदंबा प्रसाद और उनकी पत्नी भागा देवी बच्चों और नाती-नातिनों के लिए सहारा बने हुए थे लेकिन बुधवार रात आई आपदा ने उन्हें हमेशा के लिए छीन लिया।अब परिवार के पास सिर्फ आंसू और बेबसी बची है। जगदंबा प्रसाद और भागा के चार बेटियां और एक बेटा था। करीब दस साल पहले उनके बेटे का निधन हो गया था। बड़ी बेटी लक्ष्मी की भी चार साल पहले मौत हो गई थी और उसके पति का निधन उससे भी दस साल पहले हो गया था|ऐसे में उनके नाती अंकित और नातिन दीपा की जिम्मेदारी नाना-नानी पर आ गई थी। अंकित सेना में भर्ती हो गया जबकि दीपा की पढ़ाई का खर्च नाना-नानी उठा रहे थे। इसी तरह सबसे छोटी बेटी सोनी के पति की भी एक साल पहले मौत हो गई थी और उसकी जिम्मेदारी भी यही बुजुर्ग दंपती निभा रहे थे।एक और बेटी के पति का भी निधन हो चुका है। आपदा ने जगदंबा प्रसाद और भागा देवी को अपनी चपेट में ले लिया। इस घटना ने पहले से ही गम में डूबे परिवार पर ऐसा कहर बरपाया कि अब उनकी आंखों के आंसू थम नहीं रहे हैं।

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