न्यूरिया: ]पीलीभीत] पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म का मामला सामने आया है, गांव के ही युवक ने मासूम से दरिंदगी की। बदहवास हालत में बच्ची घर लौटी तो परिजनों के पैरों तले से जमीन खिसक गई”…

[11 घण्टे के बाद मेडिकल कॉलेज में पीड़ित बच्ची का हो पाया मेडिकल डॉक्टरों की लापरवाही हुई उजागर]
न्यूरिया पीलीभीत न्यूरिया थाना क्षेत्र में एक 5 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। मंगलवार की देर रात बच्ची पास की दुकान से सामान लेकर लौट रही थी। इसी दौरान गांव के 20 वर्षीय वीरपाल ने उसे रास्ते से उठा लिया और सुनसान गली में ले जाकर दुष्कर्म किया।
बच्ची खून से लथपथ अवस्था में रोते हुए घर पहुंची और परिजनों को घटना की जानकारी दी। परिजन तुरंत बच्ची को लेकर थाने पहुंचे। बच्ची की स्थिति को देखते हुए उसे मेडिकल परीक्षण के लिए जिला अस्पताल भेजा गया, जहां उसका उपचार जारी है।
पुलिस के कई अधिकारी घटनास्थल का निरीक्षण करने पहुंचे और परिजनों से पूछताछ की। थाना अध्यक्ष रूपा बिष्ट ने बताया कि परिजनों की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। घटना को 15 घंटे बीत जाने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। पुलिस टीमें आरोपी की तलाश में जुटी हैं।
11 घंटे तक नहीं हो पाया मेडिकल रेप पीड़िता को मेडिकल परीक्षण के लिए मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन 11 घंटे बीतने के बाद भी रेप पीड़िता का मेडिकल नहीं हो पाया। जिसमें मेडिकल कॉलेज के स्टाफ की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पूरामामला जब सीएमओ आलोक कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने बरखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टर को मेडिकल परीक्षण के लिए बुलाया।
पीड़िता को ब्लीडिंग की शिकायत थी
मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में 6 महिला चिकित्सक तैनात हैं। लेकिन कोई भी मेडिकोलीगल केस नहीं देखती हैं। इसलिए सीएमओ ने डॉ. स्वाति श्रीवास्तव को इस काम के लिए नियुक्त किया है। मंगलवार रात डॉ. स्वाति छुट्टी पर थीं।
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रूपल खरे ड्यूटी पर थीं, लेकिन उन्होंने भी मेडिकोलीगल करने से मना कर दिया। पीड़िता को ब्लीडिंग की शिकायत थी। उसका प्राथमिक उपचार किया गया। लेकिन मेडिकल जांच नहीं हुई। विवाद बढ़ने पर सीएचसी बरखेड़ा से डॉ. मनीषा चौरसिया को बुलाया गया। वह दोपहर एक बजे पहुंचीं और तब जाकर मेडिकोलीगल की प्रक्रिया शुरू हुई।
रेप पीड़िता का मेडिकल देर से होने के कारण एसपी ने सीएमएस से मासूम बच्ची के मेडिकल ना हो पाने का कारण जाना
सीएमओ डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि मेडिकोलीगल के लिए पीएमएस संवर्ग की कोई बाध्यता नहीं है। कोई भी एमबीबीएस डॉक्टर यह कर सकते हैं। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मेडिकोलीगल नहीं करते, इसलिए उन्हें अपना स्टाफ भेजना पड़ा।
जानकारी के अनुसार, जो डॉक्टर मेडिकोलीगल से मना करते हैं, वही शाम को निजी अस्पतालों में नियमों के विपरीत प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। मामले की जानकारी पर पुलिस अधीक्षक खुद अस्पताल पहुंच गए और अस्पताल में मौजूद डॉक्टर और सीएमएस से मासूम बच्ची के मेडिकल ना हो पाने का कारण जाना। आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए कई टीमें लगाई गई हैं समाचार लिखे जाने तक आरोपी पुलिस के हत्ते नहीं चढ़ सका है, इधर दूसरी ओर पुलिस सूत्रों के मताबिकबुधवार की दोपहर एसपी अभिषेक यादव ने जिला अस्पताल पहुंचकर मासूम का स्वास्थ्य हाल जाना। परिजनों से भी बात की। इसके बाद अस्पताल प्रशासन से मेडिकल से संबंधित जानकारी जुटाई। एसपी ने बताया कि मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। आरोपी की तलाश के लिए टीमें लगाई गई हैं। जल्द ही उसे गिरफ्तार किया जाएगा।
जिम्मेदारों ने बरती संवेदनहीनता
सूचना के बाद पुलिस ने मासूम को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया में तीन घंटे बीता दिए। बाद में चिकित्सकों के इन्कार करने से मेडिकल कॉलेज में 11 घंटे तक मेडिकल की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। मामला अफसरों के संज्ञान में पहुंचा तो प्रक्रिया आगे बढ़ सकी।
डीजे के शोर में दबी बच्ची की चीख-पुकार
परिजनों के अनुसार मंगलवार शाम पड़ोस में ही एक कार्यक्रम चल रहा था। इसमें डीजे बज रहा था। देर रात तक डीजे चलता रहा। इसका आरोपी ने फायदा उठाया। बच्ची को बहला-फुसलाकर साथ ले गया और घटना को अंजाम दिया। परिजनों के अनुसार बच्ची ने बताया कि वह चीखी चिल्लाई, लेकिन डीजे के शोर में उसकी आवाज दब गई।
आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस की चार टीमें
घटना की रिपोर्ट दर्ज होते ही आरोपी गांव से भाग गया। मामला संज्ञान में आते ही एसपी अभिषेक यादव ने चार टीमों को गिरफ्तारी के लिए लगाया। थाना पुलिस के अलावा एसओजी और क्राइम ब्रांच की टीम आरोपी की धरपकड़ में जुटी हैं। एसपी ने बताया कि चार टीमें लगाई गई। जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा।























































