चंपावत:मॉडल जिले की वनों की हरियाली को दवाग्नि से सुरक्षित रखने की शुरू हुई संयुक्त पहल!✍️ सूरी पंत ब्यूरो चीफ

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✔️बन हमारे पूर्वजों क़ी हैं महान विरासत, जिस दिन गांव के लोग ठान लेंगे उसी दिन उस गांव के जंगल आंग से सुरक्षित हो जाएंगे- डीएफओ

चंपावत| मॉडल जिले के हरे भरे जंगलों को आग से बचाने के लिए संयुक्त पहल शुरू हो गई है| जिसमें वन विभाग द्वारा आपदा प्रबंधन, एसडीआरएफ, पुलिस, फायर सर्विस, चिकित्सा आदि विभागों की ओर से वन पंचायत सरपंचों को गहन प्रशिक्षण देने की शुरुआत कर उन्हें शीतलाखेत मॉडल से जोड़ा जा रहा है, जहां ग्रामीणों की जागरूकता के कारण पिछले 12 सालों से वहां के बन दवाग्नि से बचे हुए हैं| इस प्रकार की संयुक्त कार्यशाला जिले के प्रत्येक ब्लॉक में आयोजित की जाएगी जिसमें जिले की सभी 571 पंचायत के सरपंचों को प्रशिक्षण दिया जाएगा| जिसकी शुरुआत आज चंपावत ब्लॉक से की गई| डीएफओ नवीन चंद्र पंत ने कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कहा बन हमारे पूर्वजों की विरासत रहे हैं| उन्होंने जंगलों के बीच देव स्थल की स्थापना कर वहां के बनो क़ो वन देवी को समर्पित किया जाता रहा है, बनो में आग लगने पर लोग घरों से दौड़ पढ़ते थे यहां तक की बारात को रोक कर लोग आग बुझाने के बाद ही गंतव्य की ओर रवाना होते थे| यही वजह थी कि बनो के संरक्षण के कारण ही प्रकृति का मौसम चक्र संतुलित रहता था| मनुष्य का वनों के साथ जो नाता बना हुआ था, तब तक कोई समस्या पैदा ही नहीं हुई| जिस दिन तक बन एवं मनुष्य एक दुसरे के पूरक बने रहें तब तक सब कुछ ठीक ठाक रहा ज़ब से मनुष्य का जंगलो से लालच पैदा हुआ उसी दिन से पयावरणीय समस्याये पैदा होने लगी हैं,अब मनुष्य आपदा भूस्खलन पीने के पानी के संकट आदि से परेशान होने लगा हैं, उन्होंने कहा गांव के लोग जिस दिन अपने जंगलों को बचाने की ठान लेंगे उसी दिन से उनके पूर्वजों की यह विरासत फिर एक बार सुरक्षित होने लगेगी जिसकी शुरुआत यहां के हर वन पंचायत से की जानी चाहिए
उप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा चौधरी के संचालन में हुई कार्यशाला में शीतलाखेत से आए गजेंद्र पाठक ने बताया कि किस प्रकार गांव के लोगों के संयुक्त प्रयासों से पिछले बारह वर्षों से अपने जंगलों को दवाग्नि से सुरक्षित रखकर उत्तराखंड के लोगों के लिए नया मॉडल पेश किया है कार्यशाला में बताया गया कि किस प्रकार थोड़ी सी लापरवाही से हरे भरे जंगल कैसे आग उगलने लगते हैं इस अवसर पर वनों को दवाग्नि से बचाने के तमाम उपायों पर भी विस्तार से जानकारी दी गई| कार्यशाला में ब्लॉक चम्पावत के 158 वन पंचायत सरपंचों ने भाग लिया| वन क्षेत्राधिकारी दिनेश जोशी ने सभी सरपंचो एवं अतिथियों का स्वागत किया|

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