“दीक्षान्त समारोह का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ, जिसमें महामहिम राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह मुख्य अतिथि, कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री सड़क परिवहन एवं राजमार्ग अजय टमटा विषिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे’….
पंतनगर। 27 नवम्बर 2024। विष्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान के नेतृत्व में 36वें दीक्षान्त समारोह का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ जिसमें महामहिम राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह मुख्य अतिथि और माननीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री श्री गणेष जोषी एवं माननीय केन्द्रीय राज्य मंत्री सड़क परिवहन एवं राजमार्ग श्री अजय टमटा विषिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान और पद्मश्री प्रेम चन्द्र शर्मा को विज्ञान वारिधि की मानद उपाधि से सुषोभित किया गया।
महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि जो छात्र यहां से उपाधि प्राप्त कर रहे हैं वे अपने माता-पिता से आर्शिवाद जरूर ले। विश्वविद्यालय द्वारा नयी शोध, तकनीक विकसित कर कृषकों तक पहुंचा रहा है, जिससे किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकें। उन्होंने हनी, अरोमा एवं मिलेट पर बल दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि सपने देखना सही है मगर खुली आंखों से सपना देखना चाहिए जिससे वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। हरित क्रांति लाने में पंतनगर विश्वविद्यालय का अहम योगदान रहा है। विश्वविद्यालय के योगदान के लिए विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हैं और रैकिंग भी अच्छी है। उन्होंने कहा कि किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विश्वविद्यालय को बदलते वातावरण की चुनौतियों के अनुसार शोध करने की आवश्यकता है।
श्री अजय कुमार टमटा ने दीक्षांत समारोह के आयोजन के लिए बधाई देते हुए बदलते वातावरण के अनुसार शोध एवं प्रसार करने के वैज्ञानिकों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यहां से उपाधि प्राप्त कर देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी अच्छे पदों पर कार्यरत हैं। श्री गणेष जोषी ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों, उनके अभिवावकों एवं गुरूजनों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस विष्वविद्यालय उपाधि प्राप्त किये हुए छात्र महत्वपूर्ण संस्थानों में अपना योगदान दे रहें है। उन्होंने कहा कि आठ हजार कृषकों को मौन पालन से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 2025 तक जैविक खेती का स्तर 50 प्रतिशत से अधिक होगा। उनके द्वारा श्री अन्न के उत्पादन पर बल दिया गया और कहा कि सरकार द्वारा मढुवा के अलावा अन्य मोटे अनाजों पर भी सब्सिडी मिलनी चाहिए। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में प्रतिभाग करने पर प्रसन्नता व्यक्त की और यहां के उपलब्धियों की चर्चा की तथा देश को आगे ले जाने में जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान एवं जय अनुसंधान का बहुत महत्व है। निरंतर नये शोध के द्वारा हम अपनी खाद्यान्न की मांग को पूरा करते हुए आत्मनिर्भर बने रहेंगे। जेनेटिक मॉडिफिकेशन जैसे नयी तकनीक का प्रयोग कर वातावरण की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। देष को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में विश्वविद्यालय की अहम भूमिका होगी। विद्यार्थी नयी सोच के साथ कार्य कर देष को प्रगति के मार्ग पर ले जाने की क्षमता रखते है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत की होगी। पद्मश्री श्री प्रेम चन्द्र शर्मा ने अपने अनुभवों को साझा किया और उन्होंने वातावरण को शुद्ध रखने के लिए जैविक एवं प्राकृतिक खेती पर बल दिया।
कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने विष्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाष डालते हुए बताया कि लैैण्ड ग्रान्ट पैटर्न की तर्ज पर अमेरिका के इलिनोय विश्वविद्यालय की तकनीकी सहायता से स्थापित इस विश्वविद्यालय ने हरित क्रान्ति के द्वारा देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विगत् 64 वर्शों से लगातार यह विश्वविद्यालय खाद्य फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के अलावा पशुधन, दुग्ध, तिलहन एवं मत्स्य उत्पादन में भी अपना अहम योगदान दे रहा है। कृषि शिक्षा, अनुसंधान तथा प्रसार में अपने अहम योगदान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा ’सरदार पटेल आउटस्टैंडिंग इंस्टीट्यूशन सम्मान’ से इसे तीन बार सम्मानित किया जा चुका है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर क्यू0एस0 वर्ल्ड रैंकिंग में 331 वां स्थान बनाया है। स्थापना से अब तक 44112 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई हैं। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की 355 उन्नत किस्में एवं पशुओं की दो नस्लें राश्ट्र को समर्पित हैं, जोकि देष में खाद्य सुरक्षा एवं कृशकों की आय बढ़ाने में अभूतपूर्व रूप से सहायक रहीं हैं। विश्वविद्यालय एग्रीकल्चर लीडरषिप 2023 सम्मान से सम्मानित है। पंतनगर विष्वविद्यालय में राश्ट्रीय षिक्षा नीति 2020 वर्श 2024-25 से लागू कर दी गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाने वाला यह देष का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय है। देष एवं विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ करार हुए हैं। गत दो वर्षों में दलहन की 10 प्रजातियां विकसित की गयी है। अंत में उन्होंने सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं को दीक्षा दी। इस अवसर पर कुलपति के निर्देशन में बनी ‘विष्वविद्यालय की गत दो वर्ष की उपलब्धियाँ’ नामक पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
निदेशक संचार डा. जे.पी. जायसवाल ने बताया कि इस दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल द्वारा 1172 विद्यार्थियों को उपाधि व दीक्षा प्रदान की गयी। इस अवसर पर सर्वोत्तम स्नातक विद्यार्थी दीक्षा उप्रेती को कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त 15 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक, 12 विद्यार्थियों कुलपति रजत पदक एवं 12 विद्यार्थियों को कुलपति कांस्य पदक प्रदान किये गये। विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए एक-एक विद्यार्थी को श्री पूरण आनन्द अदलखा अवार्ड, श्रीमती सरस्वती पांडा गोल्ड मेडल, श्रीमती नागम्मा शान्ताबाई अवार्ड, डा. राम शिरोमणि तिवारी अवार्ड, डा. ए.एन. मुखोपाध्याय गोल्ड तथा दो-दो विद्यार्थियों को चौधरी चरण सिंह मेमोरियल इंटेलेकच्यूअल अवार्ड एवं भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त अवार्ड से सम्मानित किया गया। कुलसचिव, डा. दीपा विनय ने समारोह का संचालन किया एवं अंत में धन्यवाद दिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रबन्ध परिषद् एवं विद्वत परिषद् के सदस्यों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों के संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी तथा प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन के उच्च अधिकारी उपस्थित थे।……
विश्वविद्यालय के 36 वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत व्याख्यान देते महामहिम राज्यपाल, उत्तराखण्ड ले ज गुरमीत सिंह।
[विश्वविद्यालय के 36 वें दीक्षांत समारोह में मंचासीन अतिथिगण।..]
दीक्षांत समारोह में पदक एवं अवार्ड से सम्मानित हुए विद्यार्थी
पंतनगर विश्वविद्यालय में आज आयोजित हुए 36 वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के महामहिम राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, ले.ज. गुरमीत सिंह द्वारा 1172 विद्यार्थियों को उपाधि व दीक्षा प्रदान की गयी। इस अवसर पर दीक्षा उप्रेती को सर्वोत्तम स्नातक होने के नाते कुलाधिपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित करने के अतिरिक्त 15 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक प्रदान किये गये, जिनमें श्रेया उपाध्याय, अनुज गुप्ता, आभा रावत, दीक्षा उप्रेेती, नेहा कोठारी, जयंत राय, आकाश सुंदरियाल, ज्योति दीप पाण्डेय, रितिक गुप्ता, निखिल चंद, आयुषी गुप्ता, मनीष नेगी, निकिता भटनागर, सुमन रनवा एवं डा. बरखा सम्मिलित थे। कुलपति रजत पदक 12 विद्यार्थियों को दिये गये, जिनमें जिया पाठक, रामेश्वर यादव, मानसी बिष्ट, अनुप्रिया मिश्रा, वात्सल्या भट्ट, नंदनी मिश्रा, हिमानी निटवाल, एकांष अग्रवाल, निकिता बिष्ट, प्रिंस कौशिक, नेहा भट्ट एवं कृतिका जोषी सम्मलित थे तथा कुलपति कांस्य पदक 12 विद्यार्थियों को दिये गये, जिनमें सुरेन्द्र धामी, अनुभव सिंह भण्डारी, निषा दानी, सिमरजीत कौर सेतिया, धृति होरे, जय तनेजा, खुशबू तिवारी, आयुष प्रताप सिंह, हर्षित बिष्ट, वरिजा पांडे, योगेश थापलियाल तथा मयंक त्रिपाठी सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए पिषाला शांता कुमार को श्री पूरण आनन्द अदलखा अवार्ड; निषा दानी को श्रीमती सरस्वती पांडा गोल्ड मेडल/कैश अवार्ड; शशांक गंगवार को श्रीमती नागम्मा शान्ताबाई अवॉर्ड; श्रेया उपाध्याय को डा. राम शिरोमणि तिवारी अवार्ड; दो विद्यार्थी श्रेया उपाध्याय एवं जिया पाठक को चौधरी चरण सिंह मैमोरियल इंटेलेकच्यूअल अवार्ड; दो विद्यार्थी सुमन रानवा एवं डा. बरखा को भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत अवार्ड तथा मोनालिसा गुरु को डा. ए.एन. मुखोपाध्याय गोल्ड से सम्मानित किया गया।
विद्यार्थी को स्वर्ण पद प्रदान करते महामहिम राज्यपाल, उत्तराखण्ड ले ज गुरमीत सिंह एवं अन्य अतिथि।