बिग ब्रेकिंग नैनीताल महायोगी पायलट बाबा नहीं रहे, तीन दशक से ‘बाबाजी जी’ से ‘उत्तरांचल देवभूमि माया’ द्वारा लिए गए कई इंटरव्यू ‘सच साबित’ हुए थे!🥹 आश्रम में सन्नाटा ,मुंबई से पार्थिव शरीर [बुधवार] हरिद्वार आएगा#✍️अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ [Exclusive report]

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‘उत्तरांचल देवभूमि माया’ से ‘महायोगी पायलट बाबा’ ने ‘एक्सक्लूसिव इंटरव्यू’ दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था मोदी के सामने मैदान साफ है, ‘समाचार पत्र’ को हम नीचे दिखा रहे हैं, कुछ महीने बाद नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, यह इंटरव्यू छापने के. बाद ‘बाबा जी’ की ‘खिल्ली’ उड़ा रहे थे , कई विरोधी दल के नेताओं का कहना था कि मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे? बाबा जी कई बार उत्तरांचल देव भूमि माया समाचार पत्र के कार्यालय में भी आए, विगत ‘तीन दशक’ तक ‘बाबा जी’ के साथ जुड़ा रहा, दर्जनों उनके इंटरव्यू छपें, आप को आश्चर्यचकित होगा अधिकांश इंटरव्यू 100% सच साबित हुए,….

आज दोपहर बाद दुखद समाचार मुंबई से आया जहां बाबा जी एक प्राइवेट अस्पताल में कई माह से से वेंटिलेटर में थे । उनका उनका पार्थिव शरीर [बुधवार] हरिद्वार आएगा। जहां उनकी समाधि दी जाएगी।….

महायोगी पायलट बाबा के महाप्रयाण के बाद गेठिया स्थित पायलट बाबा आश्रम में सन्नाटा पसरा हुआ है
मूल रूप से बिहार निवासी और भारतीय वायु सेवा में विंग कमांडर रहे महायोगी पायलट बाबा ने गेठिया में 1980 के दौरान आश्रम की स्थापना की आज एक बड़े आश्रम के तौर पर स्थापित हो चुका है आश्रम में देवी देवताओं की दर्जनों मूर्तियां स्थापित है लगभग 100 कमरे वाले आश्रम में हनुमान जी की 50 फीट और गणेश जी की 18फिट ज्यादा ऊंची मूर्ति, प्रवेश द्वार में जल सेवा के लिए बनी गाय जिसके थनों से पेय जल मिलता है, आकर्षण का केंद्र है।आश्रम में भ्रमण के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते है
गेठिया आश्रम मे बाबा ने कई बार और जापानी शिष्या द्वारा एक बार जमीन के नीचे समाधि ली गईं
आश्रम स्थापना के बाद लंबे समय तक हर दूसरे तीसरे वर्ष विशाल धार्मिक आयोजन होते रहते थे बीते वर्ष 2023जून में बाबा आखरी बार एक दिन के प्रवास में आए थे। बाबा जी सैकड़ो किताबें लिखी। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण पहाड़ पुकार रहा है। समरणीय है किदेश के जाने माने संत और जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन हो गया है. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मुंबई के निजी अस्पताल में उनका निधन हुआ. उन्हें हरिद्वार में समाधि दी जाएगी. वह भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर थे इसलिए उन्हें पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्धि मिली. पाकिस्तान से हुए 2 युद्ध में फाइटर पायलट की भूमिका निभाई, उसके बाद संन्यास लिया था.पायलट बाबा के इंस्टा अकाउंट पर उनके महासमाधि की जानकारी गई. सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर लिखा गया- ओम नमो नारायण, भारी मन से और अपने प्रिय गुरुदेव के प्रति गहरी श्रद्धा के साथ, दुनिया भर के सभी शिष्यों, भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी ने आज महासमाधि ले ली है. उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया है।…

कौन है ‘पायलट बाबा’: पायलट बाबा को समाधि या अंत्येष्टि द्वारा मृत्यु का अभ्यास करने के लिए जाना जाता है, उनका दावा है कि उन्होंने 1976 से अपने जीवन में 110 से अधिक बार प्रदर्शन किया है. पायलट बाबा पहले भारतीय वायु सेना के पायलट थे, जिनका नाम कपिल सिंह था. वह भारतीय वायुसेना में एक विंग कमांडर थे लेकिन बाद में उन्होंने आध्यात्मिकता को आगे बढ़ाने के लिए कम उम्र में सेवानिवृत्त होने का फैसला किया. पायलट बाबा ने भारत के लिए कई और महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ी हैं. वहां से निकलने के बाद वह 2007 में अर्धकुंभ में समाधि लगाने के लिए लाखों साधुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गए…..

पायलट बाबा का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में हुआ था. उन्होंने स्नातकोत्तर एम.एससी. किया. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, कपिल सिंह (जैसा कि उन्हें पहले जाना जाता था) एक पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए. रिपोर्टों के अनुसार, उन्हें 1957 में एक लड़ाकू पायलट के रूप में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें ग्रीन पायलट के रूप में वर्गीकृत किया गया था.लेकिन इतने सालों तक काम करने के बाद एक घटना ने कपिल सिंह की जीवन के प्रति धारणा बदल दी, जिसने अंततः उन्हें पायलट बाबा बना दिया. अपने एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि 1996 में वह भारत के उत्तर-पूर्व में मिग विमान उड़ा रहे थे और जब वह बेस पर लौट रहे थे तो उनका विमान नियंत्रण खो बैठा. लड़ाकू विमान में तकनीकी खराबी आ गई और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई. उन्होंने कहा कि उन्होंने जीवित रहने की सारी उम्मीद खो दी थी और अपने आध्यात्मिक गुरु, हरि बाबा को याद करना शुरू कर दिया था.
कुछ समय बाद, उन्हें अपने कॉकपिट में आध्यात्मिक गुरु की उपस्थिति महसूस हुई जो उन्हें सुरक्षित लैंडिंग के लिए मार्गदर्शन कर रहे थे. विमान सुरक्षित रूप से उतर गया और पायलट बाबा विमान को सुरक्षित और जीवित छोड़ गये. उनके अनुसार, तभी उन्होंने निर्णय लिया कि वह आध्यात्मिक जीवन जीएंगे.

पायलट बाबा ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में भाग लिया था. इसके अलावा, उन्होंने 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी लड़ाई लड़ी थी. भारतीय वायु सेना में अपनी सेवा के दौरान उन्हें कई पदकों से सम्मानित किया गया था जिसमें शौर्य चक्र, वीर शामिल थे। चक्र और विशिष्ट सेवा पदक.।….

लेकिन इतने सालों तक काम करने के बाद एक घटना ने कपिल सिंह की जीवन के प्रति धारणा बदल दी, जिसने अंततः उन्हें पायलट बाबा बना दिया. अपने एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि 1996 में वह भारत के उत्तर-पूर्व में मिग विमान उड़ा रहे थे और जब वह बेस पर लौट रहे थे तो उनका विमान नियंत्रण खो बैठा. लड़ाकू विमान में तकनीकी खराबी आ गई और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई. उन्होंने कहा कि उन्होंने जीवित रहने की सारी उम्मीद खो दी थी और अपने आध्यात्मिक गुरु, हरि बाबा को याद करना शुरू कर दिया था.
कुछ समय बाद, उन्हें अपने कॉकपिट में आध्यात्मिक गुरु की उपस्थिति महसूस हुई जो उन्हें सुरक्षित लैंडिंग के लिए मार्गदर्शन कर रहे थे. विमान सुरक्षित रूप से उतर गया और पायलट बाबा विमान को सुरक्षित और जीवित छोड़ गये. उनके अनुसार, तभी उन्होंने निर्णय लिया कि वह आध्यात्मिक जीवन जीएंगे.इस घटना के बाद उन्होंने 33 साल की उम्र में संन्यास ले लिया. ऐसा माना जाता है कि पायलट बाबा ने हिमालय की नादा देवी घाटी में 1 वर्ष तक तपस्या की थी. आज दुनिया भर में उनके लाखों भक्त हैं और उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं. उनके कुछ लिखित साहित्य में कैलाश मानसरोवर, पर्ल्स ऑफ विजडम, डिस्कवर द सीक्रेट्स ऑफ हिमालय और अन्य शामिल हैं….

पायलट बाबा को अक्सर जमीन के नीचे लंबी समाधि, या मृत्यु जैसी शारीरिक अवस्था में प्रवेश करने के अपने दावे के लिए जाना जाता है। पायलट बाबा जी ने 100 से अधिक समाधि सारे विश्व में लगाई है जिनमें से कुछ भू समाधि एवं एयरटाइट ग्लास में समाधि प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों में लगाई गई समाधि वैज्ञानिक परीक्षणों पर भी खरी साबित हुई हैं।

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