देहरादून(अशोक गुलाटी editor-in-chief । पिछले कुछ दिनों से जून में निकाय चुनाव कराए जाने की संभावनाओं पर अब विराम लगता नजर आ रहा है। सूत्रों की माने तो प्रदेश में निकाय चुनाव अभी जल्दी में नही होने जा रहे और निकायों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल 2 जून से आगे बढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है। समरणीय है कि पिछले साल दिसंबर से सभी नगर निकायों में कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रशासक तैनात हो गए थे। नियमानुसार यह प्रशासक दो जून यानी छह माह तक के लिए ही तैनात हो सकते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता छह जून तक लागू है। लिहाजा, निकाय चुनाव इससे पहले नहीं हो पायेंगे। सरकार प्रदेश के नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में चुनाव से पहले प्रशासकों का कार्यकाल कुछ समय के लिए बढ़ाने का रास्ता तलाश रही है। इसके लिए विधिक राय ली जा रही है। निकाय चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण लागू करने, निकायों में परिसीमन, पदों का आरक्षण जारी करने आदि कार्यों के लिए कम से कम दो माह का समय चाहिए। छह जून को आचार संहिता खत्म होने के बाद ही इस पर काम आगे बढ़ सकेगा, लेकिन दो जून को प्रशासकों का कार्यकाल खत्म होने के चलते सरकार अब कुछ समय के लिए उनका कार्यकाल बढ़ाना चाहती है। इसके पीछे निकायों में परिसीमन और आरक्षण की अभी तैयारी पूर्ण नही होने के साथ-साथ प्रदेश में मंगलौर और बद्रीनाथ दो विधानसभाओं पर उपचुनाव भी कराये जाने है जो सम्भवतः सितम्बर में होने है। इसके साथ ही प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत का कार्यकाल भी अक्टूबर में पूर्ण हो रहा है। सूत्रों की माने तो सरकार प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव सितम्बर माह में और पंचायत चुनाव को अपने निर्धारित समय पर अक्टूबर में ही कराने के मूढ़ मे है। जिसके चलते लोक सभा चुनाव की आचार संहिता के चलते टले निकाय चुनाव को सरकार अभी और आगे टालने के इरादे में है ताकि उपचुनाव और पंचायती चुनाव को समय पर कराये जा सके। सूत्रों की माने तो सरकार पंचायत चुनाव के साथ या उसके आस-पास निकाय चुनाव कराये जाने के विकल्प पर भी मंथन कर रही है। बहरहाल इतना तो तय है कि प्रदेश में सितम्बर से पहले निकाय चुनाव नही होने वाले हैं। उपचुनाव और पंचायती चुनाव के चलते निकाय चुनाव की सम्भावना अक्टूबर माह में अधिक नजर आ रही है। वही दूसरी तरफ
प्रदेश में नगर निकाय चुनाव भले अभी नही हो रहा मगर प्रदेश में निकाय सीटों पर आरक्षण को लेकर दावेदारों और आम जनता के बीच जिज्ञासा जोरो पर है। सोशल मीडिया पर कभी कोई सीट सामान्य तो कभी कोई आरक्षित होने के समाचार प्रतिदिन देखने और सुनने को मिल रहे है। मगर शासन स्तर पर प्रदेश के सभी नगर निगमों,नगर पालिकाओं और नगर पंचायत सीटों पर आरक्षण को लेकर अभी केवल मंथन ही चल रहा है और किसी भी सीट पर आरक्षण की तस्वीर साफ नही की गई है। आरक्षण को लेकर गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग से निकाय क्षेत्रों में ओबीसी की रिपोर्ट मिलने के बाद निकायों में आरक्षण को लेकर शासन स्तर से माथापच्ची की जा रही है। सरकार ओबीसी आरक्षण के लिये गठित वर्मा आयोग की सिफारिश को मानती भी है या नही अभी इस पर भी संदेह है। कुल मिलाकर निकाय की सीटो पर आरक्षण को लेकर अभी तक कोई भी तस्वीर साफ नही है। अब प्रदेश में निकाय चुनाव जून से टल कर आगे अक्टूबर में कराये जाने की सम्भावनाओं के चलते निकाय की सीटो पर आरक्षण की रिपोर्ट आने में अभी ओर वक्त लगने की सम्भावना जताई जा रही है।