नई दिल्ली: नैनीताल- उधम सिंह नगर लोक सभा सीट पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ; एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी को टिकट देने पर कांग्रेस हाई कमान गंभीर?💥 कल (सोमवार) को दोनों सीटों पर देर शाम तक हो सकती है घोषणा हो सकती है ;यह जानकारी उच्च पदस्थ सूत्रों ने दी। अशोक गुलाटी editor-in-chief /स्मरणीय है कि राज्य में पहले चरण में 19 अप्रैल को पांचों सीटों पर मतदान होगा। वहीं चार जून को मतगणना होगी। वहीं कुमांऊं मंडल की नैनीताल -उधम सिंह नगर और गढ़वाल मंडल की हरिद्वार लोकसभा की दो सीटों पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। इन दो सीटों कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की दावेदारी है ; उच्च सूत्रों की माने तो हरीश रावत को टिकट मिल सकता है; इसके अलावा नैनीताल- उधम सिंह नगर से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य को टिकट मिलना तय है? हालांकि यशपाल आर्य ने चुनाव में खड़ा ना होने की इच्छा हाई कमान को बता दी थी ; राजनीतिक पंडितों का मानना है कि चुनाव में कम समय है; इसलिए हाई कमान नए चेहरे पर दावा नहीं खेल सकता है; दोनों नेताजी अनुभवी वरिष्ठ व लोकप्रिय नेता है; राजनीतिक पंडितों का मानना है; इन दोनों बड़े नेताओं को. टिकट मिलने से चुनाव निःसंदेह लोकप्रिय व रोचक हो जाएगा; हाई कमान इन दो बड़े नेताओं पर दावा खेल सकता है; हाई कमान नए चेहरे पर कोई रिस्क लेने के मूड में है? जैसे कि हमारे विश्वसनीय सूत्र बता रहे हैं; बरहाल सोमवार को देर शाम प्रत्याशी के नाम की की घोषणा होने की उम्मीद हैl. गौरतलब है कि 2019 में भी उत्तराखंड में पहले चरण में ही 11 अप्रैल को वोटिंग हुई थी। तब कुल 61.50 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। यह आंकड़ा वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव की तुलना में कम था। नैनीताल संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक 66.39 प्रतिशत और पौड़ी में सबसे कम 48.78 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 2014 में 62.15 प्रतिशत मतदान हुआ था। लोकसभा चुनाव की पिछले लोकसभा चुनाव में 50 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। यह आंकड़ा वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव की तुलना में कम था। नैनीताल संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक 66.39 प्रतिशत और पौड़ी में सबसे कम 48.78 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 2014 में 62.15 प्रतिशत मतदान हुआ था। लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई है। राज्य में पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। इसमें तीन सीटें गढ़वाल और दो सीट कुमाऊं मंडल में हैं। उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीट हैं। चुनाव के लिए भाजपा पांचों सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। यहां हर बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है। टिहरी गढ़वाल सीट से माला राज्यलक्ष्मी शाह, नैनीताल सीट से अजय भ और अल्मोड़ा सीट से अजय टम्टा को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, पौड़ी गढ़वाल सीट पर सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी और हरिद्वार से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर दांव लगाया है। कांग्रेस ने उत्तराखंड की तीन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। टिहरी गढ़वाल सीट से जोत सिंह गुनसोला, पौड़ी सीट से गणेश गोदियाल और अल्मोड़ा से प्रदीप टम्टा पर दांव खेला गया है। जबकि दो सीटों पर अभी भी सस्पेंस बना है। उत्तराखंड में 2024 के लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही कांग्रेस को झटके पर झटके लग रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस हाईकमान के साथ ही प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने भी कांग्रेस नेताओं के इस्तीफे पर पूरी तरह से खामोशी की चादर ओड़ ली है। चमोली जपनद की बद्रीनाथ विधानसभा सीट से विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी और टिहरी विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी धन सिंह नेगी ने इस्तीफा दे दिया है। इसस पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष खंडूरी ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया तो अब कांग्रेस के पूर्व विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। अब कांग्रेस के बड़े नेता बीजेपी के पिच से बैटिंग करेंगे। लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद जिस तरीके से नेता का साथ छोड़ रहे हैं उस से ये लग रहा है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। उत्तराखंड कांग्रेस में पार्टी छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते रोज गंगोत्री विधानसभा के पूर्व विधायक विजयपाल सजवान, और पुरोला से पूर्व में विधायक रहे मालाचंद ने भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस पार्टी को करारा झटका दिया है। दोनो पूर्व विधायक ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभी दायित्व से मुत्तफ होकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वहीं इसको लेकर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने कहां किसी नेता के जाने पार्टी पर कोई फर्क नही पड़ता है अगर बूथ लेवल का कार्यकर्ता पार्टी छोड़ता है तो परेशानी वाली है। मगर नेता कोई भी है उनको सत्ता की भूख रहती है जिसके कारण नेता कभी यहां तो कभी वहां पार्टी बदलते रहते है। मगर इस वक्त कांग्रेस पार्टी के लिए संकट काल रूप में हम देख रहे है, और संकट काल में पार्टी को मजबूत किया जाना चाहिए। पार्टी ने जिन नेताओं पर इतना इन्वेस्ट किया है उन लोगो का ऐसे छोड़कर जाना दुर्भाग्य पूर्ण है। जहां तक बात मालचंद की करें तो भाजपा उनका मूल गर्भ है और जहां से मालचंद आए थे वहीं चले गए है।उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाली आज एक ओर नाम शामिल हो गया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्र वधु अनुकृर्ति गुसाईं ने भी आज उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। अपने सोशल मीडिया पर इस्तीफे की फोटो जारी करते हुए अनुकीर्ती ने यह जानकारी दी। 2022 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने अनुकृति गुसाईं को पौड़ी गढ़वाल विधान सभा टिकट भी दिया था। जिसमे उनको हार का सामना भी करना पड़ा। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्त शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहां कांग्रेस पार्टी ने अनुकृति गुसाईं मान सम्मान दिया और उन्हें अगर कोई बात कहनी थी तो पार्टी प्लेटफॉम पर रखनी चाहिए थी और आज के वत्तफ सभी कार्यकर्ता हो क्या नेता अपनी बात को पार्टी प्लेटफार्म पर रखते है। आज के वत्तफ में भाजपा द्वारा ईडी और एसबीआई का डर भाजपा द्वारा विपक्षी दलों को डराने का काम किया जा रहा है जिसके चलते लोग पार्टी छोड़ रहे है। लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह से कांग्रेस के नेता पार्टी का दामन छोड़ रहे है उससे कहीं ना कहीं कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है। अब देखना ये होगा कि लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को इसका कितना खामियाजा उठाना पड़ता है। लगातार नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारण कांग्रेस को कितना नुकसान झेलना पड़ता है। बात अगर कांग्रेस के नुकसान की करें तो इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तरकाशी जनपद के दो पूर्व विधायकों के द्वारा भाजपा का दामन थामने के बाद उत्तरकाशी जनपद में कांग्रेस का कोई पूर्व विधायक तक अब नाम लेने वाला नहीं रह गया है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का कहना है कि कांग्रेस में जो भी पूर्व विधायक उत्तरकाशी जनपद से थे वह भाजपा में शामिल हो गए हैं। उत्तरकाशी जिला एक तरीके से कांग्रेस मुक्त हो गया है। वहीं कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व विधायक विजयपाल साजवान का कहना है कि पूर्व विधायक ही नहीं पूरी कांग्रेस एक तरीके से उत्तरकाशी में भाजपा में शामिल हो गई है। इसके बाद तो सवाल यहीं उठ रहा है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कैसे खुद को मजबूती से पेश करेगी और कैसे कांग्रेस की नैया पार लगेगी।…
लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह से कांग्रेस के नेता पार्टी का दामन छोड़ रहे है उससे कहीं ना कहीं कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है। अब देखना होगा लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को इसका कितना खामियाजा उठाना पड़ता है।