हरिद्वार : भारत की नैतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए देश में और अधिक गुरुकुल हों स्थापित; हमारे ज्ञान का विशाल भंडार पूरी दुनिया को है समर्पित: रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह

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हरिद्वार 06 जनवरी,। अशोक गुलाटी editor-in-chief

💥भारत की नैतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए देश में और अधिक गुरुकुल हों स्थापित।

💥गुरुकुलों से अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अग्रसर होने का किया आह्वान।

💥हमारे ज्ञान का विशाल भंडार पूरी दुनिया को है समर्पित- रक्षा मंत्री, श्री राजनाथ सिंह

केंद्रीय रक्षा मंत्री, श्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को स्वामी दर्शनानन्द गुरूकुल महाविद्यालय, हरिद्वार में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय कानून मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल एवं योग गुरु स्वामी रामदेव की उपस्थित में ’पतंजलि गुरूकुलम’ एवं ’आचार्यकुलम’ का भूमि पूजन कर शिलान्यास किया।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि देश में गुरूकुलों में न केवल आधुनिक शिक्षा प्रदान की जाए, बल्कि भारत की नैतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए और अधिक गुरुकुल स्थापित किए जाने चाहिए। ऐसे समय में जब विदेशी संस्कृति के अनुकरण के कारण नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, युवाओं को नैतिक मूल्यों के समावेश के साथ आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए गुरुकुलों को यह दायित्व निभाने के लिए आगे आना चाहिए।

उन्होंने गुरुकुलों से आज के निरंतर विकसित हो रहे समय के साथ तारतम्य बिठाते हुए पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसी उभरती और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अग्रसर होने का आह्वान किया। “ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित करें जो देश को इस क्षेत्र में अग्रणी बनायें। उन्होंने कहा कि गुरुकुलों को अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करना चाहिए, आने वाले समय में वे एक बार फिर देश और उसकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करें और भारत की नई पहचान बनें। रक्षा मंत्री ने कहा कि “लगभग 1,500 वर्ष पूर्व भारत में कई बड़े विश्वविद्यालय थे, जिनमें गुरुकुल परंपरा प्रचलित थी। उसके बाद, देश ने विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा उस व्यवस्था को लगभग नष्ट होते हुए देखा। बदले में, उन्होंने एक ऐसी प्रणाली विकसित की जो हमारे युवाओं को देश की सांस्कृतिक भावना के अनुरूप शिक्षा प्रदान नहीं करती थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि उस दौरान, स्वामी दर्शनानंद जी ने इस गुरुकुल की स्थापना की, जो तत्कालीन समय से हमारी युवा पीढ़ियों को ज्ञान और संस्कृति के माध्यम से  दीप्तिमान कर रहा है।”

रक्षा मंत्री ने देश में सांस्कृतिक विकास में गुरुकुलों की भूमिका को रेखांकित करते हुए सांस्कृतिक उत्थान की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि “काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और महाकालेश्वर धाम से राम मंदिर तक बुनियादी ढांचागत विकास से पता चलता है कि सरकार हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और उसके उत्थान की दिशा में कार्यरत है। यह विचार सांस्कृतिक संरक्षण से भी आगे जाता है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस महान देश की संस्कृति पर गर्व कर सकें। उन्होंने कहा कि गुरुकुल इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।” राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने प्राथमिक शिक्षा से ही युवाओं के मन में नैतिक मूल्यों को विकसित करने के सरकार के संकल्प को दोहराया।

रक्षा मंत्री ने योग के महत्व का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे इसके हितकारी होने के कारण संपूर्ण विश्व ने प्राचीन भारतीय पद्धति का अनुसरण किया है। “भारत वसुधैव कुटुंबकम (विश्व एक परिवार) की अवधारणा का पालन करता है। हमारे ज्ञान का विशाल भंडार पूरी दुनिया को समर्पित है। अब 21 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि योग की इस प्रथा को, कभी केवल भारत तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन अब इसे विश्व स्तर पर लोगों ने स्वीकार किया है, अब योग प्रणाली पूरे विश्व के लोगों के दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।” भारतीय साहित्य में संस्कृत के महत्वपूर्ण स्थान की चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने प्राचीन भारतीय भाषा को उसी तरह बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया जिस प्रकार से योग को लोगों के लिए सुलभ बनाया गया था।

गुरूकुलम में छात्र शिक्षा के साथ संस्कारवान बनकर आदर्श नागरिक के रूप में समाज में देंगे अपना योगदान

स्वामी दर्शनानंद का प्राचीन गुरूकुल परंपरा को पुर्नजीर्वित करने में है बड़ा योगदान- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती और स्वामी दर्शनानंद का प्राचीन गुरूकुल परंपरा को पुर्नजीवित करने में बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा जिस प्रकार स्वामी रामदेव ने पतंजलि योगपीठ के माध्यम से विश्व में योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने का कार्य किया, उसी प्रकार पतंजलि गुरूकुलम भी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का द्योतक बनेगा। गुरूकुलम में बच्चों को शिक्षा के साथ ही संस्कार भी मिलेंगे, जिससे वो एक आदर्श नागरिक के रूप में समाज में अपना योगदान दे सकेंगे

आचार्यकुलम के इतिहास आदि की जानकारी दी।

इस अवसर पर सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री व नगर विधायक श्री मदन कौशिक, श्री प्रदीप बत्रा, पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री यतीश्वरानंद, श्री बालकनाथ महाराज, स्वामी परमानन्द, श्री ज्ञानदेव, श्री राजीव, महन्त रविन्द्रपुरी, स्वामी हरिचेतनानंद, रूड़की विधायक पूर्व विधायक लक्सर श्री संजय गुप्ता, कुलाधिपति डॉ0 सत्यपाल सिंह, जिलाधिकारी श्री धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री प्रमेन्द्र डोभाल एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

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