breaking Uttarkashi:श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकालीन सत्र के लिए हुए बंद, अब 6 महीनों तक मायके मुखीमठ में होंगे ‘मां गंगा जी’ के शीतकालीन दर्शन@

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उत्तरकाशी। विशेष संवाददाता समुद्रतल से 3140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माँ गँगा जी के आस्था विश्वास के धाम गंगोत्री के कपाट आज 14 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 1 मिनट पर विधिविधान मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गये। 15 नवंबर को माँ गंगा जी की भोग मूर्ति मुखबा स्थित गँगा मंदिर में स्थापित की जाएगी। आज माँ गंगा जी का अभिषेक करने के साथ ही गंगालहरी, गंगा सहस्त्रनाम का पाठ किया गया। इससे पूर्व

भारतीय सेना के बैंड के भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए।

ढाई हजार तीर्थयात्री कपाट बंद होने के साक्षी बने।
बर्फ की चादर औढ़े है संपूर्ण केदारनाथ धाम।
कपाट बंद होने के अवसर पर केदारनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया।
•श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने केदारनाथ यात्रा के समापन पर बधाई दी।….

असम के मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी रिनिकी भुयान शर्मा एवं परिजन कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद रहे।
केदारनाथ धाम: 15 नवंबर। शीतलहर तथा बर्फ के बीच श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज भैयादूज बुधवार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया, वृश्चिक राशि, ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ अवसर पर प्रात: साढ़े आठ बजे विधि- विधान से शीतकाल हेतु बंद हो गये। आजकल श्री केदारनाथ क्षेत्र बर्फ की चादर ओढ़े है आधा फीट तक बर्फ मौजूद है आज कपाट बंद के के समय मौसम साफ रहा।
कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था और ढाई हजार से अधिक तीर्थयात्री कपाट बंद होने के गवाह बने इस दौरान सेना के भक्तिमय धुनों के साथ जय श्री केदार तथा ऊं नम् शिवाय के उदघोष से केदारनाथ गूंज उठा।
कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली हजारों तीर्थयात्रियों के साथ सेना के बैंड बाजों के साथ पैदल प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान हुई।
श्री बदरीधनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय मंगलवार को कपाट बंद की तैयारियों हेतु श्री केदारनाथ पहुंच गये थे आज इस…

अवसर पर उनके साथ असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व शर्मा की धर्मपत्नी मीडिया दिग्गज रिनिकी भुयान शर्मा तथा परिजन भी कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद रहे।‌यह सभी अतिथि मंगलवार को ही केदारनाथ धाम पहुंच गये थे।

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