भवाली: (नैनीताल) उजाला अकादमी में भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए उत्तर क्षेत्रीय न्यायिक सेमिनार का उद्घाटन हुआ, न्यायिक सशक्तिकरण के लिए इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने किया@ 👁अशोक गुलाटी प्रधान संपादक

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भवाली/ (नैनीताल) अशोक गुलाटी प्रधान संपादक/
उत्तराखंड में नैनीताल के उजाला अकादमी में भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए उत्तर क्षेत्रीय न्यायिक सेमिनार का उद्घाटन हुआ। न्यायिक सशक्तिकरण के लिए इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने किया।
नैनीताल में भवाली के उजाला (उत्तराखण्ड ज्युडिशियल एंड लीगल अकेडमी) में शनिवार प्रातः अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर राज्यपाल के साथ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और शीर्ष सरकारी अधिवक्ता मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि आज न्यायाधीशों के बीच आकर गौरवान्वित हूं। हमारे देश की न्यायपालिका सर्वाेपरि व इतनी मजबूत है कि भारत जल्द ही विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। उम्मीद है की भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण होने पर अर्थात 2047 में विश्व गुरु का मुकाम हासिल कर लेगा। न्यायपालिका हमारी लोकतांत्रिक व्यव्यस्था की आधारशिला, न्याय की संरक्षक और हमारे अधिकारों व स्वतंत्रता की रक्षक है।
राज्यपाल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विषय में कहा कि हर भारतीय का डीएनए स्वतः ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई) को सपोर्ट करता है। इसके उपयोग से मानव जीवन को सकारात्मक दिशा में ट्रांसफॉर्म किया जा सकता है। उन्होंने हिंदी भाषा को न्यायिक व्यवस्था में अधिक प्रयोग किए जाने की भी बात कही।
न्यायिक सक्रियता के महत्व का उल्लेख करते हुए बताया कि न्यायपालिका ने पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकारों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए अक्सर सक्रिय कदम उठाए हैं। इस न्यायिक सक्रियता से जांच और संतुलन की व्यवस्था मजबूत हुई है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने ई-ट्रू (e-true)कॉपी जारी करने के लिए कदम उठाया है वह सराहनीय है। उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों के निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने के लिए किसी वादी को अदालत परिसर में व्यक्तिगत रूप से जाने की आवश्यकता नहीं है। इससे संबंधित पक्षों का समय और प्रयास बचता है। इसके अलावा, सभी अदालतें डिजीटल और कागज रहित होने की प्रक्रिया में हैं, जिससे न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच तैयार हो रहा है। वादियों के लिए आदेश या मामले की स्थिति आसानी से प्राप्त की जा सकती है। कोविड-19 महामारी के दौरान, हमारी न्यायपालिका ने वस्तुतः कार्य किया, जो अपने आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
सेमिनार में न्यायिक प्रक्रिया को अत्याधुनिक तकनीक की मदद से और भी पारदर्शी और प्रभावी बनाने के न्यायिक विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। क्रिप्टो करेंसी, ब्लॉक चेन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने विचार रखे। उद्घाटन सत्र में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, न्यायमूर्ति एस रविन्द्र भट्ट, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना आदि विशिष्ट अतिथियों ने देशभर से आए न्यायाधीशों के लिए अपने विचार रखे। न्यायमूर्ति सुधांशू धूलिया ने कहा कि तकनीक का उपयोग न्याय को सरल बनाने के लिए होना चाहिए।
सभी मंचासीन महानुभावों ने राष्ट्र न्यायिक अकादमी के तत्वाधान में राज्य न्यायिक अकेडमी द्वारा कराए गए इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसके लाभदायक और प्रभावशाली परिणाम आने की बात कही। वक्ताओं ने कहा कि ऐसे सेमिनारों से न्यायिक प्रक्रिया की चाल और मार्ग तय होगा।
कार्यक्रम में शनिवार को तीन और रविवार को दो पाली में लेक्चर रखे गए हैं जिसमें आज सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सुधांशू धूलिया, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एस. रविन्द्र भट्ट, न्यायमूर्ति संजय कारोल, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मंनोज मिश्रा ने अपने विचार रखे। रविवार को न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन, न्यायमूर्ति ए.एम.मुस्ताक और न्यायमूर्ति सूरज गोविन्दराज के लेक्चर रहेंगे।
उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज तिवारी, न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति आलोक वर्मा, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल, न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा के अलावा महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर, वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र पाल सिंह, जिलाधिकारी वंदना, एसएसपी पी.एन. मीणा आदि विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। कॉन्फ्रेंस में उत्तराखण्ड के साथ ही जम्मू कश्मीर, हिमांचल, यू.पी., दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, असम आदि राज्यों से न्यायाधीशगण मौजूद थे।


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