बिग ब्रेकिंग देहरादून: आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय पूर्व कुलसचिव विवादित बाहुबली मृत्युंजय मिश्रा:🥺‘फीनिक्स‘ पक्षी सा जी उठता है मृत्युंजय मिश्रा!😲बार-बार जल कर राख हुआ, फिर सज गया था ताज? 👉भ्रष्टाचार के खिलाफ खूब जंग लड़ रही धामी सरकार!!👁️ अशोक गुलाटी editor-in-chief की विशेष रिपोर्ट

खबर शेयर करें -

देहरादून (अशोक गुलाटी editor-in-chief) उत्तराखंड के इतिहास में मृत्यंजय मिश्रा फीनिक्स पक्षी साबित हुआ हैं। फीनिक्स एक बेहद रंगीन पक्षी है। दंतकथाओं में कहा जाता है कि फीनिक्स का जीवनचक्र एक हजार वर्ष होता है जिसके अंत में यह खुद के इर्द-गिर्द लकडियों व टहनियों का घोसला बनाकर उसमें स्वयं जल जाता है। घोसला और पक्षी दोनों जल कर राख बन जाते हैं और इसी राख से एक नया फ़ीनिक्स या उसका अंडा पुनर्जन्म लेता है। अपनी ही राख से पुनर्जन्म लेने की काबलियत के कारण यह माना जाता है कि फ़ीनिक्स अमर है।

यह अमर कथा मृत्यंजय मिश्रा की है जो बार-बार जी उठता है। मिश्रा का विवादों से लंबा नाता रहा है। जहां भी गये, महाशय पर आरोपों की बौछार हो गयी। एक भी काम ऐसा नहीं किया कि विवाद न हो। उनके एक खासमखास बड़े नौकरशाह ने मुख्य सचिव बनने के बावजूद मिश्रा को जेल से नहीं छुटाया कि कहीं उनका कच्चा चिट्ठा न खुल जाएं। मृत्युंजय अपने इस माईबाप की बेरूखी के बावजूद फिर जी उठे और अब उसी आयुर्वेदिक और यूनानी विभाग का ओएसडी बना दिया गया है।……

शिक्षा विभाग के एक अदने से शिक्षक से मिश्रा ने साबित किया कि तरक्की का नजरिया होना चाहिए और जुगाडवाद ही ऐसा शार्टकट है जिसके माध्यम से मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। मृत्युंजय मिश्रा 2007 में उत्तराखंड तकनीकि विश्वविद्यालय के कुलसचिव बने। वहां उनके ऊपर तकरीबन 85 लाख रुपए के गबन का आरोप लगा। उन्हे कुलसचिव पद से हटा दिया गया। इसके कुछ सालों बाद उन्हे उत्तराखंड आर्युवेदिक विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार बना दिया गया। वहां भी उनपर एक करोड़ रुपए के घपले का आरोप लगा। विजिलेंस की जांच हुई, और विजिलेंस ने उन्हे जेल भेज दिया। मिश्रा के खिलाफ कोर्ट में 4700 पेज की चार्जशीट दाखिल हुई। इसमें उनपर लगे आरोपों के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत किए गए । मिश्रा पर 2013 से 2017 तक कुलसचिव रहते कई फर्जी यात्राएं दर्शाकर धन हड़पने, अपने भाई धनंजय की पत्नी आरती मिश्रा को गलत ढंग से नियुक्ति देने, शिल्पा त्यागी, नूतन रावत की तीन फर्मों से नियमों की अनदेखी कर सामान का क्रय करने, फर्जी दस्तावेज के आधार पर बैंक खाते खुलवाने का आरोप है। मिश्रा पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप हैं और आरोप है कि उनकी चार राज्यों में अथाह संपत्ति है।

धाकड़ धामी सरकार में सिस्टम के काम करने का तरीका देखिए कि जब मिश्रा जेल से छूटे तो उन्हे फिर से उसी विश्वविद्यालय में कुलसचिव के पद पर बैठा दिया गया। शासन के इस फैसले पर गंभीर सवाल उठे। यहां तक कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ० सुनील जोशी ने एतराज जताया लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। बात सीएम धामी तक भी पहुंची लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब धामी सरकार ने ऋषिकेश में आयोजित भ्रष्टाचार पर अंकुश को लेकर आयोजित जी-20 सम्मेलन के दो महीने पूरे होने की खुशी में भ्रष्टाचार के महाआरोपी मृत्युंजय मिश्रा को फिर ताज पहना दिया था आयुर्वेदिक और यूनानी विभाग का ओएसडी बना दिया गया है। । जिसकी जमकर आलोचना हुई थी जैसे ही धाकड़ युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जानकारी मिली कुछ ही घंटे की नियुक्ति के बाद श्री मिश्रा को हटा दिया गया। इधर मजेदार बात यह है कि डॉक्टर मिश्रा के पास अभी भी अवैध रूप से डेढ़ साल से इस विद्यालय की सरकारी वाहन अपने कब्जे में रखा हुआ है। विश्वविद्यालय के कुलपति विगत 1 साल से अधिक रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं परंतु डॉक्टर मिश्रा के खिलाफ अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है ना ही वाहन वापस मिला है । सूत्रों के मुताबिक अब विश्वविद्यालय प्रशासन न्यायालय की शरण एफ आई आर दर्ज करने के लिए में जा रहा है।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad