पंतनगर, 16 फरवरीl (अशोक गुलाटी editor-in-chief की रिपोर्ट) देश के प्रथम कृषि विश्वविद्यालय एवं हरित क्रांति की जननी पंतनगर में आयोजित 34वे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तराखण्ड के राज्यपाल एवं कुलाधिपति ले. जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह द्वारा 2503 विद्यार्थियों को उपाधि व दीक्षा प्रदान की गयी। इस अवसर पर महामहिम ने कहा कि पी.एचडी. एक अलग ही लेवल है और आज से 275 उपाधि धारक डाॅक्टर कहलाएंगें। इस क्षण डिग्री एवं मेडल लेने आए विद्यार्थियों में एक अलग ही उत्साह दिखा जोकि बहुत ही अहम है। आज उत्तराखण्ड की बेटियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, यहां तक कि एक परिवार की दो बहनों ने मेडल हासिल किया है। उन्हांेने विद्यार्थियों के माता-पिता और गुरूजनों को हार्दिक बधाई दी और विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपने माता-पिता, गुरूजन एवं साथी को न भूले। दीक्षांत समारोह एक महोत्सव की तरह होता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप सपने देखिए और संकल्प लिजिए। पंतनगर हरित क्रांति की जननी रहा है और पुनः बीज, कृषि और औद्यानिकी में क्रांति लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम यदि पूरी जिम्मेदारी से योगदान करे तो हमें विकसित राष्ट्र और विश्वगुरू होने से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि त्रिशूलल की तरह तीन बातों को विद्यार्थी धारण करें, प्रथम आप स्वयं की योग्यता को पहचाने, द्वितीय सोच-विचार एवं धारणा को बहुत उच्चे स्तर पर लें जाएं और तृतीय स्वयं को अनुशासन में बनाएं रखें। उन्होंने कीर्ति चक्र से सम्मानित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को विज्ञान वारिधि की मानद उपाधि से सम्मानित किये जाने पर बहुत हर्ष व्यक्त किया।
दीक्षांत समारोह के अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को विज्ञान वारिधि की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डोभाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय हमारे राष्ट्र के लिए गौरव का एक स्तम्भ चिन्ह है। हमारे लिए यह सौभाग्य की बात है कि हमेें यहां आने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने देश की सेवा उस समय की है कि जब हमारे देश में अकाल की स्थिति थी और अन्य देशों से खाद्यान्न का आयात करना पड़ता था। आज हम खाद्यान्न में सक्षम ही नहीं बल्कि अन्य देशों को निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने आजादी के समय व वर्तमान समय में भारत-चीन की कृषि भूमि व खाद्यान्न उत्पादन का तुलनात्मक विवरण देते हुए कहा कि चीन कम भूमि होते हुए भी 682 मैट्रिक टन अनाज उत्पादन कर रहा है जबकि भारत 315 मेट्रिक टन उत्पादन कर रहा है। चीन में खाद्यान्न उत्पादन की कीमत 10367 बिलियन डॉलर है जबकि भारत की कीमत 407 बिलियन डॉलर है। उन्होंने कहा कि चीन के पास हम से कम भूमि होते हुए भी हमसे ज्यादा प्रोडक्टिविटी है। उन्होंने कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों तथा संस्थानों के लिए कहा कि अगर चीन कम भूमि होते हुए भी हमसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन करता है तो आपके लिए ये चेलेंज बाॅर्डर पर खड़े सैनिकों के चेलेंज से कम नहीं है। किसान साइटिंस्ट शोधकताओं तथा संस्थाओं के लिए यह एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा, देश की सम्प्रभुता, देश की मजबूती, रक्षा और सुरक्षा का बहुत बड़ा आयाम है। उन्होंने वैज्ञानिकों एवं शोध कर्ताओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हमंे खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। राष्ट्र सुरक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण आयाम है। उन्होंने छात्रों और युवा वैज्ञानिकों से अगले दस वर्षों में उत्पादन को बढ़ाने में योगदान हेतु आह्वान किया।
विषेष अतिथि कृषि मंत्री, उत्तराखण्ड गणेश जोशी ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड का भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है क्योंकि छात्रों की अपेक्षा छात्राओं की संख्या बढ़ रही है। देष के 74 कृषि विष्वविद्यालयों मंे नम्बर एक पर है। देष में कृषि का क्षेत्रफल कम हो रहा है लेकिन उत्पादन बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विलुप्त होती पहाड़ी खाद्य प्रजातियों पर शोध करने की आवश्यकता है। आज हम खाद्यान्न के क्षेत्र में विश्व में नम्बर दो पर है। हम 140 करोड़़ की जनसंख्या होने के बावजूद भी 20 से 25 देषांे को खाद्यान्न उपलब्ध करा रहे हैं। मोटे अनाजों का अब हमारे भोजन में उपयोग किया जा रहा है। देश में ही नहीं वरन विदेशों में भी मोटे अनाजों की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। केन्द्र सरकार ने मडु़आ का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है। किसानों की आय दोगुनी करने का सपना पूर्ण किया जाना है। औद्यानिकी के क्षेत्र में कश्मीर व हिमाचल के बाद सेब में उत्तराखण्ड का स्थान है। डिजटल खेती, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए। जैविक और प्राकृतिक खेती पर विषेष ध्यान देने की आवष्यकता है। मिलेटस को मीड-डे मिल में शामिल किया जा रहा है। उपाधिधारक एवं मेडल प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
सचिव, कृषि अनुसंधान एवं षिक्षा विभाग (डेयर) तथा महानिदेषक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डा. हिमांशु पाठक ने कहा कि दीक्षांत समारोह हमारे जीवन में एक विशेष स्थान रखता है और चिरस्मणीय होता है। वे इस बात से आहलादित थे कि महामहिम प्रत्येक छात्र से उसके माता-पिता के बारे में पूछ रहे थे, जोकि अपने में एक बहुत बड़ा संदेश है। उपाधि धारकों में छात्राओं की अधिक संख्या देखकर लिंग समानता इस विश्वविद्यालय में होने पर गर्व महसूस किया। उन्होंने कहा कि युवा वैज्ञानिकों से बहुत अपेक्षाएं और अधिक परिश्रम करना है ताकि प्रधानमंत्री की 2047 में भारत देष के उन्नतशील राष्ट्र से उन्नत राष्ट्र बनाना है और हम इस समय अमृतकाल से गुजर रहे है। उन्होंने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए आह्वान किया कि अपने साथ देष और समाज को उन्नत बनाएं।
महामहिम द्वारा दीक्षांत समारोह की कार्यवाही प्रारम्भ करने की घोषणा के साथ ही कुलपति डा. मनमोहन सिंह चैहान ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि विष्वविद्यालय हरित क्रांति के रूप में अग्रसर रहकर कृषि, पषुधन, दूध तथा मत्स्य उत्पादन में भी अपना अहम योगदान दे रहा है। पिछले वर्ष विष्वविद्यालय को विष्व क्यूएस रैंकिंग में 361वां स्थान प्राप्त हुआ तथा कृषि षिक्षा और अनुसंधान में किए गए योगदान के लिए ‘आउटलुक एग्रीटेक समिट एंड स्वराज अवार्ड 2022’ से केंन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा सम्मानित किया गया। विष्वविद्यालय में महामहिम राज्यपाल द्वारा म्यूजियम, जनरल विपिन रावत पर्वतीय शोध षिक्षणालय का उद्घाटन किया गया। कृषि मंत्री द्वारा कृषि महाविद्यालय में वेलनेस एंड मेडिटेषन सेंटर में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का भी अनावरण किया गया। उन्होंने कहा कि पहला प्रौद्योगिक सक्षम केन्द्र जो उत्तराखण्ड एवं आईसीएआर प्रणाली दोनों में पहला टीईसी है, विष्वविद्यालय को मिला है। इस अवसर पर वर्ष 2020-2021 तथा 2021-22 में डिग्री पूर्ण करने वाले विद्यार्थियों को उपाधि तथा मेडल प्रदान किया गया। प्रत्येक वर्ष के लिए एक सर्वोत्तम स्नातक को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। उपरोक्त दोनों वर्ष के लिए कुल 26 कुलपति स्वर्ण पदक, 22 कुलपति रजत पदक तथा 22 कुलपति कांस्य पदक से विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त विभिन्न पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।
कुलसचिव डा. ए.के. शुक्ला ने समारोह का संचालन किया एवं अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डीआईजी अशोक कुमार, मण्डलायुक्त दीपक रावत, जिलाधिकारी युगल किशोर पन्त, एएसपी मन्जूनाथ टीसी, मुख्य विकास अधिकारी विशाल मिश्रा, सहित विश्वविद्यालय के प्रबन्ध परिषद् एवं विद्वत परिषद् के सदस्यों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी, प्रगतिषील कृषक तथा प्रदेष सरकार एवं जिला प्रषासन के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
दीक्षांत समारोह में पदक एवं अवार्ड से सम्मानित हुए विद्यार्थी
राज्यपाल एवं कुलाधिपति, ले. जनरल गुरमीत सिंह, द्वारा 2503 विद्यार्थियों को उपाधि व दीक्षा प्रदान की गयी। इस अवसर पर शैक्षणिक वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 के विद्यार्थी क्रमषः रोषनी चन्द एवं सुरवी रावत को सर्वोत्तम स्नातक होने के नाते कुलाधिपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित करने के अतिरिक्त शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के 13 विद्यार्थियों को कुलपति के स्वर्ण पदक प्रदान किये गये, जिनमें वर्तिका शर्मा, नीरज पनेरू, अनमोल नामदेव, भूवनेष खांतवाल, साम्भवी तिवारी, विनय जोषी, हिताक्षी सिंह, अकक्षिता रावत, अवंतिका चन्द, अदिति शर्मा, ज्ञानेष्वरी अग्रवाल, रोषनी चन्द एवं रार्जसी बन्दोपाध्याय सम्मिलित थे। कुलपति के रजत पदक 12 विद्यार्थियों को दिये गये, जिनमें दीपाली रावत, अकक्षिका गोयल, जतिन चन्द देउपा, श्रीकृति, मानवी पाण्डे, वैषाली मटियानी, अंकित जोषी, अंकिता तिवारी, मोहम्मद फैज अली सिद्दीकी, ज्यामनी यादव, यंषी एवं रधिका अग्रवाल थे तथा 12 विद्यार्थियों को कुलपति के कांस्य पदक प्रदान किये गये, जिनमें भावना गुप्ता, गौरव बिष्ट, मोहित कुमार, रजत गुप्ता, शुभम कुषवाहा, तनसी गोयल, उसा मिश्रा, निमिसा मौर्या, सिमरन गुप्ता, काजल वर्मा, प्रियंका आर्या एवं राधिका अग्रवाल सम्मिलित थे। शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के 13 विद्यार्थियों को कुलपति के स्वर्ण पदक प्रदान किये गये, जिनमें रोहित शर्मा, रितिका खड़यात, आदित्या कुमार, मोहित तिवारी, दीक्षा जोषी, सताक्क्षी रावत, दीक्षा रावत, सम्हिता जोषी, अष्टिका पाण्डे, अंकिता जुकारिया, भावना शर्मा, एकता बिष्ट एवं सुमित जोषी थे। कुलपति के रजत पदक 10 विद्यार्थियों को दिये गये, जिनमें सचिन पंत, ध्रूव खड़यात, रितिका सैनी, चरनजीव त्रिपाठी, प्रतिमा शाह, अंजली मेहता, अभिजीत राय, पूजा काण्डपाल, रिंकल सुन्दरियाल एवं मयुरी नाग थे तथा 10 विद्यार्थियों को कुलपति के कांस्य पदक प्रदान किये गये, जिनमें पलक पाण्डे, राहुल सिंह चैहान, भूमिका उपाध्याय, यष चैहान, प्रदीप नेगी, अंकिता, रषमी फुलेरिया, अकांक्षा लोहानी, महिमा सिजवाली एवं दीक्षा अधिकारी सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए अवंतिका चन्द एवं अक्षिता पाण्डे को डा. राम षिरोमणी तिवारी अवार्ड, ज्ञानेष्वरी अग्रवाल एवं स्तुति रावत को सरस्वती पांडा स्वर्ण पदक अवार्ड, जयामनी यादव एवं शरील अग्रवाल को नागम्मा शांता बाई अवार्ड, ओमरिता जैसवाल एवं श्रीकांत रेड्डी को श्री पूरन आनन्द अदलखा स्वर्ण पदक अवार्ड तथा दो विद्यार्थियों, (वर्ष 2020-21) अवंतिका चन्द एवं अंकिता तिवारी तथा (वर्ष 2020-21) आस्तिका पाण्डे एवं अंजली मेहता को चैधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सर्वोत्तम छात्र पुरस्कार (वर्ष 2019-20) स्नातकोत्तर विद्यार्थियों में हेमन्त कुमार शर्मा तथा परास्नातक विद्यार्थियों में रंजना सिरोही तथा भारत रत्न पं0 गोविन्द बल्लभ पंत अवार्ड स्नातकोत्तर विद्यार्थियों में दीक्षा मलेठा एवं परास्नातक विद्यार्थियों में पृथ्वीराज डे को प्रदान किया गया।