बिग ब्रेकिंग उधम सिंह नगर: एक पी टी टीचर का ‘अद्भुत खेला’!😲 एक साल के लिए गया था प्रतिनियुक्ति ( diptation) पर@👉कुछ सालों मैं बन गया उप कुलसचिव! आखिर प्रमोशन कैसे हुआ?👉महानिदेशक ने की है आपत्ति!; उत्तराखंड के इतिहास में घोटालेबाज का सनसनीखेज खुलासा:: पार्ट- वन

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उधम सिंह नगर (अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ)। मां-बाप का एक सपना होता है कि उनका बेटा बड़ा होकर आईपीएस इंजीनियर और बड़े पदों पर बने इसके लिए वह सब कुछ निछावर कर देते हैं हर युवाओं का भी सपना होता है बड़ा होकर आईएएस आईपीएस बने और देश और मां बाप का नाम रोशन करूं। इसके लिए रात दिन तैयारी करते हैं और कंपटीशन में बैठते हैं लाखों युवा पेपर देते हैं उसमें कुछ भी युवा पास हो पाते हैं। परंतु यहां तो सब उल्टा पुल्टा हो गया ना पढ़ाई ना कंपटीशन एक पीटी टीचर ने इस तरह का खेला खेला कि वह कुछ ही सालों में आईएएस के वेतनमान के समान पहुंच गया हैरतअंगेज बात यह थी कि विभाग के महानिदेशक इस नियुक्ति पर घोर आपत्ति की थी परंतु इस सभी को दरकिनार करते हुए सचिव ने इनकी प्रमोशन की नियुक्ति पत्र हस्ताक्षर कर दिए। यह हैरतअंगेज कारनामा उत्तराखंड सरकार का है; जबकि यह विभाग स्वयं युवा तेजतर्रार इमानदार भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लेकर पुष्कर सिंह धामी रात दिन एक करें हुए हैं। वही नौकरशाह किस कदर खेला खेल रहे हैं यह चौंकाने वाला मामला हम आपको बताने जा रहे हैं; आप दांतो तले उंगली दबा लेंगे। इस पूरे प्रकरण की शुरुआत उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय देहरादून की स्थापना 2010 में हुई थी; इसके लिए सहायक कुलसचिव की आवश्यकता थी; जिसको शिक्षा विभाग ने लिए उधम सिंह नगर के मुख्यालय रुद्रपुर में पीटी टीचर स्थानीय गजरौला मैं कार्यरत संजीव कुमार पांडे को 1 साल के लिए diptation में सहायक कुल सचिव के पद पर भेजा गया। अत्यंत चतुर चाणक्य संजीव कुमार पांडे ने विश्वविद्यालय में जाते ही कुछ सालों में पूर्व निलंबित रजिस्टर मृत्युंजय कुमार मिश्रा से मिलकर ऐसा खेला खेला कि सभी नियमों को ताक में रखकर 2016 में संजीव कुमार पांडे को सहायक कुलसचिव सचिव स्थाई बना दिया। मजेदार बात यह थी कि संबंधित शिक्षा विभाग कुंभकरण नींद सोता रहा; जब कि वह 1 साल के लिए श्री पांडे diptation में गया था; इस दौरान 6 साल तक विभाग ने सुध नहीं ली इस पर पांडे और मनमाने तौर पर उतर गया। विश्वविद्यालय में श्री पांडे का इस कदर दबदबा हो गया उससे कर्मचारी अधिकारी भी डरने लगे; क्योंकि भ्रष्ट निलंबित रजिस्टर का आंखों का तारा श्री पांडे बन चुका था वह हर मनमाने काम करने शुरू कर दिए थे। स्मरणीय है कि सहायक कुलसचिव पद पर सीडी शासन द्वारा भर्ती निकाली जाती है जिसमें केवल आयुर्वेदिक पीएचडी डॉक्टर ही इस पद के लिए योग होते हैं। ध्यान देने की बात यह है कि श्री पांडे पीटी टीचर हैं। जबकि इसका मूल विभाग स्कूल शिक्षा विभाग है । जबकि यह सामूहिक ग कि श्रेणी में आते हैं; श्री पांडे को सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए राजपत्रित अधिकारी बना दिया गया। इधर दूसरी हो रुद्रपुर के जागरूक नागरिक सीपी गंगवार ने ..

मुख्य सचिव को एक शिकायती पत्र एफिडेविट के साथ प्रेषित किया था और इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की थी। प्रमुख सचिव ने इस मामले को गंभीरता से देखते हुए आयुष विभाग को जांच के आदेश दिए थे इधरश्री पांडे का इस कदर दबदबा था कि जांच को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जारी……अगले अंक अभी तो मुख्य खेला बाकी है।… पार्ट 2

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