बिग ब्रेकिंग हादसों का राज्य होता जा रहा है उत्तराखंड!! 😤 गुरुवार को एक और दर्दनाक हादसा:👉 यूटिलिटी वाहन गहरी खाई में गिरी! 😲 पांच की मौत; तीन घायल@👁️पर्वतीय क्षेत्रों में ढाई सालों में 3,219 दुर्घटनाओं में 1951 लोगों ने अपनी जान गवा चुके हैं@😩पर्वतीय क्षेत्रों में यात्रा अब सुरक्षित नहीं रही?

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अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ‌ Uttrakhand Vishesh samvaddata हादसों का राज्य होता जा रहा है उत्तराखंड शायद ही ऐसा कोई दिन गुजरता हो जिस दिन तू सड़क दुर्घटना ना करती हो आज गुरुवार को भीटिहरी गढ़वाल में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे है विशेषकर पर्वतीय मार्गों पर आए दिन दुखद घटनाओं का सिलसिला जारी है। इसी बीच यहां टिहरी जनपद से बड़े दर्दनाक हादसे की खबर सामने आ रही है। टिहरी जिले के भिलगंना ब्लॉक अंतर्गत घुत्तु- घनसाली मोटरमार्ग पर एक यूटिलिटी वाहन गहरी खाई में जा गिरा, वाहन में 8 लोग सवार थे। 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 3 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। सूचना पर पुलिस- एसडीआरएफ ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया रोज रोज हो रही सड़क दुर्घटना से लोगों में दहशत व्याप्त होती जा रही है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक गुरुवार की दोपहर घुत्तु- घनसाली मोटरमार्ग पर एक यूटिलिटी वाहन अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरा, वाहन में आठ लोग सवार थे।
पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। सूचना पर पहुंची पुलिस- एसडीआरएफ की टीम ने स्थानीय युवकों के साथ से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया। पर्वतीय क्षेत्रों में ढाई सालों में 3,219 दुर्घटनाओं में 1951 लोगों ने अपनी जान गवा चुके हैं। सड़क हादसे रोकने का जितना प्रयास हो रहा है वो नाकाफी है। मैदान से लेकर पहाड़ों तक सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। पर्वतीय क्षेत्र में सड़क दुर्घटनायें सामान्य बात हो गयी हैं। उतार-चढ़ाव वाले मार्गों पर वाहन चलाना मुश्किल काम है। ऐसे में विभागीय आंकड़ों पर एक नजर डाली जाए तो पिछले ढाई सालों में लगभग 3219 दुर्घटनाओं में 1951 लोगों की जान गई है, जबकि 2,659 लोग घायल हुए हैं। विभाग के आंकड़ों के अनुसार यूएस नगर व देहरादून दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्रों में सबसे आगे है।पर्वतीय मार्गों पर वाहनों की भीड़-भाड़ बढ़ने के कारण वाहन दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। वाहन चालकों की अकुशलता, अक्षमता व अदूरदर्शिता के कारण सर्वाधिक वाहन दुर्घटनाएं होती हैं। इन दुर्घटनाओं में अब तक कई यात्री काल का ग्रास बन चुके हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में यात्रा अब सुरक्षित नहीं रही।

विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वाहन चालकों की अनेक कठिनाइयां हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन चलाने के लिए पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने का अभ्यास होना चाहिए। लेकिन ऐसे चालक जिन्हें सिर्फ मैदानी क्षेत्रों में वाहन चलाने का अनुभव होता है वे पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने में अपने को सक्षम नहीं पाते हैं। पर्वतीय क्षेत्र में वाहन चलाने की अधिकतम गति निर्धारित है किन्तु जल्दी पहुंचने के चक्कर में वाहनों की गति पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है।
 हम हमेशा चालकों को दोष देते हैं, लेकिन सड़कों का सही मानकों में निर्माण नहीं होने के कारण भी कई बार वाहन बड़े दुर्घटनाओं को कारण बनते हैं। सड़कों के किनारे कई बार भी पैराफिट मौजूद नहीं होते। , आरटीओ कार्यालय से अब तक हुई दुर्घटना के संदर्भ में आंकड़े इकट्ठे किए हैं।
जिले में कुछ दुर्घटनाओं की संख्या
जिला                दुर्घटना     मृतक     घायल
हरिद्वार                765        487       600
      उधम सिंह नगर       845        556       550
पिथोरागढ़              33          15         37
नैनीताल                445        195      395
चमोली                    25         23       19
उत्तरकाशी               45         64       63
बागेश्वर                    13           9         23
अल्मोड़ा                   31         20        85
पौढ़ी                        83          52        137
देहरादून                   784        342      579
चंपावत                      29          29         39
टिहरी                       98          134       112
रुद्रप्रयाग                  23           25          20
(परिवहन विभाग के आंकड़े)

पर्वती क्षेत्रों में सड़क सड़क दुर्घटनाएं होना आम बात हो गई है शायद ही कोई दिन जाता हो जिस दिन पर्वती क्षेत्र में सड़क दुर्घटना की खबर ना आती हो । अधिकारी चैन की बंसी बजा रहे हैं कोई भी ठोस रणनीति तैयार नहीं की गई है जनता का कहना था कि

कि अब तो सड़क मार्ग से यात्रा करने में भी डर लगता है कि अपने घर पहुंचेंगे कि नहीं ;शासन के सुरक्षा मार्ग के लाख दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं? बेगुनाहों की हो रही मौतों का आखिर जिम्मेदार कौन है?

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