बिग ब्रेकिंग देहरादून: 10 congressi vidhayak कल क्या गुल खिलाएंगे! हाईकमान चिंतित#अधिकांश एमएलए हरदा के चेले? विशेष रिपोर्ट:-

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देहरादून (अशोक गुलाटी editor-in-chief)l राजनीति भी क्या चीज है कल तक सभी दम भर रहे थे जो हाई कमांड निर्णय लेगा वह सबको मान्य होगा आखिर हाईकमान के निर्णय के बाद इस तरह पलटी कांग्रेस के विधायक मार लेंगे हाईकमान को भी इसकी कल्पना भी नहीं की थीl मजे की बात यह है कि सभी अपने सपने सजाए बैठे हुए थे कि उनको कुर्सी मिलेगी परंतु उनके एक हाई कमांड के एक फरमान के बाद उनके अरमान आंसुओं में बह गए अब एक दूसरे के विधायक आशु पहुंच रहे हैं और कल बड़ी बैठक देहरादून में करने जा रहे हैं इसमें क्या गुल खिलाएंगे यह तो वही जाने परंतु देहरादून से दिल्ली तक कांग्रेस में हलचल तेज हो गई है एक और मजेदार बात यह है कि जितने भी रूठे हुए विधायक हैं वह सभी हरदा के खासम खास बताए जाते हैं ध्यान देने की बात यह है कि जब हरदा के समर्थक करण मेहरा तथा यशपाल आर्य को खुशी मिली गई है अब काहे की बगावत यह किसी के समझ में नहीं आ रही है एक तो कांग्रेस निरंतर पिछड़ जा रही है सबक लेने के बजाय विधानसभा धानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भी जो कांग्रेसी नेता मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने का दावा कर रहे थे वह अब सिर फुट्टवल पर उतर आए हैं। नेता, उपनेता विपक्ष तथा प्रदेश अध्यक्ष के नामों की घोषणा के बाद अब यह घमासान उस चरम सीमा पर जा पहुंचा है जहां कांग्रेस में फिर एक बड़े विभाजन की खबरें चर्चाओं के केंद्र में है। हाईकमान के फैसले से नाराज कल दून में कांग्रेस के आठ—दस विधायकों की बैठक किए जाने की खबर से हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने इन खबरों को निराधार बताते हुए भाजपा पर षड्यंत्र रचने और भ्रम फैलाने का आरोप लगाया गया है।
सच चाहे जो भी रहा हो लेकिन एक बात तो साफ है कि कांग्रेस में सब ठीक नहीं चल रहा है। केसी वेणुगोपाल और देवेंद्र यादव द्वारा गुटबाजी के कारण हार होने और प्रीतम सिंह को जिम्मेदार ठहराने को लेकर कल प्रीतम सिंह केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ चुनौती भरे लहजे में नजर आए। उनके तल्ख तेवरों को नई नियुक्तियों में उनकी उपेक्षा से जोड़कर देखा गया। लेकिन आज फिर खबर आई कि कांग्रेस के 8—10 विधायक जिसमें हरीश धामी, मनोज तिवारी, मयूख महर, ममता राकेश, खुशाल सिंह, राजेंद्र भंडारी आदि के नाम शामिल हैं, कल कोई बैठक करने जा रहे हैं। जिसमें वह कांग्रेस छोड़कर अन्य विकल्पों पर चर्चा करने वाले हैं। इस खबर ने कांग्रेस में हड़कंप मचा दिया।
हालांकि इस खबर में प्रीतम सिंह का कहीं कोई नाम नहीं आया है लेकिन कहा यही जा रहा है कि प्रीतम गुट इन नई नियुक्तियों को लेकर नाराज है। प्रीतम सिंह के अति करीब माने जाने वाले गिरीश पुनेठा ने अपना इस्तीफा देते हुए कांग्रेस हाईकमान और केंद्रीय नेताओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि केंद्रीय नेता बताएं कि यह पद कितने पैसे लेकर बांटे गए हैं। यही नहीं उन्होंने चुनाव के लिए आईसीसी से आए पैसे की बंदरबांट का भी आरोप लगाते हुए कहा कि इसकी बिल टू बिल जांच की जानी चाहिए।
पार्टी में मचे घमासान के बीच हालांकि कांग्रेस नेता प्रदीप टम्टा और नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करण महारा ने इसे सिरे से खारिज किया है और कहां है कि कांग्रेस का कोई विधायक कहीं नहीं जा रहा है। अगर वह बैठक कर भी रहे हैं तो यह ऐसी कोई खास बात नहीं है। करण माहरा का तो यहां तक कहना है कि उन्हें ऐसी किसी बात की जानकारी तक नहीं है। उन्होंने इसे भाजपा का षड्यंत्र बताते हुए कहा है कि भाजपा कांग्रेस को कमजोर करने के लिए अफवाह फैला रही है। उधर नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है।

आर्य से मिले प्रीतम, गुलदस्ता भेंट कर दी परंतु करें परंतु दिल नहीं मिले
भले ही एक तरफ जहां कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी तकरार की खबरें आ रही हो लेकिन वहीं दूसरी ओर राजनीतिक शिष्टाचार की खबरें भी आ रही हैं। बीते कल प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद करण माहरा ने पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रीतम सिंह आदि तमाम वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी वहीं आज प्रीतम सिंह और आर्य की मुलाकात भी हुई जिसमें प्रीतम सिंह ने आर्य को गुलदस्ता देकर नेता प्रतिपक्ष चुने जाने की शुभकामनाएं दी। उल्लेखनीय है कि प्रीतम सिंह ने इन नियुक्तियों पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। फोटो में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य जी उन्हें हाथ जोड़कर अभिनंदन स्वीकार कर रहे हैं और शायद यही कह रहे हो भाई अब तो मुझे स्वीकार कर लो हाई कमांड का फरमान है परंतु प्रीतम सिंह जी कुछ और ही सोचे बैठे हैंl अब देखना यह होगा 10 चौकड़ी विधायक कि कल क्या गुल खिलाती है या फिर केवल दबाव बनाने की राजनीति है क्या और कोई राजनीतिक दमकल पड़ सकता है यह तो कल ही पता चल पाएगा? कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं है किसी शीघ्र ही निकाय चुनाव होने हैंl इसके अलावा 2024 में लोकसभा के चुनाव की भी तैयारी करनी है यदि यही हाल रहा तो कहीं कांग्रेस का भी हर्ष यूकेडी आम आदमी पार्टी बहुजन समाज पार्टी समाजवादी पार्टी की तरह ना हो जाएl

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