बिग ब्रेकिंग: …आखिर हार का सिलसिला कब थमेगा! एक बार फिर दिल के अरमां आंसुओं में बह गए+ पूर्व मुख्यमंत्री “हरदा” ने बेहद भावुक पोस्ट सांझा की!! विशेष रिपोर्ट:-

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दिल के अरमा
चुनाव के दौरान देव भूमि माया न्यूज़ हैड अशोक गुलाटी से वार्ता के दौरान दावा किया था कि इस बार इतनी सीटें आएंगी गिनते ही रह जाओगे फाइल फोटो
आखिर भाजपा के एक कार्यकर्ता मोहन दा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता हरदा को चित कर दिया

(अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ)l कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री लाल कुआं कांग्रेस विधानसभा के प्रत्याशी हरीश रावत ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में जितनी मेहनत लाल कुआं क्षेत्र में की थी अब तक के इतिहास में उन्होंने नहीं की उसके बाद भी शर्मनाक हार से वह आहत हैं उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि लगातार हार के दिन जिसने पड़ेंगे आखिर उनका तस्वीर क्या है जो भगवान उनकी लगातार परीक्षा ले रहा है ?उन्होंने बेहद भावुक पोस्ट साझा की हैl विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का दर्द रह रहकर कांग्रेस नेताओं को सता रहा है। सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त कांग्रेस नेता अप्रत्यक्ष नतीजों से हैरान-परेशान हैं। इस बीच कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में दिल्ली रवाना होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बेहद भावुक नजर आए।
उनके शब्दों में कहें तो वह राज्य में कांग्रेस की हार से बेहद आहत हैं। बैठक में जाने से पूर्व उन्होंने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से कैैसे नजरें मिलाएंगे। दिल्ली रवाना होने से पूर्व हरीश रावत ने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट साझा की। जिसमें वह बेहद भावुक नजर आए। उन्होंने लिखा कि दिल्ली की ओर जाने की कल्पना मात्र से उनके पांव और मन भारी हो रहे हैं।

भविष्य की चुनौतियों से पार पाना होगा
वह कैसे अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया के चेहरे की तरफ देखेंगे। उन्होंने राज्य में कांग्रेस की सत्ता वापसी को लेकर उन पर बहुत विश्वास किया था। देश के तमाम शीर्षस्थ कांग्रेस जनों का भी उन पर बहुत विश्वास था। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। हरीश ने कहा कि कहीं तो उनकी ही कमियां रही होंगी, जो वह विश्वास को कायम नहीं रख पाए। अब वास्तविकता यह है कि हम हारे ही नहीं हैं, बल्कि हमारी हार कई और चिंताजनक संकेत भी दे रही है।हरीश ने कहा कि उनका आज भी मानना है कि देश के अंदर कोई दूसरी पार्टी ऐसी नहीं है, जो पैन इंडिया स्वरूप ग्रहण करने में सक्षम हो और भाजपा का सशक्त लोकतांत्रिक विकल्प प्रस्तुत कर सके। टुकड़े-टुकड़े में कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं। मगर उनके डीएनए में वह सब नहीं है, जो कांग्रेस की डीएनए में है। लेकिन कांग्रेस पार्टी कहीं न कहीं रणनीतिक चूक का शिकार हो रही है। कुछ ऐसी स्थितियां बन रही हैं कि हम हर बार जनता का विश्वास जीतने में विफल हो जा रहे हैं। आखिर लगातार क्यों हार का मुंह देखना पड़ रहा है राजनीतिक पंडितों का कहना है कि हरदा को गंभीरता से मंथन करना चाहिए कहां पर कमियां व चूक हुई हैं इससे लगातार ना केवल स्वयं हार रहे हैं बल्कि पार्टी को भी गत में ले जा रहे हैं इसकी गंभीरता से समीक्षा करनी चाहिए तभी कांग्रेस पुनर्जीवित हो सकती है? नहीं तो अगर यही स्थिति बनी रही कहीं उत्तराखंड से कांग्रेस का अस्तित्व ही समाप्त ना हो जाए? जिस प्रकार उत्तराखंड क्रांति दल तथा समाजवादी पार्टी सहित अन्य पार्टियों का हुआ हैl

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