बिग ब्रेकिंग देहरादून: आज शाम 6:00 बजे से एग्जिट पोल शुरू हो जाएगा@ बीजेपी, कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए रणनीति व बैठके शुरू की! (अशोक गुलाटी editor-in-chief की खास रिपोर्ट)

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देहरादून (अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ)l आज उत्तर प्रदेश का अंतिम चरण का चुनाव संपन्न हो जाएगा विभिन्न चैनलों में 5:00 बजे से एग्जिट पोल शुरू हो जाएगा किस पार्टी का किस राज्य में पल्ला भारी है वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए अभी से बीजेपी और कांग्रेस ने रणनीति तय करना शुरू कर दिया है देहरादून से दिल्ली बैठक शुरू हो गई है यदि विधायक कम पड़े तो भावी रणनीति क्या होगी उसके लिए गोपनीय बैठकर शुरू हो गई है इधर सट्टा बाजार खामोश है आज शाम से सट्टा बाजार का भी रुक पता चल जाएगा कि सट्टा बाजार का रुख किस पार्टी के लिए क्या कह रहा है? मजेदार बात यह है कि इस बार किस पार्टी का होली में उड़ेगा रंग और किस पर लगेगा रंग? 10 मार्च को भविष्य का पिटारा खुल जाएगा और शाम तक इस पार्टी के ऑफिस में जश्न का माहौल होगा और किस पार्टी में खामोशी छाई होगी और किस प्रत्याशी के आवास पर ढोल नगाड़े बजेंगे और किस प्रत्याशी के घर खामोशी होगी? जनता जनार्दन का आशीर्वाद किस प्रत्याशी को मिलेगा कुछ घंटे और इंतजार करने पड़ेंगे? मजेदार बात यह है कि 70 सिटी विधान सभा उत्तराखंड की है 700 से अधिक प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं और सभी जीत का दावा कर रहे हैं एक प्रत्याशी की पत्नी ने तो पति को जेल की सलाखों के पीछे कर दिया है आरोप लगाया है कि चुनाव के बाद व उत्पीड़न कर रहे थेl राजनीतिक पंडितों के अनुसार इस बार निर्दलीय विधायकों की अहम भूमिका होगी यदि किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो निर्दलीय विधायक के बल्ले बल्ले होना तय है lविभिन्न प्रत्याशी विभिन्न मंदिरों मैं जाकर माथा टेककर मन्नतें मान आए हैं वहीं कई प्रत्याशी ज्योतिषियों के यहां चक्कर लगाए हैं एक रोचक बात सामने आई है इस बार चुनाव के मतदान के पंचायत ज्योतिषियों की भी खूब चांदी कटी हैl विभिन्न चैनलों ऑनलाइन आज शाम से विभिन्न दलों के एग्जिट पोल बताना शुरू करेंगे देखना यह होगा किसका ‘तुक्का’ सही बैठता है? रोचक पहलू यह भी है कि….

आधी हकीकत हकीकतआधे फसाने की तर्ज पर एक्जिट पोल भी शरीर में रक्त की रफ्तार बढ़ाने वाला तो साबित होगा लेकिन कितना सही साबित होगा इसकी गारंटी खुद खुद टीवी चैनल चैनलभी नहीं देते।इससे पहले कई विधानसभा चुनावों में नामी गिरामी टीवी चैनलों की एक्जिट पोलों के परिणामों से 180 डिग्री पर असली परिणाम रहे हैं। इसलिए टीवी चैनलों के एक्जिट पोलों के शोर शराबा शुरू होने से पहले जान लें कि आपके राज्य में किस राजनैतिक पार्टी में कितना दम खम है। उसकी गलतियां क्या रहीं और खूबियां क्या क्या रहीं।

जनता के न्याय तराजू में खूबियों का भार अधिक रहा या कमियों को जनता ने दरकिनार कर दिया यह तो तीन दिन बाद आने वाले वोटों की गिनती की नतीजों के बाद ही पात चलेगा लेकिन तीन दिन के अंतराल में आपका पूर्वानुमान तय करने में यह आपकी मदद अवश्य करेंगे।

भाजपा की गलतियां

1.यदि भाजपा के हाथ से सत्ता छिनी तो उसकी जिम्मेदारी भाजपा हाईकमान के उस फैसले की होगी जिसके तहत चुनावी वर्ष में दो— दो मुख्यमंत्रियों बदल दिया गया। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा कर तीरथ सिंह रावत को यह पद सौंपा और कुछ ही महीनों बाद उन्हें भी हटाकर पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया गया। इससे भाजपा हाईकमान की फैसला लेने की क्षमता पर सवालिया निशान लगे।

2.पूरे सालों में सरकारी नौकरियों पर रोक लगी रही लेकिन जब नौकरियां खोल कर त्रिवेंद्र ने वाह वाही लूटने का प्लान एक्जीक्यूट करना किया तब उन्हें पद से हटा दिया गया। फिर तीरथ आए वे भी बेरोजगारों के लिए कुछ खास नहीं कर सके। जब वे इस बात को समझे तो पद से हटा दिए गए। पुष्कर को इस दिशा में काम करने का कम मौका मिला। लेकिन उनके प्रयासों को चुनावी प्रयास कहा गया।

  1. नेताओं का अति आत्मविश्वास भी भाजपा के रास्ते की बड़ी बाधा बनी। नेताओं ने जनता के दरकिनार कर दिया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ एक महिला अध्यापिका की बहस, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का भरी कक्षा में शिक्षिका को अपमानित करना ऐसे ही कुछ उदाहरण है।
  2. भाजपा नेता अपने काम से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे चुनावी किला फतह करने के जुगाड़ में ही लगे रहे। लेकिन मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ भी दिनों दिन नीचे गिर रहा है।
  3. कम से कम चार साल तक मंत्रियों और अधिकारियों के बीच आपसी सामंजस्य का अभाव झलकता रहा। इससे जमीन पर जनोपयोगी कार्य नहीं दिखे।

6.सोशल मीडिया पर भाजपा के शिगूफों का सच जनता जान गई थी।

7.सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा नेताओं ने बढ़ती महंगाई के प्रति कोई चिंता तक व्यकत् नहीं की। वे कुतर्कों के माध्यम से महंगाई को सही साबित करने पर तुले रहे।

8.भाजपा शासनमें आम जनता भ्रष्टचार के दानव से पूर्व की ही भांति ही लड़ती रही। और नेता जीरो टॉयलेट का दावा करके सच्चाई को नकारते रहे।

कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की अवयवस्था की पोल खुल गई, पहले फेस के बाद सरकार होश में आई और स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार के लिए बड़े—बड़े दावे किये जाने लगे। सभी तैयारियों पूरी होने के बावजूद कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश में पहली से से ज्यादा जानी नुकसान हुआ।

10.टिकिट वितरण में भाजपा जमीनी नेताओं की अनदेखी के कारण चुनाव में कई सीटों पर भाजपा को विद्रोह का सामना करना पड़ा।

भाजपा की अच्छाइयां

  1. ऋषिकेश—कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर निर्माण कार्य का तेजी से चलना, गढ़वाल के लिए अच्छा संकेत रहा।
  2. आल वेदर रोड का निर्माण, पहाड़ी इलाकों के लिए अच्छा काम रहा।
  3. कोरोना के बाद गरीब परिवारों को मुफ्त राशन योजना से भी लोगों का रूझान भाजपा की ओर गया।

4.कोरोना के तेज वैक्सीनेशन से भी भाजपा सरकार को चुनावों में लाभ मिलेगा।

5.उपलब्धियों के आक्रामक प्रचार से लाभ मिलेगा।

  1. किसान आंदोलन में उत्तराखंड भाजपा का तटस्थ रहने का लाभ भाजपा का न मिले लेकिन इससे भाजपा को कुछ सीटों के अलावा ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
  2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड के लोगों से सीधे संवाद भी भाजपा को लाभ देगा।
  3. संगठनात्मक रूप से भाजपा की माइक्रो प्लानिंग भाजपा को ज्यादा नुकसान से बचाएगी।
  4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड में पांचवां धाम बनाने का ऐलान पूर्व सैनिक, सैन्य परिवारों को आकर्षित करने वाला रहा।
  5. सड़कों व फ्लाइओवरों का तेजी से निर्माण भाजपा को लाभ देगा।
    निष्कर्ष :
    तमाम अच्छाइयों व बुराइयों पर नजर डालने के बाद लग रहा है कि इस चुनाव में अपने दमपर पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाएगी। फिलहाल भाजपा 28—33 पर जा ठहरेगी। फरहान बरहाल बरहाल कुछ घंटे इंतजार कीजिए किन नेताओं की नींद उड़ने वाली है इस एग्जिट पोल में और किसकी बल्ले बल्ले होने वाली है फिलहाल तो इसी से संतुष्ट करेंगे नेतागण!?
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