हल्द्वानी (अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ) l हर राजनीतिक कार्यकर्ता का सपना होता है बड़ी पार्टी से टिकट मिले; टिकट के पश्चात विधायक बने माननीय मंत्री बने या मुख्यमंत्री बने ?परंतु इधर 48 घंटे से पूरे कुमायूं में बारिश व हिमपात से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है तापमान में भारी गिरावट आई है मतदाता बारिश के कारण लोग घरों में ही कैद हैं नेताजी के लिए यह एक और संकट की घड़ी आ गई है पहले तो वह विरोधियों से निपट ते थे ;फिर अपनों हुए बागियों से निपट रहे हैं l अब इस मौसम ने उन्हें बैरम कर दिया है जाएं तो जाएं कहां? कड़कती ठंड वर्षा हिमपात लोग घरों में दुबके हुए हैं; किससे संपर्क करें आपकी मीठी मीठी बातों से अपने विकास की बातें किसे सुनाएं? मौसम विभाग के अनुसार आगामी 24 घंटे भी मौसम में कोई बदलाव की संभावना व्यक्त नहीं की जा रही है; जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है प्रत्याशियों की रात की नींद उड़ी हुई है ;वही कार्यकर्ता भी मायूस हो रहे हैं क्योंकि जो शराब की दुकानों में पर्ची दी जा रही थी वह भी पुलिस की पैनी नजर पड़ी हुई है । इससे भी राजनीतिक पार्टियों में हड़कंप मचा हुआ है।
तापमान में आई भारी गिरावट “बारिश के कारण लोग घरों में हुए कैद है। कड़ाके की ठंड हो रही है। जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वहीं दूसरी ओर अपना भाग्य आजमा रहे
विधानसभा चुनाव में सभी प्रत्याशियों को हो रही जनसंपर्क में समस्याएं”आ रही है कहीं कई वर्षों की मेहनत यह मौसम के चलते पानी में फेंक दें? फिर 5 साल तक हाथ मलते रह जाएंगे कि टिकट अगली बार मिलेगा कि नहीं मिलेगा जीतेंगे कि नहीं जीतेंगे सरकार आएगी नहीं आएगी यही सपने मन में लिए रात भर नींद उड़ी हुई है आखिर यह बेरहम मौसम इस चुनाव में ही आना था मतदान के बाद आ जाता ? घर में आराम से टीवी देखते; मार्च तक जब तक कांटेक्ट नहीं हो जाती तब तक चैन की बंसी तो बजा दे? इस मौसम में निसंदेह माननीय प्रत्याशियों की रातों की नींद उड़ा दी है अब देखना यह होगा कि मौसम कब मेहरबान होता है कब नेताजी दमखम के साथ जनता के बीच में जाते हैं। इस बार आम आदमी पार्टी ने
चुनाव में ताल ठोक कर त्रिकोण संघर्ष हर जगह कर दिया है सबसे मजेदार बात यह है कि जो पार्टियों के बागी उम्मीदवार खड़े हैं वह कितना नुकसान पहुंचाएंगे यह महत्वपूर्ण बात होगी एक शायर की बात याद आती है “हम तो डूबे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे”? कहीं यह कहावत सत्य साबित हो जाए। क्योंकि इस बार कई बड़े नेताओं के भविष्य दाव पर लगे हुए हैं इसमें सबसे महत्वपूर्ण पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत; वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सहित कई बड़े नेता अपना भाग्य आजमा रहे हैं? यदि जनता ने उनको आशीर्वाद नहीं दिया तो आसमान से सीधा खजूर में आकर लटक जाएंगे? राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पहली बार ऐसा चुनाव हो रहा है बड़े नेताओं को भी अंदर से कंफर्म नहीं है कि वह जीत रहे हैं कि हार रहे हैं? कई बड़े नेता पंडितों से अपनी कुंडली मिलाने एवं मंदिरों के दर्शन कर मन्नत मांग रहे हैं। जो इस चुनाव में सबसे मजेदार व रोचक बात यह है जहां बड़े नेता बड़े-बड़े समाचार पत्र तथा बड़े-बड़े न्यूज़ चैनलों को ही अपना सब कुछ मानते थे आप सब कुछ उल्टा हो गया है इसका मुख्य कारण सोशल मीडिया है हर गली मोहल्ले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सोशल मीडिया का ही सहारा ले रहे हैं मजे की बात यह है हम नेता व कार्यकर्ता ही खुद ही पत्रकार बन गए हैं और अपने कार्यक्रम को फेसबुक के माध्यम से लाइव चला रहे हैं। इससे यह चुनाव और दिलचस्प और मजेदार हो गया है। अब देखना यह होगा आने वाले समय में जनता किस के सर पर सेहरा बांध दी है। यह सब भविष्य के गर्भ में है?