बिग ब्रेकिंग देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक पोस्ट सामने आया ! “हरदा” 28 को नामांकन भरने की जानकारी अपने समर्थकों को दे रहे हैं$ “गुरु व चेले” की अजब ÷गजब दास्तान? ? हरदा ने कहा रणजीत मेरा छोटा भाई+

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देहरादून (अशोक गुलाटी एडिटर इन चीफ)l आखिर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रामनगर से ही चुनाव लड़ेंगे आज उन्होंने अपने समर्थकों से टि्वटर हैंडल पर जानकारी दीl जिसमें उन्होंने रामनगर के भाइयों और बहनों कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मैं 28 जनवरी, 2022 को आप सबका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एस.डी.एम. कार्यालय रामनगर में नामांकन करूंगा। नामांकन से पूर्व मैं 27 जनवरी को आप सबका आदेश, आशीर्वाद लेने के लिए कुछ स्थानों पर पदयात्रा भी करूंगा। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सबका सहयोग, समर्थन और अमूल्य मत मुझे प्राप्त होगा। मैं नामांकन की पुण्य घड़ी में आप सबके आशीर्वाद की कामना करता हूंँ। गौरतलब है कि आज दिनभर रामनगर सीट को लेकर तमाम तरह की बातें होती रही और सल्ट से पूर्व विधायक रणजीत रावत का कहना है कि वह तो रामनगर से चुनाव लड़ेंगे। यह माना जा रहा है कि प्रीतम सिंह के द्वारा एक माहौल बनाया जा रहा है। ताकि हरीश रावत रामनगर से भाग जाए। लेकिन जिस अंदाज में हरीश रावत कैंपेन कमेटी के हैड हैं। और उन्होंने खुद को एक चेहरे के रूप में प्रायोजित जीत कर रखा है। उससे नहीं लगता है कि हरीश रावत अब रामनगर से चुनाव लड़ने के अपने निर्णय से वापस आएंगे। यह उसी प्रकार का निर्णय है जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी के सीएम फेस पुष्कर धामी है और उनका नाम खटीमा विधानसभा से अनाउंस हो गया है अब अगर इलेवंथ आवर में पुष्कर सिंह धामी खटीमा की बजाय किसी दूसरे सीट पर जाते हैं। तो सीधा-सीधा संदेश जाएगा वह खटीमा नहीं जीत पा रहे हैं। और किसी मुख्यमंत्री के चेहरे के बारे में इस प्रकार की बातें आएंगी तो इससे लगेगा कि उस पारी पार्टी की सरकार भी नहीं आ रही है। तो लिहाजा अब रामनगर से रणजीत रावत निर्दलीय लड़े या किसी दूसरे दल से लड़ें या कुछ भी करें लेकिन इस बात की दूर-दूर तक संभावना नहीं है। कि हरीश रावत 28 जनवरी को रामनगर से नामांकन ना कराएं। यानी कि यह साफ है कि 28 जनवरी को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रामनगर से नामांकन करवाएंगे इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से भी एक पोस्ट की है। क्या कहा है यह भी आपको पढ़ाते हैं..

मैंने अपने राजनैतिक जीवन की अ-आ, क-ख भी रामनगर में ही सीखी। जब मैं इंटर की शिक्षा ग्रहण करने यहां आया तो मेरे राजनीति ट्यूटर सुशील कुमार निरंजन जी, जय दत्त जोशी जी, शिवप्रकाश अग्रवाल जी, विष्णु कामरेड जी, कैलाश जोशी जी, ललित दुर्गापाल जी, कॉमरेड हरिदासी लाल जी जैसे कई लोग थे, जिनके सानिध्य में मैंने बात करना, तर्क करना और कुछ राजनैतिक चीजों पर चिंतन करना प्रारंभ किया जो एक पूंजी के साथ आज भी मेरे काम आ रहा है।

मेरे राजनैतिक जीवन की हल्की सी बुनियाद एम.पी. इंटर कॉलेज, ललदा और डंगवाल साहब, जोशी जी व अल्ला रखे चाय की दुकान पर पड़ी और बहुत कुछ एम.पी. इंटर कॉलेज के फील्ड में सीखा, जो कुछ सीखा वो पूंजी बनकर आज भी मेरे साथ है। उस समय के बहुत सारे साथी, सहयोगी आज भी मुझे बहुत याद आते हैं। क्योंकि उस समय की दोस्ती निश्चल दोस्ती होती थी, उसमें आज की राजनीति के छल, फरेब, घमंड, अहंकार आदि नहीं थे, जैसे दिखते थे वैसे ही कहते थे। मेरे अंदर का वो हरीश रावत जो रामनगर से कुछ सीख कर आगे बढ़ा, कभी भी बूढ़ा नहीं हुआ, कभी थक कर के सोया नहीं। मन के कोने में हमेशा रामनगर के लिए एक लालसा रही। जब मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने कुछ कार्य पत्रं-पुष्पम् के तौर पर यहां के लिए स्वीकृति किये। अब स्पष्ट हो गया है पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रामनगर से ही ताल ठोकेंगे चाहे इसके परिणाम कुछ भी हो? आज उन्होंने अपने टि्वटर हैंडल से कुछ देर पहले संदेश दे दिया है l …..

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक रंजीत रावत को मना लिया जाएगा और उन्हें साल्ट से टिकट दिया जाएगा अब देखना यह है गुरु चेला में समझौत होता है या फिर राजनीतिक की महाभारत की लड़ाई का कहां अंत होता है यह बड़ा दिलचस्प होगा पूरे ड्रामा का पर्दा यह एक-दो दिन में स्थिति स्पष्ट से उजागर हो जाएगाl राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राजनीति में कुछ भी संभव नहीं है किस समय बात बिगड़ जाए और किस समय सेटिंग हो जाए कहा नहीं जा सकता इसी का नाम राजनीति है इस राजनीति की भूमि पृष्ठ में सब सब कुछ संभव है?

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