बरेली जिनको कोर्ट ने समन भेजे हैं। जानकारी में आया है कि कई गवाहों की भी मौत हो चुकी है। सास को मिलाकर अब तक तीन गवाह अदालत में परीक्षित कराये जा चुके हैं। बता दें कि न्यायालय मौजूदा वक्त में इस तरह के वर्षों से लंबित केसों में वादकारियों के लिए शीघ्र न्याय प्रदान करने के लिए प्रयासरत है।
हत्यारोपी जीआरपी सिपाही सत्यनारायन व अशोक की हो चुकी है मौत
दो आरोपियों में सत्यनारायन व उसके भाई महेश की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट के स्टे की वजह से रोक थी। इस वजह से सिर्फ दो अन्य आरोपी ही जेल गये थे। अवर न्यायालय ने आरोपियों के विरुद्ध कई दफा गैर जमानती वारण्ट जारी किये थे मगर आरोपी अदालत नहीं आये। इस वजह से तकरीबन दो दशक तक केस निचली अदालत में ही लंबित रहा। सत्र परीक्षण के लिए 28 नवम्बर 2018 को फाइल सेशन कोर्ट के सुपुर्द की गयी। इस दौरान दो आरोपी सत्यनारायन व अशोक की मौत भी हो गयी।एडीजीसी क्राइम सचिन जायसवाल ने बताया कि मिथलेश ने 21 मार्च 1998 को थाना सुभाषनगर में तहरीर देकर बताया था कि भवानीपुर थाना सहसवान बदायूं के मूल निवासी मेरे दामाद मथुरा प्रसाद शर्मा, जोकि रिक्शा चलाने का कार्य करते थे। अपने बच्चों समेत शान्ति विहार, सुभाषनगर में निजी मकान बनाकर बीते 5-6 वर्षों से रह रहे थे। मेरी लड़की मीरा अपने बच्चों को लेकर गांव गयी हुई थी। इसी बीच दामाद मथुरा प्रसाद की किसी ने उन्ही के घर में गर्दन काटकर हत्या कर दी। सूचना रिश्तेदार श्रीनिवास शर्मा ने दी तो मौके पर जाकर देखा कि दामाद की गर्दन कटी हुई है और उनकी लाश पड़ी
तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध हत्या की रिपोर्ट दर्ज की थी। विवेचना में जीआरपी के कांस्टेबल सत्यनारायन व उसके भाई महेश, सुरेश उर्फ बब्बू व अशोक का नाम प्रकाश में आया। पुलिस ने पाया कि आरोपियों ने मथुरा प्रसाद की जमीन कब्जाने के लिए हत्या की है। मृतक के चाचा की कोई संतान न थी। इस वजह से उन्होंने बदायूं सहसवान स्थित अपनी जमीन की देखरेख के लिए मथुरा प्रसाद को नियुक्त कर दिया था। जमीन मथुरा प्रसाद के कब्जे में ही थी।
आरोप है कि बदनीयती में आरोपियों ने मथुरा को रास्ते से हटाने की नियत से गर्दन पर कैंची मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने 9 दिसम्बर 1999 को आरोप पत्र कोर्ट प्रेषित किया था। प्रकरण में केवल दो अभियुक्त महेश व सुरेन्द्र उर्फ बब्बू ही जीवित हैं। अभियोजन ने केस में 21 गवाह बनाये थे।