साल्ट विधानसभा चुनाव: कांग्रेस की पुरानी तलवार की नई धार; भा जा पा के पास “सहानुभूति” लहर!

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*दो बार कामयाब रहा भाजपा का पैंतरा, अब सल्ट में फेंका सहानुभूति कार्ड* कॉन्ग्रेस ने पुरानी तलवार की धार पर विश्वास जताया दिग्गज कांग्रेस नेता के पुत्र के पुत्र पर दाव नहीं लगाया ? चुनाव काटे का व दिलचस्प बना दोनों पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर 2022 विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल फाइनल

अल्मोड़ा जनपद का सल्ट का सभी दलों के प्रत्याशियों ने अपना पर्चा क दाखिल कर दिया गया है मुख्य ठक्कर बीजेपी व कांग्रेस के बीच होगी हालांकि अंतिम समय में उक्रांद ने भी नामांकन उपाध्याय ने दाखिल कर दिया विधानसभा में विधानसभा उप चुनाव होने जा रहा है और इसे वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल माना जा रहा है। सुरेंद्र सिंह जीना की मृत्यु से खाली हुई सल्ट की सीट अब भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बन चुकी है। भाजपा के खिलाफ इस चुनावी जंग में कांग्रेस अपनी पुरानी तलवार ‘गंगा पंचोली’ के साथ उतरी है। गंगा वही पुरानी तलवार हैं जिन्होंने बीते चुनाव में भाजपा को नाको चने चबवा दिए थे। वहीं भाजपा ने एक बार फिर अपना पुराना पैंतरा सल्ट में आजमाया है और वो इसलिए कि पहले दो बार ये सहानुभूति कार्ड भाजपा को विजयश्री दिला चुका है। अब पार्टी ने दिवंगत सुरेंद्र सिंह जीना के बड़े भाई महेश जीना के बूते सहानुभूति कार्ड खेला है। भाजपा को भरोसा है कि सल्ट की सीट फिर उनकी झोली में होगी।

प्रकाश पंत और मगन लाल की पत्नी पर लगाया था दांव
30 मार्च को सुरेंद्र सिंह जीना के बड़े भाई महेश जीना भाजपा की ओर से अपना नॉमिनेशन दाखिल करेंगे। अगर आपको याद हो तो इससे पहले भाजपा विधायक मगन लाल शाह के निधन पर उनकी पत्नी मुन्नी देवी शाह और मंत्री प्रकाश पंत के निधन पर उनकी पत्नी चंद्रा पंत को चुनाव लड़वा चुकी है। इन दोनों ही उपचुनाव में बीजेपी को सहानुभूति कार्ड का फायदा मिला और वो जीत दर्ज कराने में सफल रही। अब देखना दिलचस्प होगा कि सल्ट की सियासत में सहानुभूति कार्ड कितना काम करता है।

आसान नही होगा गंगा से पार पाना
बीजेपी के लिए उपचुनाव जीतना चुनौती है, क्योंकि विपक्षी कांग्रेस भी इस सीट पर अच्छा खासा दबदबा रखती है। कांग्रेस को इस सीट पर कमजोर आंकना भाजपा की बड़ी भूल साबित हो सकती है। वजह कि कांग्रेस पिछले चुनाव में मात्र 3000 के अंतर से हारी थी। 2017 के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस नेत्री गंगा पंचोली को अंतिम समय में पार्टी ने टिकट दिया था। बावजूद इसके पंचोली ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। तभी हम कह रहे हैं कि कांग्रेस पुरानी तलवार में नई धार के साथ चुनावी रण में उतरी है।

ये तीरथ सिंह रावत का भी टेस्ट है इसमें इनकी प्रतिष्ठा निसंदेह जुड़ी हुई है
त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड की सियासत से आउट हो चुके हैं। सल्ट के उप चुनाव में अब नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की साख दांव पर है और इस साख को बचाने के लिए उन्होंने 6 सदस्यीय टीम को सल्ट में उतारा है। वह खुद सल्ट से चुनाव नही लड़े। जबकि कांग्रेस उन्हें चुनाव लड़ने की खुली चुनौती दे रही थी। ये सीट हर हाल में जीतनी है, इसीलिए सहानुभूति कार्ड खेला गया। 2022 का चुनाव सिर पर है और अगर ऐसे में जीत मिलती है तो तीरथ न सिर्फ पार्टी के भीते मजबूत होंगे, बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी उनका कद बढ़ेगा। आज कांग्रेस और बीजेपी के समर्थकों ने विशाल जुलूस निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया और सभा को भी संबोधित किया कांग्रेस मेंं जो कमी खली वह पूर्व विधायक रंजीत रावत सहित उनके समर्थन के ना होना आगे क्या गुल खिलाएंगे इसी को लेकर पूरे कुमाऊं मेंं चर्चा का विषय बना हुआ है क्या प्रदेश नेतृत्व रंजीत रावत को मना लेगी अपने आप में एक राजनीतिक प्रश्न बना हुआ है राजनीतिक जानकार मानते हैं कि रंजीत रावत मान जाएंगे अगर नहीं माने चुनाव के प्रचार पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है बरहाल यह चुनाव बीजेपी व कांग्रेस के लिए जीवन मरण का प्रश्न बन बन गया है अब देखना यह होगा कि जनता किस दल को संजीवनी प्रदान करती है और किसके सिर पर सेहरा बांध है इसके लिए हमें 2 मई तक का इंतजार करना होगा

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